इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर एडवाइजरी सर्विसेज (IiAS) ने ITC लिमिटेड में हिस्सेदारी रखने वाले निवेशकों को होटल डीमर्जर के खिलाफ वोट करने की सलाह दी है. संस्था का मानना है कि होटल बिजनेस से कंपनी की ओवरऑल वैल्यू आंशिक रूप से ही अनलॉक होगी.
इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर एडवाइजरी सर्विसेज (IiAS) एक वॉचडॉग संस्था है, जो बिजनेस में लिए जाने बड़े फैसलों में निवेशकों को सलाह देती है.
IiAS ने अपनी सलाह में कहा, 'ITC के होटल बिजनेस को अलग करने से जुड़ा प्रस्ताव, जो ITC के रेश्यो को सुधारने के लिहाज से डिजाइन किया गया है, न तो शेयरधारकों के लिए कंपनी की पूरी वैल्यू को अनलॉक करता है और न ही कैपिटल सपोर्ट से जुड़ी जिम्मेदारियों को कम करता है, जो ITC से होटल बिजनेस को मिल रही हैं'.
14 अगस्त 2023 को आया था डीमर्जर प्लान
बीते साल अगस्त 14 को, ITC बोर्ड ने कंपनी के होटल बिजनेस को डीमर्ज करके अलग इकाई बनाने को मंजूरी दी थी. इस डीमर्जर के बाद ITC के पास ITC होटल्स की 40% हिस्सेदारी रहेगी. वहीं, ITC शेयरधारकों के पास ITC होटल्स में बाकी 60% हिस्सेदारी रहेगी. ITC शेयरहोल्डर्स को पेरेंट कंपनी में 10 शेयर के बदले ITC होटल्स का 1 शेयर मिलेगा. डीमर्जर की इस पूरी प्रक्रिया में 1 साल का वक्त लगने का अनुमान है.
IiAS के मुताबिक, बोर्ड ने फिलहाल इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी है कि मिलने वाली 40% हिस्सेदारी को कंपनी बेचेगी या होल्ड करेगी. इसके साथ ही, होटल बिजनेस को अलग करने के बाद, ITC की EIH लिमिटेड में 13.7% और HLV लिमिटेड में 7.6% हिस्सेदारी पर भी असमंजस की स्थिति बाकी है. हॉस्पिटैलिटी चेन EIH लिमिटेड ओबेरॉय ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी है. वहीं, HLV लिमिटेड भी लीला ब्रांड के अंतर्गत होटल चलाती है.
कोलकाता स्थित ITC ने Iias के सवाल के जवाब में बताया कि होटल चेन अपने आप में एक वैल्यूएबल एसेट है, जिसके प्रति निवेशक आकर्षित होते हैं. मैनेजमेंट ने स्पष्ट किया कि ITC होटल्स में 40% हिस्सेदारी से न केवल ITC की स्थिरता बरकरार रहेगी, बल्कि भविष्य में फंड जुटाने के लिए अपने निवेश को कम करने का मौका भी रहेगा.
IiAS ने बताया कि होटल डिवीजन का रेवेन्यू काफी है और ये कंपनी के कुल रेवेन्यू का 3% है. इसके चलते ITC के होटल बिजनेस और दूसरे बिजनेस जैसे एग्रीकल्चर और FMCG के बीच सामंजस्य सीमित रह जाएगा. ITC ने कहा कि होटल बिजनेस अपने आप में परिपक्व हो चुका है और डेट और इक्विटी के जरिए अपना कैपिटल जुटाने में सक्षम है. ITC होटल्स की बैलेंस शीट 9,600 करोड़ रुपये की है और कंपनी पर कोई कर्ज भी नहीं है.
इस पर IiAS ने कहा, 'भले ही ITC होटल्स कंपनी के मौजूदा बिजनेस में मजबूती नजर आ रही है, लेकिन होटल बिजनेस में ऑपरेटिंग लीवरेज ज्यादा होता है और रेवेन्यू में भी उतार-चढ़ाव दिखता है. इस वजह से आने वाले कुछ साल में ITC लिमिटेड से ITC होटल्स को कैपिटल की जरूरत पड़ सकती है'. IiAS के मुताबिक, ITC होटल्स की कंपटीटर इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड ने बीते 5 साल में 3,980 करोड़ रुपये का फंड जुटाया है.
एक अन्य संस्था इनगवर्न रिसर्च (InGovern Research) ने इसके सपोर्ट में अपना मत दिया. हालांकि, इसने कम हिस्सेदारी रखने वाले माइनॉरिटी शेयरहोल्डर्स के लिए ITC होटल्स को ITC का नाम इस्तेमाल करने के लिए रॉयल्टी फीस के साथ पेरेंट कंपनी से भविष्य में कैपिटल इनफ्लो को लेकर चिंता जताई.
होटल डीमर्जर प्लान निवेशकों को भी रास नहीं आया. इसमें ITC ने पूरी तरह से अलग होने का प्लान नहीं बनाया था.
ITC के 36 लाख निवेशक इस रिजॉल्यूशन में हिस्सेदारी लेंगे. इलेक्ट्रॉनिक मोड के जरिए, 22 मई से शुरू हुई वोटिंग 5 जून को बंद होगी. इसे प्रस्ताव को मंजूरी के लिए 75% निवेशकों की जरूरत होगी.
ITC की कोई प्रोमोटर होल्डिंग नहीं है. ब्रिटिश अमेरिकन टोबैको (BAT) के पास ITC लिमिटेड में सबसे ज्यादा 25.49% हिस्सेदारी है. इसके बाद LIC की कंपनी में 15.2% और यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया की 7.81% हिस्सेदारी है.
डीमर्जर डॉक्यूमेंट के मुताबिक, BAT ने डीमर्जर के सपोर्ट में वोट किया है. BAT के पास ITC होटल्स में 15.32% हिस्सेदारी होगी. हालांकि, BAT का कोई भी प्रतिनिधि होटल बिजनेस में अपनी सहभागिता नहीं रखेगा.