इजरायल-हमास युद्ध: भारतीय फार्मा कंपनियों पर नहीं पड़ेगा प्रभाव, लेकिन क्यों?

भारत का इजरायल में एक्सपोजर बहुत ज्यादा नहीं है और इजरायल का फार्मा मार्केट बहुत छोटा है.

Source: BQ Prime

इजरायल-हमास युद्ध (Israel Hamas War) कब खत्म होगा, पता नहीं. लेकिन दुनियाभर के शेयर बाजारों में इस युद्ध से चिंता के बादल मंडरा रहे हैं. भारत में भी कारोबारी इससे परेशान हैं, मगर फार्मा एक ऐसा सेक्टर है जिस पर इस लड़ाई का कम असर पड़ेगा. शॉर्ट टर्म के लिए इन पर खासा असर नहीं पड़ने वाला.

ICICI सिक्योरिटीज के फार्मा एनालिस्ट अब्दुलकादर पूरनवाला के मुताबिक, मध्य पूर्व देशों में भारत का एक्सपोर्ट सिंगल डिजिट में आता है. वो आगे बताते हैं, 'भारत का इजरायल में एक्सपोजर बहुत ज्यादा नहीं है और इजरायल में ओवरऑल फार्मा मार्केट बहुत छोटा है.'

सन फार्मा पर सीमित दबाव

टैरो फार्मास्यूटिकल्स इंडस्ट्रीज, सन फार्मा की इजरायल स्थित सब्सिडियरी कंपनी है. 2023 के वित्तीय आंकड़ों के मुताबिक इसका हिस्सा सन फार्मा की कुल सेल्स में 8% के बराबर है.

वहीं, टैरो की USFDA द्वारा मंजूर की गई केवल 1 फैसिलिटी है, जो केवल एक्सपोर्ट के लिए मैन्युफैक्चरिंग करती है. अगर ये युद्ध लंबे समय के लिए चलता है, तो इसका प्रभाव API एक्सपोर्ट पर नजर आएगा.

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टॉैरो फार्मास्यूटिकल्स ने SEC डिस्क्लोजर्स में कहा है कि आतंकवादी गतिविधि कंपनी के बिजनेस को प्रभावित कर सकती है. इसमें कहा गया, 'अगर किसी आतंकवादी गतिविधि से हमारी फैसिलिटी को नुकसान पहुंचता है, तो हमारा बिजनेस भी प्रभावित होगा. इसके साथ ही, हमारे कुछ प्रोडक्ट्स को मैन्युफैक्चरिंग साइट बदलने के बाद USFDA से दोबारा मंजूरी की जरूरत होगी.'

मैन्युफैक्चरिंग साइट पर मंजूरी मिलने के बीच अस्थायी रूप से परेशानी हो सकती है.

टैरो ने एक्सचेंज फाइलिंग के जरिए जानकारी दी, 'हमें बिजनेस में व्यवधान से होने वाले नुकसान पर इंश्योरेंस का लाभ तुरंत नहीं मिलेगा. वहीं, किसी भी प्रकार का नुकसान हमारे बिजनेस को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करेगा.'

शुक्रवार को टैरो का शेयर बड़े अमेरिकी एक्सचेंज में 2.4% तक टूटा.

अगर युद्ध लंबा चला, फिर?...

इजरायल की टेवा फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्रीज की मैन्युफैक्चरिंग प्रभावित हो सकती है. API मैन्युफैक्चरिंग करने वाली इसकी 2 फैसिलिटी अमेरिका के लिए दवाइयां तैयार करती हैं. अगर किसी सूरत में इजरायल-हमास युद्ध लंबा चलता है, तो इससे कुछ भारतीय कंपनियों को फायदा मिल सकता है. वहीं, युद्ध लंबा चलने से इन कंपनियों के कंपिटीशन में भी कमी आने के आसार हैं.

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