लखनऊ के ट्रांसपोर्ट नगर में ऑटो-रिक्शा चलाने वाले फहीम अपनी बजाज RE ई-टेक 9.0 को रिचार्ज करने के लिए रोजाना करीब 100 रुपये खर्च करते हैं. वो रोजाना करीब 160 किलोमीटर ड्राइव करते हैं. अपनी EV को दिन में एक बार चार्ज करते हैं.
अहमदाबाद के वस्त्रपुर में महेशभाई अपनी बजाज RE CNG ऑटो को रोजाना 300 रुपये में ईंधन भरवाते हैं. ये 180-200 किलोमीटर की रोजाना ड्राइविंग के लिए काफी है.
ई-रिक्शा और CNG ऑटो के लिए प्रति किलोमीटर की कमाई एक समान है. अनिवार्य रूप से एक ई-रिक्शा की रेंज CNG ऑटो के समान ही होती है. लेकिन "ईंधन भरने" की कीमत एक तिहाई होती है. फिर भी, गुजरात ने वास्तव में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा नहीं दिया है, लेकिन उत्तर प्रदेश ने बड़े पैमाने पर इसे अपनाया है.
2024 में उत्तर प्रदेश में 40,142 इलेक्ट्रिक ऑटोरिक्शा बेचे गए. गुजरात में ये आंकड़ा 1,070 रहा. क्लीन मोबिलिटी शिफ्ट से एकत्रित और प्राप्त वाहन डेटा के मुताबिक, EV एंट्री 53.82% और 1.69% रही.
ये तब है, जब कुल यात्री तिपहिया वाहनों की बिक्री UP में 74,581 यूनिट और गुजरात में 63,244 यूनिट के बराबर थी. उद्योग पर नजर रखने वालों, कंपनी के अधिकारियों और खुद ऑटो चालकों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में EV अपनाने के मामले में कई कारण हैं.
रेगुलेटरी फ्रेमवर्क: गुजरात और यहां तक कि महाराष्ट्र में भी दो दशक पहले जब CNG तकनीक पहली बार तिपहिया वाहनों में दिखाई दी थी. संबंधित राज्य सरकारों ने क्लीन मोबिलिटी को अपनाने पर जोर दिया. उत्तर प्रदेश सहित उत्तरी भारत में ऐसा नहीं था.
बजाज ऑटो में इंट्रासिटी बिजनेस यूनिट के अध्यक्ष समरदीप सुबंध ने मंगलवार को लखनऊ में NDTV प्रॉफिट को बताया, 'मुंबई हमेशा CNG के लिए खुला था, उत्तर प्रदेश के शहरों में ICE और CNG तिपहिया वाहनों दोनों को हर महीने बेची जाने वाली यूनिट्स के मामले में भारी रेगुलेटरी फ्रेमवर्क का सामना करना पड़ता है. लेकिन लखनऊ जैसे शहर में आवागमन की डिमांड शहर के विकास के साथ बढ़ रही थी. इलेक्ट्रिक तिपहिया वाहन पर वो रेगुलेटरी लिमिट नहीं है और इस तरह ये बाजार तेजी से EV में बदल गया. लखनऊ में क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय ने शहर में CNG ऑटो चलाने के लिए परमिट जारी करना बंद कर दिया है. वहीं, ई-रिक्शा के लिए ऐसा कोई परमिट ही नहीं है. इसका मतलब है कि ड्राइवर शोरूम में जाकर ई-रिक्शा खरीद सकता है. उसे रजिस्टर करवा सकता है और तुरंत यात्रियों को ले जाना शुरू कर सकता है. ये प्रक्रिया बिल्कुल वैसी ही है जैसे आप और मैं कार खरीदते हैं.
स्विच करने में हुई दिक्कत: CNG से चलने वाली आखिरी मील कनेक्टिविटी में गुजरात को जो शुरुआती लाभ मिला, उसका नतीजा ये हुआ कि भारत में CNG ईंधन स्टेशनों का सबसे बड़ा नेटवर्क बन गया. 2023 तक भारत में पांच में से एक CNG पंप उत्तर प्रदेश में था. उत्तर प्रदेश में CNG नेटवर्क गुजरात के नेटवर्क का आधा है. गुजरात के ऑटो चालकों को CNG की आसान उपलब्धता के कारण इलेक्ट्रिक मोबिलिटी पर स्विच करना मुश्किल हो गया है. UP के पास इसके अलावा कोई विकल्प नहीं था.
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प्रति व्यक्ति आय: पश्चिमी राज्य (गुजरात) में ऑटो चालक और यात्री CNG ऑटो चलाने से जुड़ी उच्च लागत को बेहतर तरीके से वहन कर सकते हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, गुजरात की प्रति व्यक्ति आय 2023 में 2.75 लाख रुपये थी, जबकि उत्तर प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय 1 लाख रुपये से कम थी.
बजाज ऑटो के CNG ऑटो-रिक्शा की कीमत रजिस्ट्रेशन और परमिट शुल्क को छोड़कर 2.90 लाख रुपये से कम है. EV वैरिएंट की कीमत 3.25 लाख रुपये से शुरू होती है, लेकिन इस पर कम रोड टैक्स और सब्सिडी भी मिलती है.
सामाजिक कारण: उत्तर प्रदेश की आबादी गुजरात से चार गुना ज्यादा है, ये राज्य देश का सबसे बड़ा तिपहिया मार्केट है. इसके अलावा, ये गुजरात से भी बड़ा पर्यटन स्थल है- आगरा, अयोध्या, प्रयागराज और वाराणसी में करोड़ों घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पर्यटक आते हैं. इस बीच, गुजरात में ज्यादातर घरों में एक से अधिक दोपहिया वाहन हैं- जो अक्सर परिवार के छोटे सदस्यों के लिए स्कूटर होते हैं. राज्य में रिक्शा की तुलना में इलेक्ट्रिक स्कूटर का इस्तेमाल अधिक किया जा रहा है. पुणे के बाद अहमदाबाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा दोपहिया मार्केट है.