हेल्‍थ ड्रिंक्‍स के नाम पर सेहत से खिलवाड़! ई-कॉमर्स साइट्स को FSSAI ने दी हिदायत- सही कैटगरी में रखें प्रोडक्‍ट्स

राष्‍ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्रालय, FSSAI, उपभोक्ता मामले मंत्रालय को चिट्ठी लिखी थी.

हेल्‍थ ड्रिंक के नाम पर मनमानी अब और नहीं! (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

हेल्‍थ ड्रिंक्‍स और एनर्जी ड्रिंक्‍स के नाम पर सेहत से खिलवाड़ कर रही कंपनियों के खिलाफ FSSAI यानी फूड सैंपल सर्वे अथॉरिटी ऑफ इंडिया एक्‍शन लेने की तैयारी में है.

बाजार में तमाम ऐसे पेय (Drinks) एवलेबल हैं, जो एनर्जी ड्रिंक्‍स और हेल्‍थ ड्रिंक्‍स होने का दावा करते हैं, पर वे मानकों को पूरा नहीं करते. ऐसे ड्रिंक्‍स के क्‍लासीफिकेशन को लेकर FSSAI ने ई-कॉमर्स कंपनियों को सख्‍त हिदायत दी है.

एनर्जी ड्रिंक या हेल्थ ड्रिंक के नाम पर मनमानी पर रोक लगाने के लिए कुछ दिन पहले राष्‍ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्रालय, FSSAI, उपभोक्ता मामले मंत्रालय को चिट्ठी लिखी थी. इसके बाद फूड रेगुलेटर ने ये एडवाइजरी जारी की. FSSAI ने ई-कॉमर्स कंपनियों को सलाह दी है कि वे हेल्थ ड्रिंक के नाम पर प्रोडक्‍ट्स न बेचें.

FSSAI ने ई-कॉमर्स फूड बिजनेस ऑपरेटर्स (FBOs) से कहा है कि वे अपनी वेबसाइट्स पर बेचे जा रहे फूड एंड बेवरेजेज का सही कैटगरी में क्‍ला‍सीफिकेशन करें, ताकि लोगों तक सही इंफॉर्मेशन पहुंचे और ग्राहक अपने विवेक से प्राेडक्‍ट्स खरीद पाएं.

'हेल्थ ड्रिंक' नाम की कोई कैटगरी ही नहीं!

FSSAI ने स्‍पष्‍ट किया है कि 'हेल्‍थ ड्रिंक' टर्म FSS एक्‍ट 2006 या उसके तहत बनाए गए रूल्‍स/रेगुलेशन्‍स के तहत कहीं भी परिभाषित (Defined) या मानकीकृत (Standardized) नहीं है. इसलिए सभी कंपनियों और फूड बिजनेस ऑपरेटर्स को सलाह दी है कि वे तत्काल क्‍लासीफिकेशन चेंज करें.

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कंपनियों को निर्देश दिया गया है कि ऐसे प्रोडक्‍ट्स को उचित श्रेणी में रखें जैसा कि मौजूदा कानून के अंतर्गत व्‍यवस्‍था की गई है. ऐसे प्रोडक्‍ट्स को 'Proprietary Food' के नाम से प्रचारित करने और बेचने का निर्देश दिया गया है.

क्‍या है कार्रवाई का उद्देश्‍य?

एनर्जी ड्रिंक्‍स टर्म का इस्‍तेमाल भी फूड क्‍लासीफिकेशन सिस्‍टम के तहत लाइसेंस प्राप्‍त प्रोडक्‍ट्स के लिए ही किया जा सकता है. अन्‍य किसी भी तरह के प्रोडक्‍ट्स को एनर्जी ड्रिंक्‍स बताना और बताकर बेचना अवैध होगा. ऐसा करने पर FSSAI की ओर से कार्रवाई की जाएगी.

FSSAI ने कहा है कि इस सुधारात्मक कार्रवाई का उद्देश्य प्रोडक्‍ट्स के नेचर और क्‍वालिटी के बारे में स्‍पष्‍टता और पारदर्शिता बढ़ाना है, ताकि किसी भी तरह की भ्रामक सूचना का शिकार हुए बिना कंज्‍यूमर्स को विकल्‍प चुनने की आजादी हो.

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