India-UK FTA भारतीय IT सेक्टर के लिए कई फायदे वाला सौदा साबित होने वाला है. इससे कंपनियां अपने कर्मचारियों को आसानी से UK में डिप्लॉय कर पाएंगी. जिससे कहीं ना कहीं ऑपरेशनल कॉस्ट में तो कमी आएगी ही साथ में बाजार में कंपटीशन भी बढ़ेगा.
इस समझौते से भारत के IT, फाइनेंशियल, प्रोफेशनल सर्विस के साथ एजुकेशनल सर्विस को भी फायदा मिलेगा. पारिख कंसल्टेंसी के CEO पारिख जैन कहते हैं कि 'IT कंपनियां अब आसानी से अपने कर्मचारियों को क्लाइंट की जगह पर भेज सकेंगी, इससे कंपनियों की कॉस्ट कम होगी, जिससे नए प्लान पर काम किया जा सकेगा.'
'UK में सब-कॉन्ट्रैक्टर की अब जरूरत नहीं'
इसके अलावा, FTA में डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन से भारतीय IT के कर्मचारी सोशल सिक्योरिटी योगदान से भी बच जाएंगे. जिसका योगदान सैलरी के 20% के बराबर होता है. साथ ही UK में सब-कॉन्ट्रैक्टर की अब जरूरत नहीं होगी जिससे लागत कम हो जाएगी, क्योंकि इन कॉन्ट्रैक्टर को काम पर रखना बहुत ही महंगा है.
'AI, साइबर सुरक्षा के लिए नए रास्ते खुलेंगे'
नैसकॉम ने एक बयान में कहा, इस डबल कंट्रीब्यूशन को खत्म करना भारतीय IT कंपनियों के साथ दूसरे सर्विस प्रोवाइडर को राहत देगा. ये छूट न केवल यूके में भारतीयों को बल्कि दूसरे पेशेवरों के लिए नए अवसर पैदा करेगी, जिससे वे यूके की अर्थव्यवस्था में योगदान दे सकेंगे. नैसकॉम ने कहा कि 'इससे AI, साइबर सुरक्षा के लिए नए रास्ते खोलेगी. साथ ही स्टार्टअप और इनोवेटर्स के लिए पॉजिटिव माहौल बनेगा.'
यूरोप भारतीय IT कंपनियों के लिए बड़ा बाजार
अमेरिका के बाद, यूरोप भारतीय IT कंपनियों के लिए सबसे बड़ा बाजार है. TCS अपने रिवेन्यू का 31% यूरोप से, 16.8% UK से, इन्फोसिस 31.2% यूरोप से, विप्रो 27.1% यूरोप से और एचसीएल 29.2% रिवेन्यू यूरोप से लेते हैं. इस डील के बाद भारतीय IT कंपनियां यूके के बाजार में बेहतर प्रतिस्पर्धा करेंगी. साथ ही छोटे सौदे भी कर सकेंगी, क्योंकि उनके पास बेहतर कर्मचारी मौजूद हैं.