पांच सप्ताह की तेजी के बाद शेयर बाजारों में आई गिरावट

पांच सप्ताह लगातार तेजी में रहने के बाद गत सप्ताह शेयर बाजार में गिरावट दर्ज की गई। बम्बई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स गत सप्ताह के कारोबार में 1.39 फीसदी या 263.28 अंकों की गिरावट के साथ 18,675.18 पर बंद हुआ।

पांच सप्ताह लगातार तेजी में रहने के बाद गत सप्ताह शेयर बाजार में गिरावट दर्ज की गई। बम्बई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स गत सप्ताह के कारोबार में 1.39 फीसदी या 263.28 अंकों की गिरावट के साथ 18,675.18 पर बंद हुआ। सेंसेक्स इससे पिछले सप्ताह 0.9 फीसदी या 175.72 अंकों की तेजी के साथ 18,938.46 पर बंद हुआ था।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी गत सप्ताह के कारोबार में 1.23 फीसदी या 70.90 अंकों की गिरावट के साथ 5,676.05 पर बंद हुआ। निफ्टी इससे पिछले सप्ताह 0.8 फीसदी या 43.65 अंकों की तेजी के साथ 5,746.95 पर बंद हुआ था।

आलोच्य अवधि में बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में भी गिरावट रही। मिडकैप 0.03 फीसदी या 1.92 अंक की गिरावट के साथ 6,676.85 पर बंद हुआ। मिडकैप इससे पिछले सप्ताह 1.08 फीसदी या 71.48 अंकों की तेजी के साथ 6,678.77 पर बंद हुआ था। स्मॉलकैप सूचकांक 0.50 फीसदी या 35.98 अंकों की गिरावट के साथ 7,109.73 पर बंद हुआ। स्मॉलकैप इससे पिछले सप्ताह 1.82 फीसदी या 127.82 अंकों की तेजी के साथ 7,145.71 पर बंद हुआ था।

गत सप्ताह सेंसेक्स के तेजी वाले शेयरों में प्रमुख रहे सन फार्मा (5.59 फीसदी), आईटीसी (2.61 फीसदी), टाटा स्टील (2.44 फीसदी), स्टरलाइट इंडस्ट्रीज (1.29 फीसदी) और हिंदुस्तान यूनिलीवर (1.03 फीसदी)। सेंसेक्स में गिरावट में रहने वाले प्रमुख शेयरों में रहे हिंडाल्को इंडस्ट्रीज (5.52 फीसदी), गेल (4.42 फीसदी ), रिलायंस इंडस्ट्रीज (4.42 फीसदी), भेल (4.41 फीसदी) और विप्रो (4.00 फीसदी)।

बीएसई के 13 में से चार सेक्टरों तेज खपत वाली उपभोक्ता वस्तु (1.95 फीसदी), स्वास्थ्य सेवा (1.93 फीसदी), उपभोक्ता टिकाऊ वस्तु (0.48 फीसदी) और धातु (0.13 फीसदी) में तेजी रही। गिरावट वाले सेक्टरों में प्रमुख रहे रियल्टी (4.10 फीसदी), तेल एवं गैस (3.49 फीसदी), सूचना प्रौद्योगिकी (3.08 फीसदी), प्रौद्योगिकी (2.92 फीसदी) और बिजली (2.47 फीसदी)।

सप्ताह के प्रमुख घटनाक्रमों में केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम ने सोमवार को दृढ़ता के साथ संकेत दिया कि घरेलू राजनीतिक विरोध के बाद भी केंद्र सरकार आर्थिक विकास में तेजी लाने और निवेश आकर्षित करने के लिए एक के बाद एक आर्थिक और वित्तीय सुधार जारी रखेगी।

चिदम्बरम ने सलाना आर्थिक सम्पादकों के सम्मेलन में कहा, "सुधार नहीं करने पर आर्थिक सुस्ती के तेजी से गहराने का जोखिम है, जिसे हम बर्दाश्त नहीं कर सकते खासकर इसलिए कि एक बड़ी आबादी के लिए रोजगार पैदा करने की जरूरत है, जिनमें अधिकतर युवा हैं।" उन्होंने कहा कि राजनीतिक पार्टियों को विरोध करने का अधिकार है, लेकिन उन्हें फैसला लेने की प्रक्रिया को बाधित नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा, "हर सरकार को नीति बनाने का अधिकार है। नीति का विरोध जायज है लेकिन बाधा पैदा करना नहीं।" उन्होंने कहा, "वर्तमान सरकार को निश्चित रूप से नीति बनाने दिया जाना चाहिए, जहां भी जरूरी हो कानून पारित करने दिया जाना चाहिए और उन नीतियों का कार्यान्वयन करने दिया जाना चाहिए।" उन्होंने कहा कि सुधार करने के कारण तीसरी और चौथी तिमाही में निवेश बढ़ेगा और अगले पांच सालों में आठ फीसदी विकास दर हासिल की जा सकती है। उन्होंने कहा, "बेहतरी के लिए जो भी सम्भव होगा मैं करूंगा।" उन्होंने कहा, "हमें देश में विदेशी निवेश से डरने की जरूरत नहीं है। हमें यह तय करने का पूरा अधिकार है कि देश में कहां और निवश आने दिया जाए।"

मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने टोक्यो में ताजा 'वर्ल्ड इकॉनमिक आउटलुक' (डब्ल्यूईओ) रिपोर्ट में भारत की विकास दर का अनुमान घटाकर 2012-13 के लिए 4.9 फीसदी और 2013-14 के लिए छह फीसदी कर दिया। आईएमएफ ने कहा कि परिदृश्य खराब हुए हैं और जोखिम बढ़ा है।

वर्ष 2011-12 में भारत की आर्थिक विकास दर 6.8 फीसदी थी और जुलाई की डब्ल्यूईओ रिपोर्ट में आईएमएफ ने देश की विकास दर 6.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया था।

शुक्रवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक विनिर्माण क्षेत्र में तेजी की वापसी होने के कारण औद्योगिक उत्पादन में गिरावट का सिलसिला आखिर थमा और अगस्त में 2.7 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई।

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) पर आधारित औद्योगिक उत्पादन में जुलाई में 0.18 फीसदी और जून में 1.8 फीसदी गिरावट रही थी।

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में 75.5 फीसदी योगदान करने वाले विनिर्माण क्षेत्र में अगस्त में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 2.9 फीसदी वृद्धि देखी गई, जिसमें जुलाई में 0.2 फीसदी गिरावट थी।

खनन क्षेत्र में 2.00 फीसदी वृद्धि रही, जिसमें जुलाई में 0.7 फीसदी गिरावट थी।

आधारभूत वस्तु, उपभोक्ता टिकाऊ वस्तु और उपभोक्ता गैर-टिकाऊ वस्तु में भी क्रमश: 1.5 फीसदी, 1.4 फीसदी और 0.1 फीसदी वृद्धि रही। अगस्त महीने में विनिर्माण क्षेत्र के 22 उद्योगों में से 13 में सकारात्मक विकास दर्ज किया गया।

इस अवधि में टेलीफोन उपकरण, एंटीबायोटिक्स, कार्बन इस्पात, कंडक्टर, एल्युमीनियम, एयर कंडीशनर, चाय, ब्वॉयलर, प्लास्टिक बनाने वाली मशीनों और शीतल पेयों के बाजार में भी अच्छी वृद्धि दर्ज की गई।

लेखक NDTV Profit Desk
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