रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति के मामले में नई सोच की जरूरत : पीएम

उन्होंने कहा, वैश्विक अर्थव्यवस्था के मौजूदा परिवेश में वृहत आर्थिक समस्याओं से पैदा होने वाले अवरोधों से निपटने के लिए अब समय आ गया है कि हम मौद्रिक नीतियों की सीमाओं और संभावनाओं पर गौर करें।

उन्होंने कहा, वैश्विक अर्थव्यवस्था के मौजूदा परिवेश में वृहत आर्थिक समस्याओं से पैदा होने वाले अवरोधों से निपटने के लिए अब समय आ गया है कि हम मौद्रिक नीतियों की सीमाओं और संभावनाओं पर गौर करें।

प्रधानमंत्री ने कहा, मुझे लगता है, रघुराम राजन (गवर्नर नामित) विशेषज्ञों एवं राष्ट्रीय सहमति से ऐसी नीति विकसित करेंगे, जिससे कि इस जटिल अर्थव्यवस्था में सामाजिक और आर्थिक बदलाव के साथ आगे बढ़ा जा सके।

प्रधानमंत्री का यह बयान इस संदर्भ में महत्वपूर्ण है, जब मुद्रास्फीति पर अंकुश रखने के लिए रिजर्व बैंक की सख्त मौद्रिक नीति और दूसरी तरफ सरकार की आर्थिक वृद्धि को प्राथमिकता दिए जाने को लेकर बहस छिड़ी है।

प्रधानमंत्री अपने रेसकोर्स स्थित आवास पर 78 साल पुराने केंद्रीय बैंक के "रिजर्व बैंक का इतिहास - मुड़कर देखने और आगे देखने" का चौथा खंड जारी करने के अवसर पर बोल रहे थे।

रिजर्व बैंक के सेवानिवृत्त हो रहे गवर्नर डी सुब्बाराव के संबोधन में भी मुद्रास्फीति और आर्थिक वृद्धि का जिक्र आया। उन्होंने अपने स्वागत संबोधन में कहा कि आर्थिक वृद्धि और मुद्रास्फीति के बीच संतुलन पर 'अत्यधिक सरलीकरण' की धुंध छा गई। समारोह में रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर सी रंगराजन, बिमल जालान, वाईवी रेड्डी, अमिताभ घोष उपस्थित थे।

लेखक NDTV Profit Desk
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