शेयर बाजार : तिमाही परिणामों, महंगाई आंकड़े पर रहेगी नजर

देश के शेयर बाजारों में आगामी सप्ताह निवेशकों की निगाह मौजूदा कारोबारी साल की तीसरी तिमाही के आ रहे परिणामों, उपभोक्ता महंगाई दर और थोक महंगाई दर के आंकड़ों पर टिकी रहेगी।

देश के शेयर बाजारों में आगामी सप्ताह निवेशकों की निगाह मौजूदा कारोबारी साल की तीसरी तिमाही के आ रहे परिणामों, उपभोक्ता महंगाई दर और थोक महंगाई दर के आंकड़ों पर टिकी रहेगी। इस दौरान विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की चाल और डॉलर के मुकाबले रुपये की चाल से भी निवेश की दिशा प्रभावित होगी।

सोमवार को एक्साइड इंडस्ट्रीज और रिलायंस इंडस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड, मंगलवार को एनआईआईटी टेक, बुधवार को यस बैंक, गुरुवार को बजाज ऑटो, एचसीएल टेक, एलआईसी हाउसिंग फायनेंस और टीसीएस, शुक्रवार को फेडरल बैंक, एचडीएफसी बैंक, आईटीसी, आरआईएल और विप्रो के परिणाम आएंगे।

कोल इंडिया का निदेशक मंडल मंगलवार 14 जनवरी की बैठक में 2013-14 के लिए अंतरिम लाभांश देने की संभावना पर फैसला लेगा।

सरकार सोमवार को बाजार बंद होने के बाद दिसंबर के लिए उपभोक्ता महंगाई दर के आंकड़े जारी करेगी। सरकार बुधवार की दोपहर को दिसंबर के लिए थोक मूल्यों पर आधारित महंगाई दर के आंकड़े जारी करेगी। थोक महंगाई दर नवंबर में 7.52 फीसदी दर्ज की गई थी, जो अक्टूबर में सात फीसदी थी।

भारतीय रिजर्व बैंक 28 जनवरी 2014 को मौद्रिक नीति की तीसरी तिमाही की समीक्षा की घोषणा करेगा। निवेशकों को निश्चित तौर पर इस घोषणा का इंतजार रहेगा।

अमेरिका से इन दिनों बेहतर आर्थिक आंकड़े आ रहे हैं, लेकिन इससे फेडरल रिजर्व द्वारा प्रति माह बांड खरीदारी कार्यक्रम के रास्ते पर तेजी से आगे बढ़ने की संभावना पैदा होती है। फेड का बांड खरीदारी कार्यक्रम भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं में पिछले कुछ साल से तरलता का एक प्रमुख स्रोत रहा है।

फेड ने जनवरी 2014 से बांड खरीदारी कार्यक्रम का आकार प्रति माह 85 अरब डॉलर से घटाकर 75 अरब डॉलर करने का फैसला कर लिया है, जिससे भारत में विदेशी संस्थागत निवेशकों की पूंजी का प्रवाह घट सकता है।

शेयर बाजार के निवेशकों की निगाह सन्निकट आम चुनाव पर भी है। यदि केंद्र में एक मजबूत सरकार बनती है, तो निवेशकों का उत्साह बढ़ेगा।

फेडरल रिजर्व की नीति निर्माता समिति फेडरल ओपन मार्केट कमीटी 28 और 29 जनवरी 2014 को दो दिवसीय बैठक करने वाली है। अमेरिका में आ रहे बेहतर आर्थिक आंकड़ों के कारण उम्मीद की जा रही है कि फेडरल रिजर्व बांड खरीदारी के मासिक आकार को और घटा सकता है।

लेखक NDTV Profit Desk
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