JSW स्टील–भूषण पावर मामला: सुप्रीम कोर्ट ने दी यथास्थिति बनाए रखने की हिदायत, अंतिम फैसला लंबित

JSW स्टील को रिव्यू पिटीशन दाखिल करने की अनुमति दी गई है और इसके लिए समयसीमा अभी खुली है.

Source: NDTV Profit Gfx

JSW स्टील और भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड के बहुचर्चित मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम फैसला नहीं सुनाया है, लेकिन एक महत्वपूर्ण अंतरिम राहत दी है. कोर्ट ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) की कार्यवाही पर स्टेटस क्वो यानी यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है ताकि लिक्विडेशन जैसी किसी तरह की अपरिवर्तनीय कार्रवाई से बचा जा सके.

JSW स्टील को रिव्यू पिटीशन दाखिल करने की अनुमति दी गई है और इसके लिए समयसीमा अभी खुली है. सुप्रीम कोर्ट ने NCLT को निर्देश दिया है कि वह तब तक कोई प्रभावी आदेश पारित न करे, जब तक कि रिव्यू पिटीशन पर सुनवाई पूरी न हो जाए.

कोर्ट ने इन मुद्दों पर फोकस किया 

कोर्ट ने इस मामले में वित्तीय और कानूनी जटिलताओं को गंभीरता से नोट किया है. अदालत ने कहा कि रिजॉल्यूशन प्लान 5 साल पहले लागू हो चुका है और अब उसे पलटना कई पक्षों के हितों को प्रभावित कर सकता है. JSW स्टील ने इस योजना के तहत भुगतान कर अपनी सिक्योरिटीज भी लौटाई हैं और इसे 'अनवाइंड' करने से विदेशी बैंकों समेत अन्य स्‍टेकहोल्‍डर्स पर असर पड़ेगा.

लिक्विडेशन की मांग पर भी कोर्ट ने जताई चिंता

सुनवाई के दौरान पूर्व प्रवर्तकों की ओर से कंपनी के लिक्विडेशन की मांग पर भी कोर्ट ने चिंता जताई. कोर्ट ने कहा कि वे 7 साल पहले कंपनी छोड़ चुके हैं, लेकिन अब NCLT के सामने रोज नई अर्जियां लगाई जा रही हैं, जिससे मामला उलझ रहा है.

10 जून के बाद सुनवाई की संभावना

सॉलिसिटर जनरल और वरिष्ठ वकीलों ने बैंकों और दोनों पक्षों की ओर से दलीलें पेश कीं. कोर्ट ने जोर देकर कहा कि किसी चलती हुई कंपनी को लिक्विडेट करने से पहले निष्पक्षता और उचित प्रक्रिया बेहद जरूरी है.

अब ये मामला कोर्ट की छुट्टियों के बाद फिर से सुना जाएगा और 10 जून के बाद सुनवाई की संभावना है. तब तक सभी पक्षों को यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया गया है. अदालत ने कहा कि जल्दबाजी में किया गया लिक्विडेशन बैंकों, कर्जदाताओं और JSW स्टील को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है.

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