बैंकों के एनपीए पर यूपीए सरकार के 'कर्मों' का ब्याज चुका रही है हमारी सरकार : अरुण जेटली

एनपीए के मुद्दे पर कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को आरोप लगाया कि ज्यादातार एनपीए बड़ी कंपनियों के हैं जो यूपीए की देन हैं, यह विरासत में मिले हैं और यूपीए के 'कर्मों' पर वर्तमान सरकार ब्याज अदा कर रही है.

वित्त मंत्री अरुण जेटली (फाइल फोटो)

एनपीए के मुद्दे पर कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को आरोप लगाया कि ज्यादातार एनपीए बड़ी कंपनियों के हैं जो यूपीए की देन हैं, यह विरासत में मिले हैं और यूपीए के 'कर्मों' पर वर्तमान सरकार ब्याज अदा कर रही है. वर्ष 2017-18 के केंद्रीय बजट पर लोकसभा में चर्चा का जवाब देते हुए जेटली ने गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) पर कहा कि इसका कारण कांग्रेस नीत यूपीए सरकार द्वारा बैंकों का 'अति प्रबंधन' है और यह यूपीए की देन है, जो हमें विरासत में मिली है. हम उन पर ब्याज अदा कर रहे हैं.

जब कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली ने एनडीए सरकार में बैंक प्रबंधन में समस्या की बात कही तो जेटली ने कहा कि समस्या हमारे बैंक प्रबंधन में नहीं आपके बैंकों के 'अति प्रबंधन' की वजह से है. जेटली ने कहा कि 26 मई, 2014 को एनडीए सरकार के सत्ता में आने के बाद से किसी भी कारोबारी को एक रुपये का भी बैंक से फायदा नहीं पहुंचाया गया. उल्लेखनीय है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी वर्तमान केंद्र सरकार पर आरोप लगाते रहे हैं कि वह कारोबारी घरानों को फायदा पहुंचा रही है.

गैर-निष्पादित आस्तियों के बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि एनपीए का प्रतिशत इसलिए नहीं बढ़ा, क्योंकि हमने बिना जवाबदेही के ऋण दिए, बल्कि इनमें से अधिकांश ऋण 2007, 2008 और 2009 की अवधि में दिए गए, जब अर्थव्यवस्था में तेजी का दौर था.

वित्त मंत्री ने कहा कि आपका आरोप तो ऐसा है कि आपके पाप को हम नहीं सुधार रहे हैं, जबकि आपके कर्मों पर हम ब्याज दे रहे हैं. आप हमारे ऊपर ऐसे आरोप नहीं लगा सकते हैं. जेटली ने कहा कि यूपीए सरकार द्वारा काफी मात्रा में ऋण कुछ औद्योगिक घरानों को दिए गए और किसानों को नहीं दिए गए.

उन्होंने कहा कि जो दस्तावेज सामने आए हैं, उससे स्पष्ट होता है कि ये ऋण नॉर्थ ब्लॉक के हस्तक्षेप पर दिए गए और संबंधित बैंक अधिकारियों को इसका अब भुगतान करना पड़ रहा है. वित्त मंत्री ने कहा, 'ये कोई छोटे मोटे लोग नहीं थे। ये बड़ी कंपनियां थीं. यह आपकी विरासत थी, यह आपका योगदान था. हमारा दुर्भाग्य यह है कि हर साल ब्याज बढ़ रहा है और यह 4.1 प्रतिशत से बढ़कर 5.1 प्रतिशत हो गया और फिर 6.1 प्रतिशत हो गया.'

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

लेखक Bhasha
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