इंश्योरेंस सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए सरकार नियम में कर सकती है बदलाव

140 करोड़ के लोगों के देश में इंश्योरेंस की पहुंच 5% से भी कम लोगों के पास है, जो निवेशकों के लिए संभावना का संकेत है.

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भारत सरकार इंश्योरेंस सेक्टर (Insurance Sector) को बढ़ावा देने के लिए नियमों में बदलाव पर विचार कर रही है. सरकार ऐसा इसलिए कर रही है क्योंकि इंश्योरेंस सेक्टर में कई विदेशी और भारतीय कंपनियां एंट्री के लिए कतार में हैं.

इंश्‍योरेंस रेगुलेटर IRDAI के चेयरमैन देबाशीष पांडा ने ब्लूमबर्ग को बताया कि इंश्योरेंस कानूनों में संशोधन के प्रस्तावों में वाजिब पूंजी की जरूरतों, कम्पोजिट रजिस्ट्रेशन, इंटरमीडियरीज के लिए वन टाइम रजिस्ट्रेशन, बीमाकर्ताओं की वैल्यू एडेड सर्विस और अन्य वित्तीय प्रोडक्ट की बिक्री इसमें शामिल है.'

पांडा ने कहा कि चार नई कंपनियों ने पिछले साल देश के इंश्योरेंस सेक्टर में प्रवेश किया है और कुछ और एनरोलमेंट के अलग अलग चरण में हैं, जो कारोबारी माहौल के अनुकूल होने का संकेत देता है.

टेक्नोलॉजी और पूंजी की जरूरत

पांडा ने ये भी कहा है कि मध्यम वर्ग और युवा आबादी में बढ़ोतरी हुई है. इसके साथ डिस्पोजेबल आय में भी बढ़ोतरी हुई है. वहीं, टेक्नोलॉजी का व्यापक इस्तेमाल कई संभावनाएं जगाता है. उन्होंने बताया कि इस सेक्टर में अधिक टेक्निकल क्षमता, विशेषज्ञता, टेक्नोलॉजी और पूंजी की जरूरत है.

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निवेशकों के लिए संभावना

140 करोड़ के लोगों के देश में इंश्योरेंस की पहुंच 5% से भी कम लोगों के पास है, जो निवेशकों के लिए संभावना का संकेत है. भारत विदेशी निवेशकों को बीमा कंपनियों में 74% तक हिस्सेदारी रखने की अनुमति देता है. अमेरिकन इंटरनेशनल ग्रुप और प्रूडेंशियल फाइनेंशियल जैसी वैश्विक कंपनियां पहले से ही अपने लोकल पार्टनर्स के माध्यम से भारत में मौजूद हैं.

भारत में इंश्योरेंस कंपनियों के एसेट्स अंडर मैनेजमेंट 60 लाख करोड़ रुपये (731 बिलियन डॉलर) को पार कर गया है - जो कि पोलैंड और स्वीडन सहित कई देशों की अर्थव्यवस्था से भी बड़ा है. इस साल इंश्योरेंस सेक्टर में 13.7% की बढ़ोतरी हुई है.

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