रेलिगेयर एंटरप्राइजेज (Religare Enterprises) में चल रहे मौजूदा विवाद में रोज कुछ न कुछ खबर आती रहती है. कई मुद्दों पर विवादों के चलते रश्मि सलूजा (Rashmi Saluja) की निदेशक के रूप में फिर से नियुक्ति को लेकर विरोध नहीं थम रहा है. अब दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को रेलिगेयर एंटरप्राइजेज लिमिटेड की वार्षिक आम बैठक (AGM) को रोकने के लिए अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया.
रश्मि सलूजा ने रेलिगेयर एंटरप्राइजेज के निदेशक के रूप में खुद को हटाए जाने के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया था, क्योंकि वो 2028 तक अपनी वर्तमान भूमिका में बने रहना चाहती थीं. रेलिगेयर AGM 7 फरवरी को होने वाली है. फाइलिंग कॉपी में आगे उल्लेख किया गया है कि सलूजा रोटेशन द्वारा सेवानिवृत्ति से बचना चाहती थीं.
इस मामले की सुनवाई दिल्ली हाई कोर्ट में न्यायमूर्ति पीके कौरव की पीठ के समक्ष हुई है
रश्मि सलूजा की याचिका में कंपनी अधिनियम की धारा 152 (6) को चुनौती दी गई थी, जिसके अनुसार स्वतंत्र निदेशकों को छोड़कर बोर्ड के एक तिहाई सदस्यों को हर साल सेवानिवृत्त होना पड़ता है. एकमात्र कार्यकारी निदेशक के रूप में सलूजा को इस नियम के तहत हर साल सेवानिवृत्त होना पड़ता था.
सलूजा आगामी वार्षिक आम बैठक में प्रस्ताव को रोकना चाहती हैं, जिसका उद्देश्य रेलिगेयर में उनके स्थान पर एक निदेशक की नियुक्ति करना है. उन्होंने कहा कि ये प्रस्ताव अवैध है क्योंकि कंपनी अधिनियम, 2013 के अनुसार उनका कार्यकाल पांच साल का है और उनके कॉन्ट्रैक्चुअल अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है. उन्हें 2020 में इस भूमिका में नियुक्त किया गया था. सलूजा की मुख्य मांग ये है कि रेलिगेयर को उन्हें बोर्ड से बाहर करने के प्रस्ताव पर मतदान करने या उसे लागू करने से रोका जाना चाहिए.
इस बीच, रेलिगेयर एंटरप्राइजेज में 500 शेयरों वाली माइनॉरिटी शेयर होल्डर सपना गोविंद राव ने डाबर फेम बर्मन परिवार द्वारा कंपनी की हिस्सेदारी के अधिग्रहण को रोकने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया है. राव ने इसके बजाय डैनी गायकवाड़ द्वारा दिए गए काउंटर ऑफर का समर्थन किया है, जिसे SEBI ने वापस कर दिया है.