टैरिफ के टेरर से ठंडी पड़ी कच्चे तेल की आंच में एक बार फिर से गर्मी लौटती दिख रही है. महंगाई बढ़ने और मंदी की आशंकाओं के चलते कच्चे तेल की कीमतें लगातार तीन दिनों से गिर रहीं थी, लेकिन मंगलवार के सेशन में फिलहाल मजबूती दिखाई दे रही है.
क्रूड ऑयल में लौटी रिकवरी
बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड 1.50% की मजबूती के साथ 65 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर ट्रेड कर रहा है. सोमवार को ब्रेंट क्रूड चार साल के निचले स्तर पर पहुंच गया था. सोमवार को ट्रंप ने चीन पर जो कि कच्चे तेल का सबसे बड़ा इंपोर्टर है, उस पर 50% अतिरिक्त इंपोर्ट ड्यूटी लगाने की धमकी दी, जबकि उन्होंने अन्य देशों के साथ बातचीत के संकेत भी दिए.
IG के मार्केट एनालिस्ट टोनी साइकैमोर ने एक नोट में कहा, "अगर चीन अपनी बात पर अड़ा रहता है, तो अमेरिका में उसके इंपोर्ट पर कुल टैरिफ दर 104% तक बढ़ जाएगी, जिससे जोखिम की भावना और अधिक खराब हो सकती है, ग्लोबल मार्केट में भारी गिरावट आ सकती है और इकोनॉमी के मंदी में जाने की रफ्तार तेज हो सकती है.
पूर्वानुमानों में कटौती
बढ़ते ट्रेड वॉर ने गोल्डमैन सैक्स और मॉर्गन स्टेनली सहित बैंकों को आने वाली तिमाहियों के लिए तेल-कीमत के पूर्वानुमानों में कटौती करने के लिए मजबूर किया है. सोसाइटी जनरल SA ने भी चीनी अर्थव्यवस्था और वैश्विक कच्चे तेल की मांग के लिए अमेरिकी टैरिफ से पैदा खतरे का हवाला देते हुए अपने पूर्वानुमान में कटौती की है.
पिछले तीन ट्रेडिंग सेशन में 15% टूटने के बाद WTI क्रूड भी अब 61 डॉलर के ऊपर ट्रेड करता हुआ दिख रहा है. WTI क्रूड फिलहाल 1.70% के उछाल के साथ 61.75 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर ट्रेड कर रहा है.
इसके पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के टैरिफ का खौफ कच्चे तेल की कीमतों पर भारी पड़ रहा था, इसलिए सोमवार को तेल की कीमतें 2% गिरकर चार साल के निचले स्तर पर पहुंच गईं थीं. निवेशकों का लगता है कि अगर ग्लोबल इकोनॉमी में स्लोडाउन आता है तो कच्चे तेल की डिमांड में कमी आ सकती है.