मार्केट रेगुलेटर SEBI की पूर्व चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच को लोकपाल से क्लीन चिट मिल गई है. एंटी करप्शन संस्था/लोकपाल ने कहा है कि उनके खिलाफ जांच शुरू करने लायक कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं.
शॉर्टसेलर हिंडनबर्ग ने बुच के खिलाफ भ्रष्टाचार संबंधित अनर्गल आरोप लगाए थे और अदाणी ग्रुप के साथ इन आरोपों को जोड़ दिया था, जिन्हें पूर्व SEBI चीफ ने मनगढंत और बेबुनियाद बताया था. अदाणी ग्रुप ने भी इन आरोपों को आरोपों को निराधार और साजिश के तहत रेगुलेटर की साख को खराब करने वाला बताया था. अब लोकपाल के आदेश से ये तस्वीर भी पूरी तरह से साफ हो चुकी है.
बुच के खिलाफ कोई सबूत नहीं
आदेश में कहा गया,'शिकायतों में लगाए गए आरोप सिर्फ अंदाजे और अनुमान पर आधारित हैं. इनके साथ कोई भी ऐसा प्रमाण नहीं है जो साफ तौर पर ये दिखाए कि 1988 के कानून के तहत कोई अपराध हुआ है. इसलिए इन शिकायतों को बंद किया जाता है.' इसका मतलब ये है कि माधबी पुरी बुच के खिलाफ कोई जांच नहीं की जाएगी.
6 सदस्यों वाली पीठ, जिसकी अध्यक्षता लोकपाल के चेयरपर्सन जस्टिस AM खानविलकर ने की, ने कहा कि सभी आरोप तर्कहीन, अप्रमाणित और लगभग निराधार हैं.
आदेश में लोकपाल ने स्पष्ट किया
शिकायतें सिर्फ 'अनुमान और अंदाजों' पर आधारित हैं.
कोई भी आरोप ऐसा नहीं है जिसे किसी जांच की जरूरत पड़े.
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को किसी भी कार्रवाई का आधार नहीं बनाया जा सकता.
आरोप तर्कहीन, अप्रमाणित और लगभग निराधार हैं.
कब-कब क्या हुआ?
8 नवंबर 2024: लोकपाल ने बुच को शिकायतों पर अपना पक्ष रखने को कहा.
7 दिसंबर 2024: बुच ने हलफनामे के ज़रिए सभी आरोपों पर विस्तार से जवाब दिया.
19 दिसंबर 2024: लोकपाल ने दोनों पक्षों को मौखिक सुनवाई का मौका देने का फैसला किया.
9 अप्रैल 2025: मौखिक सुनवाई की गई, जहां बुच के वकीलों ने लंबा पक्ष रखा.
अन्य शिकायतकर्ताओं की ओर से भी दस्तावेज़ और लिखित तर्क जमा किए गए.
एक शिकायतकर्ता ने केवल लिखित जवाब दिया, जबकि न तो वह और न ही उसका वकील मौखिक सुनवाई में उपस्थित हुए.
बेबुनियाद आरोप, साख को नुकसान की कोशिश
2024 में हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि तत्कालीन SEBI चीफ और उनके पति की कुछ विदेशी फंड्स में हिस्सेदारी है. इन फंड्स का कथित तौर पर हेराफेरी में इस्तेमाल हुआ. रिपोर्ट के बाद TMC सांसद महुआ मोइत्रा सहित तीन लोगों ने लोकपाल में शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायतों में आरोप लगाया गया था कि बुच ने बतौर SEBI चीफ अपने पद का दुरुपयोग किया और निजी लाभ उठाया.
बुच ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा था कि हिंडनबर्ग एक 'शॉर्ट सेलर' है और उसका मकसद शेयर बाजार रेगुलेटर की साख पर सवाल उठाना है. उन्होंने इसे चरित्र हनन की कोशिश भी बताया था.