अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत, जुलाई में औद्योगिक उत्पादन 2.6 फीसदी बढ़ा

विनिर्माण तथा बिजली क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन से तीन माह में पहली बार औद्योगिक उत्पादन बढ़ा है। इससे उम्मीद जगी है कि रिजर्व बैंक उपभोक्ता मांग बढ़ाने के लिए ब्याज दरों में कटौती कर सकता है।

औद्योगिक उत्पादन में बढ़ोतरी से ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद बढ़ी है

देश के औद्योगिक उत्पादन में लगातार दो माह की गिरावट के बाद जुलाई में 2.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज हुई। विनिर्माण तथा बिजली क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन से तीन माह में पहली बार औद्योगिक उत्पादन बढ़ा है।

इससे अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीद बढ़ी है, साथ ही यह संभावना भी जगी है कि रिजर्व बैंक उपभोक्ता मांग बढ़ाने के लिए ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) द्वारा गुरुवार को जारी औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के अनुसार पिछले साल जुलाई में औद्योगिक उत्पादन 0.1 प्रतिशत घटा था।

इस बीच, जून माह के औद्योगिक उत्पादन के संशोधित आंकड़ों के अनुसार उस माह उत्पादन में 1.78 प्रतिशत की कमी हुई। प्रारंभिक आंकड़ों में औद्योगिक उत्पादन में 2.2 प्रतिशत की गिरावट दिखाई गई थी। मई में औद्योगिक उत्पादन 2.8 प्रतिशत घटा था। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) के चेयरमैन सी रंगराजन ने कहा, यह अच्छी खबर है। इससे औद्योगिक उत्पादन में सुधार का संकेत मिलता है। मेरा मानना है कि नकारात्मक वृद्धि का दौर खत्म हो रहा है। आगामी महीनों में वृद्धि दर बढ़ेगी।

सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि यह स्वागतयोग्य है। हालांकि इसके साथ ही उन्होंने जोड़ा कि अभी यह कहना जल्दी होगा कि सुधार शुरू हो रहा है। इस वर्ष अप्रैल से जुलाई की अवधि में औद्योगिक उत्पादन में 0.2 प्रतिशत की गिरावट रही। आईआईपी में 75 फीसदी से अधिक का भारांश रखने वाले विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन जुलाई में 3 प्रतिशत बढ़ा। पिछले साल इसी महीने में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर शून्य रही थी।

अप्रैल-जुलाई की चार माह की अवधि में विनिर्माण क्षेत्र में 0.2 प्रतिशत संकुचन हुआ, जबकि पिछले साल इसी अवधि में विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन 0.6 प्रतिशत घटा था। जुलाई में बिजली उत्पादन 5.2 प्रतिशत बढ़ा, 2012 में इसी महीने में बिजली क्षेत्र की वृद्धि दर 2.8 प्रतिशत रही थी। अप्रैल से जुलाई की अवधि में बिजली क्षेत्र का उत्पादन 3.9 प्रतिशत बढ़ा, जबकि पिछले साल इसी महीने में यह 5.5 प्रतिशत बढ़ा था।

जुलाई में पूंजीगत सामान क्षेत्र का उत्पादन 15.6 प्रतिशत बढ़ा, जबकि पिछले साल इसी महीने में इस क्षेत्र का उत्पादन 5.8 प्रतिशत घटा था। पूंजीगत सामान क्षेत्र को मांग का आईना माना जाता है। अप्रैल-जुलाई में पूंजीगत सामान क्षेत्र का उत्पादन 1.8 प्रतिशत बढ़ा, जबकि पिछले साल इसी दौरान इस क्षेत्र का उत्पादन 16.8 प्रतिशत घटा था। जुलाई में खनन क्षेत्र के उत्पादन में 2.3 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि पिछले साल इसी महीने में यह 3.5 प्रतिशत घटा था।

अप्रैल-जुलाई में खनन क्षेत्र के उत्पादन में 4 प्रतिशत की गिरावट आई, जो पिछले साल समान अवधि में 2 प्रतिशत घटा था। विनिर्माण क्षेत्र के 22 उद्योग समूहों में से 11 में जुलाई में सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई। फिक्की के महासचिव दीदार सिंह ने कहा, अब सरकार को कुछ साहसी फैसले मसलन ब्याज दरों में कटौती आदि लेने चाहिए। साथ ही औद्योगिक गलियारा जैसी परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाने के प्रयास करने चाहिए।

उपभोक्ता सामान क्षेत्र के उत्पादन में जुलाई में 0.9 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि पिछले साल इसी महीने में इस क्षेत्र का उत्पादन 0.7 प्रतिशत बढ़ा था। अप्रैल-जुलाई की अवधि में इस क्षेत्र का उत्पादन 2 प्रतिशत घट गया, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 3.1 प्रतिशत बढ़ा था।

लेखक NDTV Profit Desk
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