औद्योगिक उत्पादन वृद्धि दर 20 साल में सबसे बुरी

देश का औद्योगिक उत्पादन पिछले कारोबारी साल 2012-13 में एक फीसदी बढ़ा, जो पिछले दो दशकों से कुछ अधिक समय में सबसे कम है। शुक्रवार को जारी सरकारी आंकड़ों से यह बात सामने आई।

देश का औद्योगिक उत्पादन पिछले कारोबारी साल 2012-13 में एक फीसदी बढ़ा, जो पिछले दो दशकों से कुछ अधिक समय में सबसे कम है। शुक्रवार को जारी सरकारी आंकड़ों से यह बात सामने आई।

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में वर्ष की समाप्ति की तरफ कुछ सुधार नजर आया, पर औसत दर कम ही रही।

केंद्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (सीएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक औद्योगिक उत्पादन में मार्च 2013 में 2.5 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई। पिछले साल मार्च में औद्योगिक उत्पादन में 2.8 फीसदी गिरावट रही थी।

31 मार्च को समाप्त कारोबारी वर्ष के लिए दर्ज एक फीसदी औद्योगिक उत्पादन विकास दर 1991-92 के बाद से सबसे कम है, जब यह दर 0.6 फीसदी रही थी। 2011-12 में यह दर 2.9 फीसदी थी।

आईआईपी में तीन-चौथाई योगदान करने वाले विनिर्माण क्षेत्र सबसे बड़ा खेल बिगाड़ने वाला साबित हुआ। इसने आर्थिक विकास को काफी प्रभावित किया है। 2012-13 में आर्थिक विकास दर करीब पांच फीसदी रहने का अनुमान है, जो एक दशक का निचला स्तर है। पिछले कारोबारी वर्ष में विनिर्माण क्षेत्र में उत्पादन वृद्धि दर सिर्फ 1.2 फीसदी रही।

क्रिसिल रिसर्च ने एक बयान में कहा, "मौजूदा स्थिति 1991-92 की यादा ताजा करती है, जब औद्योगिक विकास दर सिर्फ 0.6 फीसदी रही थी और विनिर्माण क्षेत्र की विकास दर 0.8 फीसदी थी।"

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति के अध्यक्ष सी. रंगराजन ने कहा कि मार्च के आंकड़े से पता चलता है कि स्थिति मौजूदा कारोबारी साल में बेहतर हो जाएगी।

रंगराजन ने कहा, "साल-दर-साल आधार पर यह उल्लेखनीय वृद्धि है। आर्थिक गिरावट ने निचला स्तर चूम लिया है।"

आलोच्य अवधि में विनिर्माण क्षेत्र में 3.2 फीसदी तेजी रही, जबकि एक साल पहले इसमें 3.6 फीसदी गिरावट दर्ज की गई थी। फरवरी में इसमें 2.2 फीसदी तेजी रही थी।

फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) की अध्यक्ष नैना लाल किदवई ने कहा, "आर्थिक सुस्ती और उपभोक्ता मांग में सुस्ती विनिर्माण क्षेत्र के विकास को लगातार प्रभावित कर रहा है। यहां तक कि विनिर्माण क्षेत्र में भी उत्पादन वृद्धि 2012-13 में सबसे तेज विकास वाले पांच कारोबारी गतिविधियों तक ही सिमटी रही। इसलिए निकट भविष्य में विनिर्माण क्षेत्र में टिकाऊ विकास की कोई संभावना नहीं है।" मार्च में बिजली क्षेत्र में भी स्वस्थ्य विकास देखा गया, जबकि खनन क्षेत्र में गिरावट दर्ज की गई।

बिजली क्षेत्र में उत्पादन आलोच्य महीने में 3.5 फीसदी बढ़ा, जबकि एक साल पहले इसमें 2.7 फीसदी वृद्धि रही थी। फरवरी में इसमें 3.2 फीसदी गिरावट दर्ज की गई थी।

खनन उत्पादन हालांकि मार्च में 2.9 फीसदी कम रहा, जबकि एक साल पहले भी इसमें 1.1 फीसदी गिरावट रही थी।

लेखक NDTV Profit Desk
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