दिवाली सीजन में करेंसी का सर्कुलेशन घटा, लोग डिजिटल पेमेंट का जमकर कर रहे हैं इस्तेमाल

दिवाली वाले हफ्ते में करेंसी का सर्कुलेशन घटकर 5,900 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो एक साल पहले 7,600 करोड़ रुपये था. ये बात SBI इकोरैप रिपोर्ट में सामने आई है.

Source: Canva

दिवाली वाले हफ्ते में करेंसी के सर्कुलेशन में गिरावट आई है. SBI रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक कैश की जगह लोग डिजिटल भुगतान (Digital Payment) के माध्यमों जैसे UPI प्लेटफॉर्म का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं. लगातार दूसरे साल ये ट्रेंड देखने को मिला है.

दिवाली वाले हफ्ते में करेंसी का सर्कुलेशन (Currency Circulation) घटकर 5,900 करोड़ रुपये पर आ गया है, जो एक साल पहले 7,600 करोड़ रुपये था. ये बात SBI इकोरैप की रिपोर्ट में सामने आई है. इस रिपोर्ट को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में ग्रुप चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर सौम्य कांति घोष ने तैयार किया है.

रिपोर्ट में डिजिटल भुगतान बढ़ने की ये बताई गई वजह

रिपोर्ट में डिजिटल भुगतान में बढ़ोतरी का श्रेय सरकार की अर्थव्यवस्था को डिजिटाइज करने की कोशिशों को दिया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इंटरऑपरेबल पेमेंट सिस्टम जैसे UPI (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस), वॉलेट और PPI (प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट्स) ने पैसे डिजिटल तरीके से ट्रांसफर करने को ज्यादा आसान और सस्ता बना दिया है. इससे उन लोगों को भी फायदा हुआ है जिनके पास बैंक अकाउंट मौजूद नहीं हैं.

QR कोड और नीयर फील्ड कम्युनिकेशन (NFC) जैसे नए इनोवेशन से भी डिजिटल भुगतान में मदद मिली है. इस इंडस्ट्री में कई बड़ी टेक कंपनियों भी उतरी हैं. नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन के मुताबिक अक्टूबर के महीने में UPI के जरिए 17.16 लाख करोड़ रुपये के 11 बिलियन से ज्यादा ट्रांजैक्शन हुए हैं.

NEFT, IMPS की कितनी हिस्सेदारी है?

SBI रिपोर्ट के मुताबिक नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT) की रिटेल डिजिटल ट्रांजैक्शंस में वैल्यू टर्म में करीब 51% हिस्सेदारी है. ज्यादातर ट्रांजैक्शंस बैंक की ब्रांच या इंटरनेट बैंकिंग के जरिए किए जाते हैं.

UPI और इमीडिएट पेमेंट सर्विस (IMPS) जैसे प्लेटफॉर्म्स पर स्मार्टफोन के जरिए किए गए ट्रांजैक्शंस की क्रमश: 21% और 8.5% हिस्सेदारी है. जबकि वॉल्यूम में UPI ट्रांजैक्शंस पेमेंट इंडस्ट्री में कुल ट्रांजैक्शंस का करीब 75% हिस्सा हैं.

Also Read: क्रिप्टो और डिजिटल करेंसी पर RBI के डिप्टी गवर्नर की बात गौर से सुनिए