फिच की घोषणा बनी संजीवनी, रुपया 60 पैसे मजबूत हुआ

अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी फिच की भारत के रेटिंग परिदृश्य में सुधार की घोषणा लगातार गिरते रुपये के लिए संजीवनी बनकर आई। डॉलर के मुकाबले रुपया बुधवार को 60 पैसे मजबूत होकर 57.79 रपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ।

अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी फिच की भारत के रेटिंग परिदृश्य में सुधार की घोषणा लगातार गिरते रुपये के लिए संजीवनी बनकर आई। डॉलर के मुकाबले रुपया बुधवार को 60 पैसे मजबूत होकर 57.79 रपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ।

कल के कारोबार में एक समय डॉलर के मुकाबले रुपये का भाव 58.98 रुपये तक गिर गया था।

वित्त मंत्रालय द्वारा रुपये की गिरावट थामने के लिए कदम उठाए जाने पर जोर दिए जाने और रिजर्व बैंक द्वारा कल सही समय पर बाजार में हस्तक्षेप करने के अलावा निर्यात आय को ऑनलाइन स्वदेश भेजने की सीमा बढ़ाने से रुपये की गिरावट थामने में मदद मिली।

कुछ बड़ी कंपनियों की डॉलर बिकवाली से भी रुपये को सहारा मिला। विदेशी मुद्रा डीलरों के अनुसार विदेशी बाजारों में यूरो के समक्ष डॉलर के कमजोर पड़ने का भी यहां असर रहा।

अंतर बैंकिंग विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में आज रुपये में कारोबार की शुरुआत कल के बंद भाव 58.39 रुपये के मुकाबले 58.20 रुपये प्रति डॉलर पर मजबूती के साथ हुई। लेकिन, जल्दी ही यह 58.38 रुपये प्रति डॉलर तक गिर गया। अनुकूल समाचार आने से बाद में रुपये में लगातार मजबूती आती चली गई और 57.73 रुपये प्रति डॉलर के दिन के उच्चस्तर को छूने के बाद यह 57.79 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ। पिछले दिन के मुकाबले इसमें 60 पैसे यानी 1.03 प्रतिशत की मजबूती दर्ज की गई।

फिच ने भारत के रेटिंग परिदृश्य को नकारात्मक से सुधार कर स्थिर कर दिया। इससे अंतिम क्षणों में रुपये को मजबूती मिली।

फिच का कहना है कि कमजोर आर्थिक स्थिति और रिजर्व बैंक की सख्त मौद्रिक नीति से मुद्रास्फीति दबाव नरम पड़ता दिखने लगा है। इसके बाद रिजर्व बैंक जनवरी 2012 से मुख्य नीतिगत दरों में 1.25 प्रतिशत की कटौती कर चुका है।

नोमुरा इंडिया की प्रमुख अर्थशास्त्री सोनल वर्मा ने एक रिपोर्ट में कहा है ‘‘मौद्रिक नीति के लिहाज से कमजोर पड़ती मुद्रा वित्तीय स्थिरता की चिंताओं के चलते दरों में कटौती की शुरुआत में देरी की वजह बन सकता है।’’ बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच ने भी कहा है कि मुद्रास्फीति के आंकड़े दरों में कटौती के लिए सकारात्मक दिखते हैं लेकिन रुपये की घटबढ़ से निकट भविष्य में मुद्रास्फीति और इस महीने दरों में कटौती के लिए जोखिम खड़ा हो गया है।

ब्रिटिश ब्रोकरेज बार्कलेज ने भी कहा है कि कमजोर आर्थिक वृद्धि के बावजूद उसे रिजर्व बैंक की आगामी सोमवार को होने वाली बैठक में दरों में कटौती को लेकर शंका है।

लेखक NDTV Profit Desk
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