इंफोसिस (Infosys) के को-फाउंडर नारायण मूर्ति (Narayana Murthy) के मुताबिक भारत का ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनने का सपना देखना अभी जल्दबाजी है. उन्होंने इसके पीछे सरकारी कामकाज में दिक्कतों और श्रमिकों में निराशा की भावना को वजह बताया. मूर्ति ने बेंगलुरु में इलेक्ट्रॉनिक्स सिटी इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के टेक समिट 2024 में कहा कि चीन पहले ही दुनिया की फैक्ट्री बन चुका है क्योंकि वो अनुशासित हैं.
चीन में लोग काम करते हैं: नारायण मूर्ति
मूर्ति ने कहा कि 'चीन में लोग काम करते हैं और हमारी तरह बहस नहीं करते. इसलिए चीन की GDP भारत की छह गुना है और इसलिए ये कहना बहुत जल्दबाजी है कि हम मैन्युफैक्चरिंग हब बन जाएंगे.' उनके मुताबिक भारत अभी हब बनने से बहुत दूर है. ये सभी बडे़ शब्द हैं जिनका हमें इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
मूर्ति ने ये भी कहा कि ये सपना पूरा करना बहुत मुश्किल है, जिस तरीके से देश में सरकारें काम करती हैं. उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से भारत में पब्लिक गवर्नेंस सिस्टम्स में रिस्पॉन्स टाइम, पारदर्शिता, जवाबदेही, स्पीड और एक्सीलेंस में अभी भी सुधार की जरूरत है. इसमें सुधार आएगा, लेकिन अभी समय लगेगा.
उम्मीद है कि सरकार ज्यादातर रूकावटों को हटा देगी: मूर्ति
मूर्ति के मुताबिक मैन्युफैक्चरिंग की ग्रोथ में समय लगेगा, जब तक सरकार और इंडस्ट्री के फायदे के लिए इन दिक्कतों को घटाने के लिए व्यवस्था मौजूद हो. उन्होंने बताया कि 'इसमें विदेश पर निर्भर होने वाले इंडस्ट्रीज के समान स्तर पर ग्रोथ नहीं देखने को मिलेगी. मेरा मानना है कि सरकार इस पर काम कर रही है और मुझे उम्मीद है कि वो ज्यादातर रूकावटों को हटा देंगे.'
इससे पहले दिग्गज टंक कंपनी इंफोसिस के को-फाउंडर मूर्ती के बयान से देश में बहस को पैदा किया था. उन्होंने कहा था कि देश में युवाओं को एक हफ्ते के दौरान 70 घंटे काम करना चाहिए. उनके मुताबिक हमारे देश में प्रोडक्टिविटी लेवल दुनिया में सबसे कम में से एक है.