दिसंबर में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति घटकर पांच महीने के निचले स्तर 6.16 प्रतिशत पर आ गई। इससे रिजर्व बैंक के लिए वृद्धि दर प्रोत्साहन के लिए नीतिगत ब्याज दरें घटाने की गुंजाइश बढ़ेगी।
बुधवार को जारी थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्पीति के आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर, 2013 में खाद्य वस्तुओं के वर्ग की मुद्रास्फीति 13.68 प्रतिशत रही, जो नवंबर में 19.93 प्रतिशत थी। दिसंबर में सब्जियों के दाम सालाना स्तर पर 57.33 प्रतिशत ऊंचे रहे।
हालांकि, प्याज की महंगाई घटकर 39.56 प्रतिशत रह गई, जो नवंबर में सालना आधार पर 190.34 प्रतिशत ऊंची थी। हालांकि, इस दौरान आलू के भावों में दिसंबर में वृद्धि दोगुनी से अधिक होकर 54.65 प्रतिशत पर पहुंच गई। वहीं फल थोड़े सस्ते हुए। इसी तरह, अंडा और मांस-मछली में भी नरमी रही। इस दौरान दूध के दाम में 6.93 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
नवंबर में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति 7.52 प्रतिशत थी, जबकि अक्टूबर में मुद्रास्फीति संशोधित कर 7.24 प्रतिशत कर दी गई। प्रारंभिक आंकड़ों में इसे 7 प्रतिशत बताया गया था। रिजर्व बैंक ने थोक मूल्य एवं खुदरा मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में नरमी आने की उम्मीद में पिछले महीने नीतिगत दरें अपरिवर्तित रखी थीं।
रिजर्व बैंक 28 जनवरी को अपनी तिमाही मौद्रिक नीति की समीक्षा करने वाला है। आरबीआई महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए सितंबर और नवंबर के बीच प्रमुख नीतिगत दर (रेपो दर) दो बार बढ़ा चुका है। इस समय यह दर 7.75 प्रतिशत है।
थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित आंकड़ों के मुताबिक प्राथमिक वस्तुओं एवं ईधन व बिजली खंड की मुद्रास्फीति क्रमश: 10.78 प्रतिशत व 10.98 प्रतिशत रही। वहीं, चीनी व खाद्य तेल जैसे विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति 2.64 प्रतिशत पर स्थिर रही।