सख्त होता कारोबारी माहौल मिस्त्री के लिए सबसे बड़ी चुनौती : रतन टाटा

टाटा समूह के चेयरमैन पद से हाल ही में सेवानिवृत्त हुए रतन टाटा ने कहा कि 100 अरब डॉलर के इस समूह के नए चेयरमैन सायरस मिस्त्री के लिए मुश्किल होता कारोबारी माहौल से निपटना सबसे बड़ी चुनौती होगी। यह 1991 के संकट से ज्यादा जटिल है।

टाटा समूह के चेयरमैन पद से हाल ही में सेवानिवृत्त हुए रतन टाटा ने कहा कि 100 अरब डॉलर के इस समूह के नए चेयरमैन सायरस मिस्त्री के लिए मुश्किल होता कारोबारी माहौल से निपटना सबसे बड़ी चुनौती होगी। यह 1991 के संकट से ज्यादा जटिल है।

टाटा ने टाइम पत्रिका को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘बड़ी चुनौती यह है कि कारोबारी माहौल मुश्किल हो रहा है और यह 1991 के मुकाबले ज्यादा जटिल है। 1991 में उदारीकृत अर्थव्यवस्था में कम लोगों को सफल होने की उम्मीद थी।’

टाटा 21 साल के कार्यकाल के बाद टाटा समूह के प्रमुख के पद से 28 दिसंबर को सेवानिवृत्त हुए। वह अपने उत्तराधिकारी के सामने सबसे बड़ी चुनौती के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे।

यह पूछने पर कि क्या भ्रष्टाचार के कारण भारत में निवेशकों का विश्वास कम हो रहा है, उन्होंने कहा, ‘कुछ समय तक यह हमारी चिंता का विषय रहा लेकिन उच्च वृद्धि दर और देश की संपन्नता ने इसे फीका कर दिया।’ उन्होंने कहा, ‘इससे सत्ता और कारोबार की साठ-गांठ बढ़ी और हमारे जैसे लोग चिंतित रहे है कि इससे काम करने के समान मौके उस तरह नहीं मिलते जैसे मिलने चाहिए।’

टाटा समूह के दूरसंचार क्षेत्र में कथित अनियमितताओं में शामिल होने और टाटा के एक लॉबिस्ट के जांच के घेरे में आने के बारे में पूछे गए सवाल के बारे में कहा कि जांच एजेंसियों ने न सिर्फ समूह को बरी किया बल्कि यह भी पाया कि उसे सभी दूरसंचार कंपनियों में सबसे कम फायदा मिला। उन्होंने कहा, ‘निश्चित तौर पर कुछ फोन कॉल टेप हुए थे लेकिन इसमें नुकसानदेह कुछ भी नहीं था।’ टाटा ने कहा, ‘हमने कुछ भी गलत नहीं किया कुछ भी गैरकानूनी नहीं किया इसलिए मैंने कुछ भी अलग नहीं किया।’

सेवानिवृत्ति के अनुभव के बारे में पूछने पर टाटा ने कहा, ‘मुझे अच्छा लग रहा है। जहां तक मेरा सवाल है यह राहत की बात है।’

लेखक NDTV Profit Desk
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