आरबीआई ने तेज विकास के लिए तीसरी बार दरें घटाई

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को प्रमुख नीतिगत दर में 25 आधार अंकों की कटौती की घोषणा की। बैंक के इस फैसले से आवास, वाहन तथा अन्य ऋणों पर लगने वाली ब्याज दरें घटेंगी और विकास में तेजी आएगी।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को प्रमुख नीतिगत दर में 25 आधार अंकों की कटौती की घोषणा की। बैंक के इस फैसले से आवास, वाहन तथा अन्य ऋणों पर लगने वाली ब्याज दरें घटेंगी और विकास में तेजी आएगी।

शुक्रवार की घोषणा से रेपो दर 7.25 प्रतिशत हो गई है, जबकि रिवर्स रेपो दर 6.25 प्रतिशत हो गई है। रेपो दर वह दर है, जिस पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों को कर्ज देता है, जबकि रिवर्स रेपो दर वह दर है, जो वाणिज्यिक बैंकों द्वारा आरबीआई में रखी गई राशि पर रिजर्व बैंक अदा करता है। आरबीआई ने हालांकि नकद आरक्षी अनुपात को चार फीसदी पर बरकरार रखा।

जनवरी के बाद से मुख्य दरों में तीसरी बार यह कटौती की गई और अब ये दर मई 2011 के बाद अब तक के निचले स्तर पर पहुंच गया है।

आरबीआई के गवर्नर डी. सुब्बाराव ने हालांकि कहा कि आर्थिक स्थिति को देखते हुए दरों में और कटौती की गुंजाइश नहीं है।

सुब्बाराव ने कहा कि उच्च उपभोक्ता महंगाई दर और चालू खाता घाटा देश के सामने मौजूद सबसे बड़ी चुनौतियां हैं, जो दरों में और कटौती करने से रोक सकता है।

वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम ने कहा, "महंगाई दर में गिरावट से आरबीआई को दरों में और कटौती में सुविधा होगी।" उन्होंने ताजा घोषणा पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा, "आरबीआई ने नीतिगत दरों में 25 आधार अंकों की कटौती की है। उसने अधिक उदार ओपन मार्केट ऑपरेशन की भी घोषणा की। यदि महंगाई में और गिरावट होती है, तो उससे और आगे के नीतिगत फैसले का रास्ता साफ होगा।"

ताजा घोषणा में आरबीआई ने मौजूदा कारोबारी वर्ष में 5.7 फीसदी आर्थिक विकास दर का अनुमान दिया, जो वित्त मंत्रालय के अनुमान 6.1-6.7 फीसदी से कम है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति ने 6.4 फीसदी का अनुमान दिया है।

बैंक के नीति दस्तावेज में कहा गया है, "विकास को गति देने के लिए केवल हाल के मौद्रिक कदम पर्याप्त नहीं होंगे। इसके लिए आपूर्ति की बाधाओं को दूर करने, प्रशासन को बेहतर बनाने तथा सरकारी निवेश बढ़ाने के साथ-साथ वित्तीय घाटा कम करने के लिए प्रतिबद्धता बनाए रखने की भी आवश्यकता है।"

विकास दर का कम अनुमान पेश करने और आगे कटौती नहीं करने के बैंक के बयान का भारतीय शेयर बाजारों पर बुरा असर देखा गया। सूचकांकों में करीब एक फीसदी तक की गिरावट रही।

बम्बई स्टॉक एक्सचेंज का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 0.81 फीसदी या 160.13 अंकों की गिरावट के साथ 19,575.64 पर और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 0.92 फीसदी की गिरावट के साथ 5,944.00 पर बंद हुआ।

बैंक अधिकारियों ने कहा कि आरबीआई की दर कटौती से उनकी ब्याज दरों पर तत्काल कोई असर नहीं होगा।

भारतीय स्टेट बैंक के अध्यक्ष प्रतीप चौधरी ने संवाददाताओं से कहा, "दरों में कटौती की कोई गुंजाइश नहीं है। हमारे ऊपर कटौती की बाध्यता नहीं है। वस्तुत: देने के लिए कुछ भी नहीं है।"

आईसीआईसीआई बैंक की प्रबंध निदेशक चंदा कोचर ने कहा, "जमा दरों में कटौती को लागू नहीं रखा जा सकेगा और कर्ज पर लगने वाली ब्याज दरों में कटौती सिर्फ फंड की कीमत पर निर्भर करेगी।"

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लेखक NDTV Profit Desk
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