सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह की दो कंपनियों के तीन करोड़ से अधिक निवेशकों को 15 फीसदी ब्याज के साथ 24 हजार करोड़ रुपये की रकम लौटाने के लिए सहारा समूह को नौ सप्ताह का समय और दे दिया, लेकिन सहारा समूह को तत्काल 5,120 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा।
प्रधान न्यायाधीश अलतमस कबीर, न्यायमूर्ति एसएस निज्जर और न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर की खंडपीठ ने सहारा समूह को निर्देश दिया कि बाजार नियामक सेबी को वह तत्काल 5,120 करोड़ रुपये का डिमान्ड ड्राफ्ट दे। न्यायाधीशों ने कहा कि शेष रकम दो किस्तों में फरवरी के शुरू तक सेबी के पास जमा कराना होगा।
न्यायालय के निर्देशानुसार सहारा समूह को 10 हजार करोड़ रुपये की पहली किस्त का भुगतान जनवरी, 2013 में और शेष राशि का भुगतान फरवरी के प्रथम सप्ताह में करना होगा। सेबी और निवेशकों के एक संगठन ने न्यायालय के इस आदेश पर कड़ी आपत्ति की। इन दोनों का तर्क था कि उनका पक्ष सुने बगैर ही न्यायालय ने यह निर्देश दे दिया है। इस मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीशों ने कहा कि इस समय ऐसा लगता है कि सहारा समूह शीर्ष अदालत के 31 अगस्त के निर्देशों के अनुरूप एक बार में सारी रकम का भुगतान करने की स्थिति में नहीं है।
न्यायाधीशों ने कहा, हमने जमाकर्ताओं की न कि कंपनी की चिंता को ध्यान में रखते हुए थोड़ उदार रुख अपनाया है। न्यायालय ने आज के आदेश के साथ 31 अगस्त के शीर्ष अदालत के फैसले में सुधार कर दिया है। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में सहारा समूह को निवेशकों का धन लौटाने के लिए तीन महीने का वक्त दिया था। इसकी अंतिम समय सीमा नवंबर में खत्म हो गई थी।