HUL ने घटाया मार्जिन तो महाराष्ट्र के FMCG वितरकों ने खोला मोर्चा, बोले- प्रोडक्‍ट्स का करेंगे बहिष्‍कार

हाल ही में हिंदुस्तान यूनिलीवर (HUL) ने अपने प्रोडक्‍ट्स पर डिस्‍ट्रीब्‍यूटर्स के लिए मार्जिन कम करने का फैसला लिया है, जिसके बाद AICPDF ने कंपनी के प्रति विरोध जताया.

Source: Company Website

किचन से लेकर बाथरूम तक आटा, तेल-घी, चाय, टूथपेस्‍ट और साबुन-शैंपू जैसे सैकड़ों प्रोडक्‍ट्स बनाने वाली कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर (HUL) के नए मार्जिन स्‍ट्रक्‍चर के विरोध में महाराष्‍ट्र के FMCG डिस्‍ट्रीब्‍यूटर्स ने मोर्चा खोल दिया है.

महाराष्‍ट्र के FMCG वितरकों ने गुरुवार को कहा कि वे HUL के प्रोडक्‍ट्स का बहिष्‍कार करेंगे. इसकी शुरुआत कंपनी के प्रोडक्‍ट 'ताज महल चाय' से होगी. उन्‍होंने आगे कहा कि अगर कंपनी ने उनकी मांग पर ध्यान नहीं दिया तो वो आगे चलकर फूड प्रोडक्‍ट्स ब्रैंड किसान (Kissan) और डिटर्जेंट ब्रैंड रिन (Rin) का भी बहिष्कार करेंगे.

वितरकों ने कहा है कि जब तक कंपनी पहले की तरह मार्जिन देना शुरू नहीं करती, बहिष्‍कार जारी रहेगा.

AICPDF ने दी थी चेतावनी

हाल ही में हिंदुस्तान यूनिलीवर (HUL) ने अपने प्रोडक्‍ट्स पर डिस्‍ट्रीब्‍यूटर्स के लिए मार्जिन कम करने का फैसला लिया है, जिसके बाद डिस्‍ट्रीब्यूटर्स के शीर्ष संघ AICPDF ने कंपनी के खिलाफ विरोध जताया है.

फैसला वापस नहीं लिए जाने पर ऑल इंडिया कंज्यूमर प्रोडक्ट्स डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन (AICPDF) ने दिसंबर के अंतिम हफ्ते में कंपनी के प्रोडक्‍ट्स की खरीद रोकने की चेतावनी दी थी, और अब महाराष्‍ट्र में बहिष्‍कार शुरू भी हो गया.

कितना घटाया मार्जिन?

PTI के मुताबिक HUL ने अपने सामान्‍य डिस्‍ट्रीब्‍यूटर्स (General Trade Distributors) के लिए फिक्‍स्‍ड मार्जिन को 60 बेसिस प्‍वाइंट्स तक कम कर दिया है, जबकि सेल्‍स के आधार पर दिए जाने वाले वेरिएबल मार्जिन को 100-120 बेसिस प्‍वाइंट्स तक बढ़ा दिया है.

डिस्‍ट्रीब्‍यूटर्स कम से कम 5% बेसिक मार्जिन की मांग कर रहे हैं. उन्‍हें सेल्‍स बेस्‍ड वेरिएबल मार्जिन से ऐतराज नहीं है, लेकिन वे डिस्‍ट्रीब्‍यूटर्स के लिए तय बेसिक मार्जिन 5% में कोई कटौती नहीं चाहते.

ऑल इंडिया लागू करने की तैयारी!

डिस्‍ट्रीब्‍यूटर्स के मुताबिक, देश की सबसे बड़ी कंज्‍यूमर गुड्स मेकर कंपनी ने अब तक 100 शहरों में नया मार्जिन स्‍ट्रक्‍चर शुरू कर दिया है, जबकि अप्रैल से इसे देश भर में लागू करने का प्‍लान है.

HUL ने ऐसे समय में ये फैसला लिया, जब तेजी से आगे बढ़ने वाली कंज्‍यूमर गुड्स इंडस्‍ट्री, घटती वॉल्यूम ग्रोथ से जूझ रही है. इस स्थिति को खास तौर से ग्रामीण इलाकों में डिस्‍ट्रीब्यूशन बढ़ाने और लागत को एडजस्‍ट करने की स्‍ट्रैटेजी के तौर पर देखा जा रहा है.

बिगड़ेगा डिस्‍ट्रीब्‍यूशन मॉडल: AICPDF

ऑल इंडिया कंज्यूमर प्रोडक्ट्स डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन (AICPDF) के अध्यक्ष धैर्यशील पाटिल ने 29 दिसंबर को NDTV Profit से बात करते हुए कहा था कि बढ़े हुए वैरिएबल मार्जिन की पेशकश के साथ मार्जिन में कटौती का फैसला, मैनेजमेंट स्‍ट्रैटजी में बदलाव का इशारा करता है, जो पूरे डिस्‍ट्रीब्‍यूशन नेटवर्क को खतरे में डाल सकता है.' उन्‍होंने कंपनी के इस फैसले को प्रॉफिट बढ़ाने के 'बेहद कठोर' एजेंडे से प्रेरित बताया था.

पाटिल ने बातचीत से हल निकालने की कोशिश करने की बात कही थी, लेकिन HUL के अनुचित व्यवहार परप्रोडक्‍ट्स की खरीदारी रोकने की भी चेतावनी दी थी. AICPDF के मुताबिक, HUL के फैसले से डिस्‍ट्रीब्‍यूशन मॉडल बिगड़ सकता है.

HUL का क्‍या कहना है?

कंपनी ने कहा कि उसके डिस्‍ट्रीब्‍यूशन पार्टनर्स के साथ गहरे संबंध हैं और उसने अपने मार्जिन मॉडल को 'प्रोग्रेसिव और डिस्‍ट्रीब्‍यूटर्स-इनक्‍लूसिव' बताया है, जो ओवरऑल सर्विस क्षमता में सुधार करता है. कंपनी का तर्क है कि इससे नए मार्जिन स्‍ट्रक्‍चर से डिस्‍ट्रीब्‍यूटर्स को ज्‍यादा कमाई होगी.

HUL के एक प्रवक्‍ता (Spokesperson) ने कहा, 'हम अपने डिस्‍ट्रीब्‍यूटर्स को हेल्‍दी रिटर्न कमाने का अवसर देना चाहते हैं और जेनरल ट्रेड स्‍टोर्स में सर्विस क्‍वालिटी बढ़ाने के लिए हमेशा से कमर्शियल मॉडल पर विचार कर रहे हैं.'

उन्‍होंने कहा, 'हमारा प्रोग्रेसिव और डिस्‍ट्रीब्‍यूटर्स-इनक्‍लूसिव मॉडल ग्रॉसरी और अन्‍य स्‍टोर्स (MSME- जो तेजी से बदलते माहौल में भारतीय FMCG इंडस्‍ट्री का आधार हैं) की जरूरतों को बेहतर ढंग से पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया है.

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