विदेशों में यात्रा के दौरान 21% भारतीय जूझते हैं भाषा की समस्या से : सर्वेक्षण

यूं तो लोग नए स्थानों को देखने और नए अनुभवों को प्राप्त करने के लिए लायलित रहते हैं लेकिन भारत में पर्यटक बहुत जगह इस लिए जाना नहीं पसंद करते क्यों की उन्हें वहां बोलचाल की भाषा की दिक्कत आने का डर रहता है. ऑनलाइन यात्रा कंपनी बुकिंग डॉट कॉम के एक सर्वेक्षण के अनुसार भारतीय पर्यटक अपनी सीमाओं से आगे जाकर यात्रा करने और नए अनुभवों को प्राप्त करने के लिए उत्सुक रहते हैं. लेकिन वह कई बार भाषा के बाधक होने के डर और अनजानी बेचैनी के चलते ऐसा करने से कतराते हैं.

एयर इंडिया.

यूं तो लोग नए स्थानों को देखने और नए अनुभवों को प्राप्त करने के लिए लायलित रहते हैं लेकिन भारत में पर्यटक बहुत जगह इस लिए जाना नहीं पसंद करते क्यों की उन्हें वहां बोलचाल की भाषा की दिक्कत आने का डर रहता है. ऑनलाइन यात्रा कंपनी बुकिंग डॉट कॉम के एक सर्वेक्षण के अनुसार भारतीय पर्यटक अपनी सीमाओं से आगे जाकर यात्रा करने और नए अनुभवों को प्राप्त करने के लिए उत्सुक रहते हैं. लेकिन वह कई बार भाषा के बाधक होने के डर और अनजानी बेचैनी के चलते ऐसा करने से कतराते हैं. 

करीब 21 फीसदी भारतीय पर्यटकों का मानना है कि अपनी हालिया यात्रा के दौरान उनका वास्तविक अनुभव उनकी आकांक्षा के अनुरुप नहीं रहा और इसकी एक बड़ी वजह भाषा का बाधक होना है. 

बुकिंग डॉट कॉम ने 20,500 वयस्कों के बीच एक स्वतंत्र शोध करके यह आंकड़े पेश किए हैं. इसमें उन लोगों को शामिल किया गया था जिन्होंने पिछले एक साल में कोई यात्रा की है या जिनकी अगले 12 महीनों में किसी यात्रा की योजना है. 

यह सर्वेक्षण कुल 28 देशों में किया गया इसमें भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, फ्रांस, स्पेन, इटली, चीन, ब्राजील, अमेरिका, ब्रिटेन, रुस, इंडोनेशिया और कोलंबिया, जापान, न्यूजीलैंड, थाईलैंड, अर्जेंटीना, बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, हांगकांग, क्रोशिया, ताइवान, मेक्सिको, नीदरलैंड, स्वीडन, सिंगापुर और इस्राइल जैसे देश शामिल हैं. 
 

लेखक Bhasha
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