नहीं घटेगी ईएमआई, आरबीआई ने दरें अपरिवर्तित रखी

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सोमवार को मौजूदा वित्त वर्ष के लिए मौद्रिक नीति की मध्य-तिमाही समीक्षा के दौरान प्रमुख नीतिगत दरों में कोई परिवर्तन नहीं किया।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सोमवार को मौजूदा वित्त वर्ष के लिए मौद्रिक नीति की मध्य-तिमाही समीक्षा के दौरान प्रमुख नीतिगत दरों में कोई परिवर्तन नहीं किया। बैंक ने रुपये के अवमूल्यन और डीजल जैसे सरकारी नियंत्रण वाली सामग्रियों के मूल्यों में वृद्धि के कारण महंगाई बढ़ने की चेतावनी दी। इससे पहले लगातार तीन समीक्षाओं में आरबीआई ने दरें घटाई थी।

वित्त वर्ष 2013-14 के लिए मौद्रिक नीति की मध्य-तिमाही समीक्षा के दौरान रिजर्व बैंक ने रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 7.25 फीसदी पर बरकरार रखा। इसके मुताबिक रिवर्स रेपो दर को 6.25 फीसदी कर दिया गया और नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) को भी चार फीसदी पर ज्यों-का-त्यों छोड़ दिया गया।

रेपो दर से वाणिज्यिक बैंकों के ऋण तथा जमा पर लगने वाली ब्याज दरें निर्धारित होती हैं। आरबीआई द्वारा दरें नहीं बदले जाने का मतलब यह है कि आवास तथा वाहन ऋणों की मासिक किश्तें उच्चस्तर पर बनी रहेंगी।

महंगाई दर में गिरावट के बावजूद रिजर्व बैंक ने यथास्थिति बरकरार रखी है। बैंक ने कहा है कि रुपये की कमजोर स्थिति और सरकारी नियंत्रण वाले मूल्यों में वृद्धि की संभावनाओं के मद्देनजर महंगाई बढ़ सकती है।

रिजर्व बैंक के गवर्नर डी. सुब्बाराव ने अपने बयान में कहा है, "महंगाई दर का परिदृश्य रुपये के मूल्य में हाल में आई गिरावट तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य सहित सरकारी नियंत्रण वाले मूल्यों में बदलाव से निर्धारित होगा।"

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति के अध्यक्ष सी. रंगराजन ने कहा कि आरबीआई ने मुख्यत: बाहरी कारणों और चालू खाता घाटा के कारण सावधानी भरा कदम उठाया है।

रंगराजन ने कहा, "चालू खाता घाटा काफी अधिक है और हाल में रुपये के मूल्य पर भी दबाव बना है। ऐसा लगता है कि इसका आरबीआई के फैसले पर महत्वपूर्ण असर रहा है।"

रिजर्व बैंक ने कहा कि वैश्विक स्तर पर कमोडिटी मूल्यों में गिरावट और घरेलू स्तर पर मूल्य बढ़ाने में उद्योग जगत की क्षमताओं में कमी के कारण महंगाई में पिछले कुछ समय से नरमी देखी जा रही है।

रिजर्व बैंक की ओर से जारी बयान में कहा गया है, "खाद्य महंगाई दर के उच्चस्तर पर बने रहने के कारण महंगाई के बारे में अनुमान खाद्य महंगाई दर घटाने की दिशा में किए जा रहे सम्मिलित प्रयास से प्रभावित होगा।"

पिछले सप्ताह वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित महंगाई दर मई में 4.7 फीसदी रही, जो पिछले 43 महीने में सबसे कम है। अप्रैल में यह दर 4.89 फीसदी थी, जबकि पिछले साल मई में यह 7.55 फीसदी थी।

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा महंगाई दर मई में घट कर 9.3 फीसदी रही, जो अप्रैल में 10.2 फीसदी थी।

रिजर्व बैंक ने कहा कि मौद्रिक नीति का निर्धारण आने वाले महीनों में विकास, महंगाई और भुगतान की स्थिति पर निर्भर होगा। बैंक ने यह भी कहा है कि वह किसी भी प्रतिकूल वातावरण के मद्देनजर त्वरित व उचित कदम उठाने के लिए तैयार है।

आरबीआई ने विकास दर में तेजी लाने के लिए निजी निवेश के अनुकूल माहौल बनाने और परियोजनाओं को तेजी से मंजूरी दिए जाने की जरूरत बताई है। पिछले कारोबारी साल में विकास दर घटकर दशक के निचले स्तर पांच फीसदी पर दर्ज की गई है।

आरबीआई ने मौद्रिक नीति की मध्य-तिमाही समीक्षा में कहा है, "विकास दर में फिर से तेजी लाने के लिए निजी निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाकर निवेश में तेजी लाना होगा तथा परियोजना मंजूरी और उसके क्रियान्वयन की स्थिति बेहतर बनानी होगी।"

उद्योग जगत ने हालांकि आरबीआई के फैसले पर निराशा जताई है। भारतीय उद्योग परिसंघ के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, "फैसला निराशाजनक है। ऐसे समय में जब विकास और महंगाई दोनों मौद्रिक नीति में इसका ध्यान रखने की जरूरत बताते हैं, आरबीआई ने आर्थिक सम्भावना पर सावधानी भरा कदम उठाया है।"

लेखक NDTV Profit Desk
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