Hindenburg New Report: शॉर्टसेलर हिंडनबर्ग के आरोपों पर SEBI चीफ माधबी पुरी बुच का विस्तृत जवाब

माधबी पुरी बुच ने शॉर्टसेलर हिंडनबर्ग के सभी आरोपों का सिलसिलेवार तरीके से विस्तृत जवाब दिया है. शनिवार को उन्होंने एक जवाब जारी किया था और ये कहा था कि वो जल्द ही विस्तृत जवाब लेकर आएंगी.

Source: NDTV Profit

शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग के आरोपों का SEBI चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने विस्तृत जवाब दिया है. 10 अगस्त, शनिवार को हिंडनबर्ग ने एक नई रिपोर्ट में दावा किया है कि माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की अदाणी ग्रुप से जुड़ी ऑफशोर कंपनी में हिस्सेदारी है. इसके बाद माधबी पुरी बुच ने इसका जवाब दिया, आरोपों को निराधार और चरित्र हनन की एक कोशिश बताई.

अदाणी ग्रुप भी हिंडनबर्ग की इस नई रिपोर्ट को नकार चुका है. अदाणी ग्रुप ने कहा कि वो इन रीसाइक्लिंग कर के लाए गए आरोंपों का पूरी तरह से खंडन करता है. इन सारे आरोपों की पहले ही विस्तृत जांच की जा चुकी है और ये सभी आरोप आधारहीन साबित हो चुके है. सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2023 में इन सभी आरोपों को खारिज कर दिया था.

अब 11 अगस्त,रविवार की शाम को माधबी पुरी बुच की तरफ से एक विस्तृत बयान जारी किया गया है और सिलसिलेवार तरीके से उन आरोपों का जवाब दिया है, जो शॉर्टसेलर ने माधबी पुरी बुच और उनके पति पर लगाए हैं.

निवेश वाले 'फंड' को लेकर जवाब

नए जवाब में माधबी पुरी बुच ने कहा है कि शॉर्टसेलर ने जिस फंड का जिक्र किया है, उसमें निवेश साल 2015 में किया गया था, जब वो दोनों (माधबी पुरी बुच और धवल बुच) सिंगापुर के प्राइवेट सिटिजन हुआ करते थे, ये निवेश माधबी पुरी के SEBI ज्वाइन करने के दो साल पहले यहां तक कि पूर्ण कालिक सदस्य बनने के पहले किया गया था.

अपने जवाब में SEBI चीफ बताती हैं कि इस फंड में निवेश करने का फैसला फंड के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर अनिल आहूजा की सलाह पर किया गया, जो कि धवल के बचपन और IIT दिल्ली के दोस्त हैं, आहूजा ने सिटीबैंक, जे पी मॉर्गन और 3i ग्रुप जैसी संस्थाओं में काम किया था, उनके पास निवेश को लेकर कई दशकों का अनुभव था. इसी वजह से ये निवेश किया गया, इस बात से पता चलता है कि जब साल 2018 में आहूजा ने फंड के CIO के रूप में अपना पद छोड़ दिया, तो हमने उस फंड से अपना निवेश रिडीम कर लिया. अनिल आहूजा ने इस बात की पुष्टि की है कि किसी भी समय फंड ने किसी भी अदाणी ग्रुप की कंपनी के बॉन्ड, इक्विटी या डेरिवेटिव में निवेश नहीं किया.

धवल बुच की नियुक्ति का जवाब

अपनी रिपोर्ट में हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया कि धवल बुच को रियल एस्टेट को लेकर कोई अनुभव नहीं था, इस पर अपनी सफाई में उनका कहा है कि धवल बुच की 2019 में ब्लैकस्टोन प्राइवेट इक्विटी के सीनियर एडवाइजर के तौर पर नियुक्ति हुई, क्योंकि उनकी सप्लाई चेन मैनेजमेंट में गहरी विशेषज्ञता थी.

इस तरह उनकी ये नियुक्ति SEBI चीफ के रूप में माधबी पुरी की नियुक्ति से पहले की है. ये नियुक्ति तब से पब्लिक डोमेन में है. धवल कभी भी ब्लैकस्टोन के रियल एस्टेट सेगमेंट से नहीं जुड़े रहे हैं. ध्यान देने वाली बात ये है कि धवल की इस नियुक्ति के बाद ही ब्लैकस्टोन ग्रुप को तुरंत SEBI के पास माधबी की 'अस्वीकृति सूची' में जोड़ दिया गया.

REIT मामले पर जवाब

माधबी पुरी बुच अपने नए जवाब में लिखती हैं कि पिछले दो वर्षों में, SEBI ने पूरे मार्केट इको-सिस्टम में 300 से ज्यादा सर्कुलर जारी किए हैं. SEBI के सभी नियमों को व्यापक सार्वजनिक परामर्श के बाद इसके बोर्ड (इसके चेयरपर्सन से नहीं) से पास करवाया जाता है, ये संकेत कि REIT इंडस्ट्री से जुड़े इनमें से कुछ मामले किसी खास पार्टी के पक्ष में थे, ऐसा आरोप दुर्भावनापूर्ण है.

इन्होंने साफ किया कि सिंगापुर में रहने के दौरान माधबी की ओर से बनाई गई दो कंसल्टिंग फर्म्स, एक भारत में और एक सिंगापुर में, SEBI में उनकी नियुक्ति के तुरंत बाद ही खत्म कर दी गईं. ये कंपनियां (और उनमें उनकी हिस्सेदारी) SEBI को दिए गए डिस्क्लोजर में शामिल थीं.

माधबी पुरी बुच की 'सैलरी' पर जवाब

2019 में धवल बुच के यूनिलीवर से रिटायर होने के बाद उन्होंने इन कंपनियों के जरिए अपनी खुद की कंसल्टेंसी प्रैक्टिस शुरू की. सप्लाई चेन में धवल की गहरी एक्सपर्टीज की वजह से उन्हें भारतीय उद्योग में बड़े क्लाइंट्स के साथ काम करने का मौका मिला. इस तरह, इन कंपनियों में कमाई को माधबी की मौजूदा सरकारी सैलरी से जोड़ना दुर्भावनापूर्ण है.

कारण बताओ नोटिस का जवाब देने की बजाय...

अपने जवाब में माधबी पुरी बुच और धवल बुच ने लिखा है कि जब सिंगापुर एंटिटी की शेयरहोल्डिंग धवल के पास चली गई, तो इसकी जानकारी न केवल SEBI को, बल्कि सिंगापुर अधिकारियों और भारतीय इनकम टैक्स अधिकारियों को भी दी गई थी.

आगे वो लिखते हैं - हिंडनबर्ग को भारत में कई तरह के उल्लंघनों के लिए कारण बताओ नोटिस दिया गया है. ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि कारण बताओ नोटिस का जवाब देने की बजाय, इसने SEBI की विश्वसनीयता पर हमला करना और SEBI चेयरपर्सन के चरित्र हनन को कोशिश को चुना.