नोटबंदी के बाद से यदि आपके भीतर भी बचत योजनाओं में घटते ब्याज को लेकर चिंता पैदा हुई है तो आप इस बार सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bonds) यानी सरकारी स्वर्ण बॉन्ड में हाथ आजमा सकते हैं. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड 'ग्राम्स ऑफ़ गोल्ड' में मूल्यांकित सरकारी प्रतिभूतियां हैं. ये फिज़िकल गोल्ड अपने पास रखने के विकल्प हैं. फिजिकल गोल्ड यानी जूलरी, गोल्ड बार, गोल्ड कॉइन (सिक्का) आदि को हतोत्साहित करने और पेपर गोल्ड को प्रोत्साहित करना भी स्कीम का मकसद है. इसकी बिक्री का सातंवा दौर 27 फरवरी यानी सोमवार से शुरू होगा.
आइए, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की सातंवी किश्त शुरू होने से पहले जानें इसके बारे में कुछ जरूरी बातें...
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- एसजीबी के तहत आप अधिक से अधिक 500 ग्राम और कम से कम 1 ग्राम सोने के मूल्य तक के बॉन्ड खरीद सकते हैं. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) सरकार की तरफ से बॉन्ड जारी करता है.
- वित्त मंत्रालय के मुताबिक, बॉन्ड के लिए आवेदन 27 फरवरी से तीन मार्च को स्वीकार किये जाएंगे. बॉन्ड पेपर आवेदनकर्ताओं को 17 मार्च 2017 को जारी किये जाएंगे.
- बॉन्ड की बिक्री बैंक, स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लि. (SHCIL), मनोनीत डाकघरों और मान्यता प्राप्त शेयर बाजारों एनएसई और बीएसई के जरिये बेचे जाएंगे.
- गोल्ड बॉन्ड में निवेश करने वालों को निवेश मूल्य पर 2.5 प्रतिशत सालाना ब्याज मिलेगा जो उन्हें छह महीने पर मिलेगा. इसे ऐसे समझें, प्रारंभिक निवेश की राशि पर प्रतिवर्ष 2.5 प्रतिशत (फिक्स्ड दर) के अनुसार, बॉन्ड पर ब्याज का भार होता है. ब्याज निवेशक के बैंक खाते में हाफ-ईयरली जमा किया जाएगा और अंतिम ब्याज मूलधन के साथ परिपक्वता पर देय होगा.
- बॉन्ड की मियाद आठ साल है. इसमें पांचवें साल से ब्याज भुगतान की तारीख को इससे बाहर निकलने का विकल्प उपलब्ध है.
- यहां बता दें कि इनमें निवेश टैक्समुक्त नहीं है. इनकम टैक्स एक्स, 1961 के तहत इस पर कर लगता है. हालांकि एसजीबी प्रतिदान के वक्त इससे होने वाली पूंजीगत आय पर लगने वाले टैक्स से इंडिविजुएल को छूट दी गई है.
- सॉवेरेन गोल्ड बॉन्ड रुपयों के भुगतान करने (नकदी) पर जारी किए जाते हैं. गोल्ड के विभिन्न ग्रामों में ये दाम मूल्यांकित होंगे.
- यह चालू वित्त वर्ष में गोल्ड बॉन्ड की अंतिम पेशकश होगी. अब तक सरकार स्वर्ण बांड की छह किस्त जारी कर चुकी है. वैसे सरकार पांच चरणों में इसके जरिये 3,060 करोड़ रुपये जुटा चुकी है.
- बॉन्ड्स की पेमेंट कैश (अधिक से अधिक 20 हजार रुपए) या फिर डिमांड ड्राफ्ट या चेक या फिर इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग के जरिए होगी.
- एक बात और बता दें कि विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम 1999 के तहत परिभाषित भारत में निवास कर रहा शख्स ही एसजीबी में निवेश करने के लिए पात्रता रखते हैं. एचयूएफ, ट्रस्ट, यूनिवर्सिटीज़, धर्मार्थ संस्थाएं आदि निवेश कर सकते हैं. हां, एक खास बात यह है कि एसजीबी की जॉइंट होल्डिंग की अनुमति दी जाती है.साथ ही, अल्पवयस्क (नाबालिग) की ओर से अभिभावक द्वारा आवेदन किया जा सकता है.