मूनलाइटिंग, यानी दो-दो वेतन पाने, से हो सकती हैं इनकम टैक्स से जुड़ी दिक्कतें

तमिलनाडु, पुदुच्चेरी और केरल के प्रिंसिपल चीफ आईटी कमिश्नर आर. रविचंद्रन ने कहा कि कोई भी कंपनी या व्यक्ति यदि किसी भी शख्स को किसी कॉन्ट्रैक्ट जॉब के लिए या प्रोफेशनल फीस के तौर पर 30,000 रुपये से ज़्यादा का भुगतान करती है, तो उस पर निर्धारित दर से स्रोत पर कर (Tax Deducted at Source या TDS) काटना अनिवार्य होता है.

मूनलाइटिंग करने से अतिरिक्त आय तो होती है, लेकिन मूनलाइटिंग करने वालों को इनकम टैक्स अधिकारियों ने चेताया है कि इससे टैक्स को लेकर कुछ देनदारियां भी बढ़ सकती हैं...

हालिया हफ़्तों में मूनलाइटिंग, यानी एक कंपनी में नौकरी करते हुए दूसरी कंपनी के लिए काम करना, का मुद्दा काफी ज़ोर पकड़े रहा है, और इसे लेकर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आती रही हैं, जो सबसे ज़्यादा आईटी सेक्टर में हुआ.

द इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, The Economic Times हालांकि इस तरह मूनलाइटिंग करने से अतिरिक्त आय तो होती है, लेकिन मूनलाइटिंग करने वालों को इनकम टैक्स अधिकारियों ने चेताया है कि इससे टैक्स को लेकर कुछ देनदारियां भी बढ़ सकती हैं, और कन्फ्यूज़न की वजह से ITR फाइल करते वक्त जटिलताएं पैदा हो सकती हैं.

तमिलनाडु, पुदुच्चेरी और केरल के प्रिंसिपल चीफ आईटी कमिश्नर आर. रविचंद्रन ने कहा कि कोई भी कंपनी या व्यक्ति यदि किसी भी शख्स को किसी कॉन्ट्रैक्ट जॉब के लिए या प्रोफेशनल फीस के तौर पर 30,000 रुपये से ज़्यादा का भुगतान करती है, तो उस पर निर्धारित दर से स्रोत पर कर (Tax Deducted at Source या TDS) काटना अनिवार्य होता है.

इनकम टैक्स एक्ट की धारा 194 सी के अनुसार कोई भी व्यक्ति जब किसी व्यक्ति को कॉन्ट्रैक्ट पर किए हुए काम की एवज़ में फीस देता है, तो उसे TDS काटना ही होगा. इस संदर्भ में भुगतान करने वाला कोई कंपनी भी हो सकती है, ट्रस्ट भी, कंपनी भी, स्थानीय अधिकारी या प्राधिकरण भी.

इसके अलावा, धारा में स्पष्ट किया गया है कि यदि इनकम टैक्स एक्ट की धारा 194 सी के प्रावधानों के तहत TDS काटा गया है, तो ऐसा उस समय किया जाना होगा, जब 'कॉन्ट्रैक्टर के खाते में रकम को क्रेडिट किया जाए, या जिस समय नकद भुगतान किया जाए, या चेक अथवा ड्राफ्ट अथवा किसी अन्य माध्यम से भुगतान किया जाए, जो भी पहले हो...'

इनकम टैक्स एक्ट की धारा 194 जे में कहा गया है कि कोई भी शख्स 10 प्रतिशत की दर से TDS काटने के लिए उत्तरदायी है, यदि वह किसी भी व्यक्ति को 30,000 रुपये से अधिक का भुगतान कर रहा है.

TDS तब भी काटा जाना अनिवार्य है, जब भुगतान की कुल राशि किसी एक वित्तवर्ष में एक लाख रुपये से अधिक हो जाए.

इनकम टैक्स एक्ट की धारा 28 वी.ए. के अनुसार, यहां भुगतान में रॉयल्टी, फ्रोफेशनल सर्विस फीस, टेक्निकल सर्विस फीस, नॉन-कम्पीट फीस शामिल है.

टैक्स अधिकारियों ने सभी नौकरीपेशा लोगों से आग्रह किया है कि वे किसी भी तरह की अतिरिक्त आय को इनकम टैक्स रिटर्न में ज़रूर घोषित करें, और लागू टैक्स अदा करें.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस तरह की आय के बारे में बाद में जानकारी मिलने पर इनकम टैक्स विभाग जुर्माना लगा सकता है, और इनकम टैक्स एक्ट की धारा 148 ए के तहत जांच शुरू कर सकता है.

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लेखक NDTV Profit Desk