RBI का लेनदारों को निर्देश, फ्रॉड के मामलों में कर्जदारों को स्पष्टीकरण का मौका दें

RBI ने रेगुलेटेड एंटिटी के लिए फ्रॉड रिस्क मैनेजमेंट पर रिवाइज्ड मास्टर डायरेक्शन जारी किया है.

Source: Vijay Sartape/NDTV Profit

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सोमवार को फ्रॉड रिस्क मैनेजमेंट पर तीन रिवाइज्ड मास्टर डायरेक्शन जारी किए हैं. RBI ने कमर्शियल बैंकों, सहकारी बैंकों और NBFCs के लिए भी रिवाइज्ड डायरेक्शन दिया है. RBI का उद्देश्य REs में बोर्ड की भूमिका को मजबूत करने का लक्ष्य है. RBI मजबूत इंटरनल ऑडिट और कंट्रोल्स फ्रेमवर्क की आवश्यकता पर जोर देना चाहता है.

इन डायरेक्शन के माध्यम से रेगुलेटर ने मार्च 2023 से सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुरूप व्यक्तियों/संस्थाओं को फ्रॉड के रूप में वर्गीकृत करते हुए सभी रेगुलेटेड संस्थाओं के लिए प्रिंसिपल्स ऑफ नैचुरल जस्टिस के कंप्लायंस की जरूरत पर जोर दिया है.

एकतरफा फ्रॉड घोषित नहीं कर सकते

सुप्रीम कोर्ट का फैसला State Bank of India and Ors v. Rajesh Agarwal and Ors के मामले में था. तब इसमें कहा गया था कि बैंक डिफॉल्टर को सुनवाई का अधिकार दिए बिना किसी खाते को एकतरफा फ्रॉड घोषित नहीं कर सकते.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इन सिद्धांतों के तहत, बॉरोअर्स को फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट के निष्कर्ष को समझाने के लिए एक नोटिस दिया जाना चाहिए. इससे उन्हें अपने खाते को फ्रॉड के रूप में वर्गीकृत किए जाने से पहले, लेंडर्स के सामने खुद को समझाने का अवसर मिलेगा.

बैंकों के लिए क्या बदला?

रिवाइज्ड मास्टर डायरेक्शन के माध्यम से रेगुलेटर ने अर्ली वार्निंग सिग्नल्स, रेड फ्लैगिंग ऑफ एकाउंट्स और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को समय पर रिपोर्टिंग को मजबूत किया है. इसने इस बात पर जोर दिया है कि बेहतर रिस्क मैनेजमेंट सिस्टम्स के लिए सभी रेगुलेटेड एंटिटी के पास डेटा एनालिटिक्स और मार्केट इंटेलिजेंस यूनिट होनी चाहिए.

RBI ने मजबूत इंटरनल ऑडिट और कंट्रोल्स फ्रेमवर्क की आवश्यकता पर जोर दिया है.

कमर्शियल बैंकों को फ्रॉड रिस्क मैनेजमेंट में कुछ बदलाव इस प्रकार होंगे:

  • फ्रॉड रिस्क मैनेजमेंट पर बोर्ड द्वारा एप्रूव्ड नीति होगी.

  • बैंकों को धोखाधड़ी में शामिल संस्थाओं और प्रमोटरों/पूर्णकालिक निदेशक आदि को विस्तृत कारण बताओ नोटिस जारी करना होगा, जिनके खिलाफ फ्रॉड के आरोपों की जांच की जा रही है.

  • कारण बताओ नोटिस दिए जाने के बाद व्यक्तियों/संस्थाओं को जवाब देने के लिए कम से कम 21 दिनों का उचित समय दिया जाना चाहिए.

  • बैंकों के पास कारण बताओ नोटिस जारी करने, संस्थाओं द्वारा दिए गए जवाबों की जांच के लिए एक सुव्यवस्थित प्रणाली होगी. ये उन्हें 'धोखाधड़ी' घोषित करने से पहले होना चाहिए.

  • लेंडर्स को खाते को फ्रॉड्स के रूप में वर्गीकृत करने के बारे में बैंक के निर्णय के साथ संस्थाओं को एक तर्कसंगत आदेश देना होगा.

  • बैंकों को फ्रॉड के मामलों की निगरानी और फॉलो-अप केस कार्रवाई के लिए बोर्ड की एक विशेष समिति' की भी आवश्यकता होगी. इसमें बोर्ड के कम से कम तीन सदस्य होने चाहिए और इसकी अध्यक्षता इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स या नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर्स में से एक को करनी चाहिए.

इनके अलावा, बैंकों को बोर्ड द्वारा एप्रूव्ड फ्रॉड रिस्क मैनेजमेंट पालिसी के तहत प्रारंभिक चेतावनी संकेतों और खातों की रेड फ्लैगिंग के लिए एक रूपरेखा की भी आवश्यकता होती है.

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RBI के मुताबिक, रेड-फ्लैग्ड अकाउंट वो है जहां अर्ली वार्निंग सिग्नल्स के एक या अधिक सिग्नल्स की उपस्थिति से फ्रॉड गतिविधि का संदेह उत्पन्न होता है, जिससे संभावित फ्रॉड के दृष्टिकोण से गहरी जांच की जाती है.

RBI ने संशोधित निर्देशों में कहा है कि ऐसे मामलों में जहां क्रेडिट सुविधा या लोन अकाउंट को रेड-फ्लैग अकाउंट के रूप में क्लासिफाई किया जाता है. बैंकों को आगे की जांच के लिए बाहरी ऑडिट या आंतरिक ऑडिट का उपयोग करने की आवश्यकता होगी. ये भी बोर्ड द्वारा एप्रूव्ड नीति के अनुरूप होना चाहिए.

रेगुलेटर ने मौजूदा 36 सर्कुलर्स को वापस ले लिया है. नए नियम सभी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, ग्रामीण सहकारी बैंकों और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों पर भी लागू कर दिए गए हैं.