एली लिली (Eli Lilly and Co.) ने अपनी वजट घटाने और डायबिटीज की दवा मौनजारो (Mounjaro) की बिक्री भारत में शुरू कर दी है. मोटापे से ग्रस्त लोगों की संख्या के मामले में भारत दुनिया में तीसरे नंबर पर है.
अमेरिकी की इस दवा कंपीन एली लिली ने गुरुवार को एक बयान में बताया कि भारत के सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन से मार्केटिंग मंजूरी मिलने के बाद वो मौनजारो ब्रैंड नाम के तहत सिंगल डोज (एक खुराक) वाली शीशियों में टिर्जेपेटाइड (Tirzepatide) को बेचेगी.
कितनी होगी कीमत?
ब्लूमबर्ग न्यूज को दिए गए एक सवाल के जवाब में कंपनी के प्रवक्ता ने बताया कि 2.5 मिलीग्राम की शीशी की कीमत 3,500 रुपये ($40.5) है और 5 मिलीग्राम की शीशी की कीमत 4,375 रुपये है. इसकी तुलना में, अमेरिका में 2.5 मिलीग्राम की शीशी की कीमत लगभग 568 डॉलर होगी, जो कि लगभग चौदह गुना ज्यादा है. कंपनी के प्रवक्ता का कहना है कि भारत के लिए रखी गईं कीमतें लिली की देश में इनोवेटिव उपचार को विस्तार करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं.
भारत में मोटापे की दवा की भारी डिमांड है, लोग ग्रे मार्केट से एंटी-ओबेसिटी की दवाएं खरीदते आए हैं. ऐसे में मौनजारो का भारतीय बाजार में कदम रखना और ऐसी पहली दवा को लॉन्च करना उसको बाकी दवा कंपनियों के मुकाबले रेस में आगे रखेगा. दवा कंपनी नोवो नॉरडिस्क A/S जो कि एली लिली की सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी है, भारत में मोटापे के इलाज के लिए Wegovy लॉन्च करने की योजना बनाई है, लेकिन इसे कब लॉन्च किया जाएगा, इसे लेकर कोई समयसीमा नहीं बताई है.
10 करोड़ लोग मोटापे और डायबिटीज से पीड़ित
एली लिली ने एक बयान में कहा कि भारत में करीब 10 करोड़ लोग डायबिटीज और मोटापे से पीड़ित हैं. डायबिटीज के लिए एक प्रमुख रिस्क फैक्टर होने के अलावा मोटापा 200 से ज्यादा स्वास्थ्य जटिलाओं से भी जुड़ा हुआ है. जिसमें हाइपरटेंशन, कोरोनरी हृदय रोग और ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया शामिल हैं.
लिली इंडिया के प्रेसिडेंट विंसलो टकर ने बयान में कहा, 'मोटापा और टाइप-2 डायबिटीज का दोहरा बोझ भारत में एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती के रूप में तेजी से उभर रहा है. लिली इन बीमारियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और रोकथाम और प्रबंधन में सुधार करने के लिए सरकार और उद्योग के साथ सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है.'
बाजार में आएंगी ढेरों दवाएं
इससे पहले, भारत में लोग डायबिटीज की एक दवा राइबेलसस (Rybelsus) का इस्तेमाल वजन घटाने के लिए कर रहे थे. 2022 में लॉन्च की गई इस दवा में वेगोवी और ओजेम्पिक की तरह ही सेमाग्लूटाइड होता है, लेकिन इसे ब्लॉकबस्टर इंजेक्शन की तुलना में कम प्रभावी माना जाता है.
नोवो की वजन घटाने वाली दवा बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सेमाग्लूटाइड के पेटेंट की अवधि 2026 में खत्म हो जाएगी, ऐसा अनुमान है कि ढेरों जेनेरिक वेट-लॉस ड्रग बाजार में दस्तक देंगे.
भारत की सबसे बड़ी फार्मा कंपनी सन फार्मास्युटिकल अपना खुद का वजन घटाने वाला फार्मूला डेवलप कर रही है, जबकि सिप्ला और डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज जेनेरिक वर्जन पर काम कर रही हैं. बायोकॉन लिमिटेड और ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स मोटापे के इलाज की पुरानी जेनरेशन के जेनेरिक पर भरोसा कर रहे हैं, जो कि नोवो नॉर्डिस्क (Novo Nordisk) की ओर से सैक्सेंडा (Saxenda) के नाम से बेचा जाने वाला लिराग्लूटाइड इंजेक्शन है.