हफ्ते में 90 घंटे काम! ITC चेयरमैन संजीव पुरी ने कहा - 'हम ऐसा नहीं करेंगे'

संजीव पुरी कहते हैं कि ITC ग्रुप में फ्लेक्सिबल तरीके से काम करने की इजाजत है, जिसमें हफ्ते में दो दिन घर से काम करना शामिल है.

'कर्मचारियों के लिए काम के घंटों की संख्या से ज्यादा जरूरी है कि वो कंपनी के व्यापक दृष्टिकोण के साथ जुड़कर काम करें.' ये राय है ITC के चेयरमैन संजीव पुरी की, जिन्होंने एक इवेंट के दौरान L&T चेयरमैन के 90 घंटे वाले बयान से खड़े हुए विवाद पर अपनी बात रखी.

PTI ने इस इंटरव्यू के हवाले से बताया कि संजीव पुरी ने एक महल बनाने का उदाहण लेते हुए कहा कि अगर आप एक राजमिस्त्री से पूछें कि वो क्या कर रहा है, तो वह कह सकता है कि वह ईंटें बिछा रहा है, कोई कह सकता है कि वह दीवार बना रहा है, लेकिन कुछ कह सकते हैं कि वह एक महल बना रहे हैं. ये वो नजरिया है जो कर्मचारियों के पास होना चाहिए.

ITC में ऐसा है वर्क कल्चर...

ITC चेयरमैन से जब ये पूछा गया कि क्या वो ये कह रहे हैं कि ITC में काम के घंटों की संख्या नहीं गिनेंगे, तो इस पर उन्होंने कहा 'हम ऐसा नहीं करेंगे, हम चाहेंगे कि लोग (कंपनी की) यात्रा का हिस्सा बनें और पूरी लगन के साथ हिस्सा लें और बदलाव के लिए उनके अंदर खुद ही तेज इच्छा पैदा होनी चाहिए. हम इसे इसी तरह देखते हैं'

संजीव पुरी कहते हैं कि ITC ग्रुप में फ्लेक्सिबल तरीके से काम करने की इजाजत है, जिसमें हफ्ते में दो दिन घर से काम करना शामिल है.

संजीव पुरी कहते हैं 'तो, आप जानते हैं, ये वास्तव में हर किसी के घंटों की संख्या पर नजर रखने की बात नहीं है, ये बात है लोगों को सक्षम बनाने की, उनकी क्षमता को साकार करने में मदद करने की और फिर लोगों ने क्या लक्ष्य हासिल किए हैं, इस बारे में समीक्षा करने की.

'कर्मचारी कंपनी का दृष्टिकोण समझे' 

संजीव पुरी ने कहा, 'मुझे पता है कि उन पर (एस एन सुब्रमण्यन) पर काफी बहस हुई है, लेकिन मैं आपको वो धारणा बता दूं जिसके साथ आप इसे देखते हैं'. उन्होंने कहा कि कंपनी के दृष्टिकोण और लक्ष्य के साथ कर्मचारियों को सशक्त बनाना कितना महत्वपूर्ण है, दृष्टि, मूल्य और जीवन शक्ति (Vision, values and vitality) ही ITC का मूल उद्देश्य है.

उन्होंने कहा 'इसलिए हमने ये सुनिश्चित करने के लिए बहुत कोशिश की है कि हर कोई कंपनी के दृष्टिकोण को समझे. हम विजन के एक हिस्से का इस्तेमाल करते हैं और विजन को हकीकत बनाने में योगदान देना चाहते हैं. हम अपनी प्रक्रियाओं से, उपलब्ध कराए गए संसाधनों से, काम करने की आजादी से जीवन शक्ति को सक्षम बनाते हैं. उन्होंने कहा कि हम जो सशक्तिकरण करते हैं, हर व्यक्ति के लिए बहुत अलग और बहुत स्पष्ट लक्ष्य हैं और ये प्राथमिक चीजें हैं जिन पर हम ध्यान देते हैं.

वर्क लाइफ बैलेंस पर बहस

गौतम अदाणी और आनंद महिंद्रा भी लॉन्ग वर्किंग आवर्स और वर्क लाइफ बैलेंस को लेकर छिड़े विवाद पर अपना पक्ष रख चुके हैं. अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी ने कहा था कि आपका वर्क लाइफ बैलेंस मुझ पर नहीं थोपा जाना चाहिए, और मेरा वर्क लाइफ बैलेंस आप पर नहीं थोपा जाना चाहिए. मान लीजिए, कोई व्यक्ति परिवार के साथ चार घंटे बिताता है और उसमें आनंद पाता है, या यदि कोई अन्य व्यक्ति आठ घंटे बिताता है और उसका आनंद लेता है, तो यह उनका संतुलन है. इसके बावजूद कि अगर आप आठ घंटे बिताएंगे, तो बीवी भाग जाएगी.

आनंद महिंद्रा ने भी लॉन्ग वर्किंग आवर्स को लेकर कहा कि मेरी बीवी सुंदर है और मुझे उसे देखना पसंद है. उन्होंने कहा कि हमें काम की गुणवत्ता पर ध्यान देना है, काम की मात्रा पर नहीं. तो, ये 40 घंटे के बारे में नहीं है, ये 70 घंटे के बारे में नहीं है और न ही 90 घंटे के बारे में है. आप क्या आउटपुट कर रहे हैं? भले ही यह 10 घंटे ही क्यों न हो, आप 10 घंटों में दुनिया को बदल सकते हैं.