BQ Banking Unlimited Summit: अगले 15 सालों में भारत के विकास की कहानी के बीच बैंकर होना एक बेहतरीन वक्त होगा.
BQ Prime की बैंकिंग समिट- BQ Banking Unlimited में बैंकर्स के बीच हुई चर्चा से कई अहम बातें निकलीं, जिनमें से ये एक है. बैंकिंग सेक्टर के सीनियर एक्जीक्यूटिव्स को लगता है कि आने वाले वक्त बैंक, फिनटेक और नॉन बैंक लेंडर्स के लिए अच्छा मौका साबित होगा.
समिट से निकली कुछ अहम बातें इस तरह थीं:
ग्रामीण और अर्ध शहरी क्षेत्र देंगे विकास को बढ़ावा
कोटक महिंद्रा बैंक लिमिटेड की डायरेक्टर शांति एकंबरम ने पैनल डिस्कशन में कहा, 'ये भारत का दशक होना चाहिए, जो ग्रामीण और अर्ध शहरी क्षेत्रों के अवसरों से प्रेरित है. भारतीय बैंकिंग सिस्टम की क्षमता अपार है.'
मजूबती के लिए बैंकों को करना होगा इन क्षेत्रों पर फोकस
बैंकों को लायबिलिटीज, लो कॉस्ट सेविंग्स और करंट अकाउंट डिपॉजिट्स पर फोकस करना होगा.
एकंबरम ने कहा कि कम से कम अगले 10 साल तक भारतीय परिवारों के लिए बैंक केंद्रीय भूमिका में बनें रहेंगे, इसलिए लायबिलिटीज बैंक का मुख्य हिस्सा रहेंगी.
एक्सिस बैंक लिमिटेड के डेप्यूटी मैनेजिंग डायरेक्टर राजीव आनंद के मुताबिक, 'अगर आप एक मजबूत बैंक बनाना चाहते हैं, तो स्थिर और स्टिकी लायबिलिटीज फ्रेंचाइजी इसका आधार हो सकती हैं, जिनके आधार पर किसी बैंक को बेहतरीन बैंक करार दिया जा सकता है.'
बैंकों, फिनटेक के बीच संतुलन
फिनटेक पुराने बैंकों के लिए इनोवेशन के मामले में एक चुनौती पेश करते हैं. हालांकि, HDFC बैंक लिमिटेड के CIO रमेश लक्ष्मीनारायण ने कहा कि बैंकों और फिनटेक के बीच 'अब कहीं अधिक संतुलन' है क्योंकि बैंक तकनीकी तौर पर खुद को तैयार करना सीख रहे हैं और फिनटेक रेगुलेटरी दायरे की ओर बढ़ रही हैं.
उन्होंने कहा, 'डेटा का इस्तेमाल टेक्नोलॉजी कंस्ट्रक्शन के लिए किया जाना चाहिए. डिजाइन में कुछ बदलाव भी महत्वपूर्ण हैं. जो बैंक इस दिशा में सोच सकते हैं और कार्यान्वित कर सकते हैं वे अवसर का लाभ उठाने में सक्षम होंगे.'
फोकस में पर्सनलाइजेशन
कोटक महिंद्रा बैंक लिमिटेड की डायरेक्टर शांति एकंबरम ने कहा, 'कोविड के बाद टेक्नोलॉजी और कस्टमर एक्सपीरियंस, ग्राहकों के लिए एक ड्राइविंग फोर्स बन गए हैं.' उन्होंने कहा कि 'जहां तक डिजिटल प्लेटफॉर्म का सवाल है, कस्टमर सेंट्रिसिटी और सर्विस जैसे कस्टमर्स एक्सपीरियंस के 2 से 3 क्षेत्रों पर बैंकों को ध्यान केंद्रित रखना होगा. अगले दशक में, विशेष रूप से डेटा के साथ पर्सनलाइजेशन पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए.'
NBFCs के लिए डायवर्सिफिकेशन जरूरी
श्रीराम फाइनेंस लिमिटेड के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन उमेश रेवनकर के मुताबिक, गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थान (NBFCs) पारंपरिक बैंकों के लिए प्रतिस्पर्धा नहीं हैं, बल्कि केवल ग्राहकों के लिए अधिक सुविधा पैदा कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, 'बैंकों की तुलना में NBFCs ग्राहक के पास जाती हैं. हम ग्राहक के पास जाने का अवसर बनाते हैं; यही कारण है कि हम तेजी से बढ़ रहे हैं.'
रेवनकर ने कहा कि जब तक GDP ग्रोथ 6% के नीचे ना आ जाए, NBFCs के लिए कोई चुनौती नहीं है.
महिंद्रा फाइनेंस लिमिटेड के MD और CEO राउल रेबेलो के मुताबिक NBFCs के लिए कस्टमर सेग्मेंट्स और एसेट केटेगरी में विविधता लाना जरूरी है. NBFCs ब्रांच पर निर्भर नहीं हो सकते हैं, लेकिन उन्हें चुस्त होना चाहिए और तरीके से काम करना चाहिए. रेबेलो ने कहा कि जब इस साल के अंत तक स्केल 1 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा, तो ये हमारे बिजनेस मॉडल एक चुनौती होगी.