World Gold Council Report: दुनिया भर में 6% घटी सोने की मांग, लेकिन भारत में चमका गोल्‍ड

भारत में सोने की मांग एक साल पहले के 191.7 टन के मुकाबले 10% बढ़कर 210.2 टन हो गई है.

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देश में शादियों के लिए लग्‍न शुरू होने से पहले और फेस्टिव सीजन के बीच सोने की मांग थोड़ी बढ़ गई है. वहीं दूसरी ओर वैश्विक स्‍तर पर सोने की मांग कम हुई है. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) की ताजा रिपोर्ट में ये जानकारी दी गई है.

मंगलवार को जारी WGC की रिपोर्ट में कहा गया है कि 'बार' और 'सिक्कों' की सुस्‍त मांग और केंद्रीय बैंकों के रुख के बीच वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही के दौरान वैश्विक सोने की मांग 6% घटकर 1,147.5 टन रह गई है.

समाचार एजेंसी PTI ने बताया है कि सबसे ज्‍यादा सोने की खपत वाले दुनिया के सबसे बड़े देश चीन में सोने की मांग इस साल तीसरी तिमाही में मामूली रूप से बढ़कर 247 टन हो गई, जो एक साल पहले इसी अवधि में 242.7 टन थी.

वहीं, दुनिया के दूसरे सबसे बड़े 'सोने की खपत' वाले देश भारत में सोने की मांग एक साल पहले के 191.7 टन के मुकाबले 10% बढ़कर 210.2 टन हो गई है.

पड़ोसी देशों में क्‍या हाल है?

पड़ोसी देशों की बात करें तो पाकिस्तान की सोने की मांग 2023 की तीसरी तिमाही के दौरान 11% गिरकर 11.6 टन रह गई, जो एक साल पहले की अवधि में 13 टन थी. वहीं श्रीलंका में सोने की डिमांड 0.3 टन से काफी बढ़कर 2.4 टन हो गई.

रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल की तीसरी तिमाही में वैश्विक आभूषण मांग 1% घटकर 578.2 टन रह गई, जो एक साल पहले की इसी अवधि में 582.6 टन थी.

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क्‍यों है ऐसी स्थिति?

WGC की रिपोर्ट के अनुसार, साल-दर-साल गिरावट के पीछे सोने की ऊंची कीमतों और आर्थिक अनिश्चितता का माहौल, मुख्य कारण था. खासकर एशिया और मध्य पूर्व के कुछ अधिक प्राइस-सेंसेटिव बाजारों में यही कारण थे.

चीन में तीसरी तिमाही निराशाजनक रही क्योंकि उपभोक्ता बहुत हाई लोकल प्राइस प्रीमियम के कारण खरीदारी करने में इच्छुक नहीं थे, जिससे कीमत में सुधार की उम्मीदें बढ़ गईं. इस साल बहुत ऊंची कीमत के माहौल के बावजूद आभूषणों की मांग अपेक्षाकृत अच्छी बनी हुई है.

दुनिया के कई बाजारों में अनिश्चित आर्थिक परिदृश्य और 'कॉस्‍ट ऑफ लिविंग' संकट से उपभोक्ताओं पर लगातार दबाव को देखते हुए इस सेक्‍टर के लिए जोखिम बना हुआ है.

बार और सिक्के की मांग 14% गिरी

रिपोर्ट के अनुसार, तीसरी तिमाही के दौरान ग्‍लोबल बार और सिक्के की मांग एक साल पहले के 344.2 टन से 14% गिरकर 296.2 टन रह गई. चालू वर्ष की तीसरी तिमाही में यूरोप (खास तौर पर जर्मनी), अमेरिका, तुर्की, ऑस्ट्रेलिया और ईरान में बार और कॉइन इन्‍वेस्‍टमेंट में साल-दर-साल गिरावट, कम मांग के कारण थी.

रिपोर्ट में कहा गया है, 'तीसरी तिमाही में गोल्ड ETF, बार और सिक्कों की निवेश मांग कम थी. 157 टन पर, निवेश इसके पांच साल के तिमाही औसत 315 टन का केवल आधा रहा.'

इधर भी कमजोर मांग का असर!

टेक्‍नोलॉजी में इस्‍तेमाल के लिए सोने की मांग 77.3 टन से 3% गिरकर 75.3 टन हो गई. कारण कि इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्‍ट्री में मांग अपेक्षा से कमजोर रही, हालांकि कुछ क्षेत्रों में सुधार के संकेत दिखे.

रिपोर्ट के मुताबिक, तीसरी तिमाही में केंद्रीय बैंकों की सोने की खरीदारी भी 27% घटकर 337.1 टन रह गई, जो एक साल पहले की समान अवधि में 458.8 टन थी.

उत्‍पादन और आपूर्ति में बढ़ोतरी

रिपोर्ट में कहा गया है कि ईयर-टू-डेट का रिकॉर्ड तोड़ने वाली पहली छमाही में, शुद्ध खरीद अब 800 टन हो गई है. केंद्रीय बैंक की मांग एक और मजबूत 'एनुअल टोटल' की ओर बढ़ रही है.

तीसरी तिमाही के दौरान सोने की कुल आपूर्ति 6% बढ़कर 1,267.1 टन हो गई, जो एक साल पहले 1,190.6 टन थी. तीसरी तिमाही में खदान उत्पादन रिकॉर्ड 971 टन पर पहुंच गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि उक्त अवधि में रिसाइकिल्‍ड गोल्‍ड साल-दर-साल बढ़कर 289 टन हो गया.

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