'IPO को लेकर बीते 30 महीने में सरकार से कोई बातचीत नहीं की'; NSE की सफाई

NSE की ओर से ये स्पष्टीकरण न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की एक खबर के जवाब में दिया गया है.

Source: NDTV Profit

NSE ने अपने IPO को लेकर सरकार के साथ कोई बातचीत नहीं की है. भारत के प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज में से एक नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने इसे लेकर एक सफाई जारी की है. जिसमें एक्सचेंज ने कहा है कि पिछले ढाई वर्षों में अपने IPO के संबंध में भारत सरकार के साथ कोई संचार नहीं हुआ है.

NSE ने एक X पोस्ट में कहा, 'NSE ये बिल्कुल साफ कर देना चाहता है कि पिछले 30 महीनों में IPO को लेकर भारत सरकार के साथ कोई बातचीत नहीं हुई है.'

NSE की ओर से ये स्पष्टीकरण न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की एक खबर के जवाब में दिया गया है.

लंबे समय से IPO लाने की तैयारी

जैसा कि पहले भी रिपोर्ट किया गया है, NSE, जो कि अपना IPO लाने के लिए काफी लंबे समय से तैयारी कर रही है. इसने इस साल मार्च में SEBI एक NOC को लेकर भेजे गए पत्र का जवाब दिया था. एक्सचेंज ने दावा किया कि रेगुलेटरी स्पष्टता मिलने पर वो अपनी क्लियरिंग कॉरपोरेशन ऑपरेशंस को अलग कर देगा और जल्द से जल्द नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट देने की मांग की. NSE ने पहली बार अगस्त 2024 में इस सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया था.

इससे पहले, वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक, SEBI ने एक विस्तृत पत्र में एक्सचेंज के IPO में कई कमियों को पाया था. ये पत्र फरवरी के अंत में भेजा गया था, जो SEBI की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच के कार्यकाल के खत्म होने के साथ मेल खाता है.

अपनी चिट्ठी में मार्केट रेगुलेटर ने NSE को अपनी सलाह का पालन करने के लिए 24 महीने का वक्त दिया था. जिसमें एक्सचेंज की आंतरिक प्रक्रियाओं, गवर्नेंस और अन्य मुद्दों के बारे में चिंताएं शामिल थीं.

एक्सचेंज ने अपना IPO प्रॉस्पेक्टस 2016 में दाखिल किया था.

2016 में दी गई थी मंजूरी

SEBI ने 21 नवंबर, 2016 को एक पत्र में, लागू नियमों और SEBI के सर्कुलरों के अनुपालन की शर्त पर मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज पर इक्विटी शेयरों की लिस्टिंग को मंजूरी दी थी. इस ऑफर को NSE के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स और शेयरधारकों ने 4 अक्टूबर, 2016 और 10 नवंबर, 2016 को पारित प्रस्तावों के माध्यम से मंजूरी दी थी.

उस अवधि के दौरान, NSE इसके डायरेक्टर्स और इसकी समूह कंपनियों को SEBI या किसी दूसरी अथॉरिटी की ओर से कैपिटल मार्केट्स में आने या संचालन से प्रतिबंधित नहीं किया गया था.

हालांकि, 2019 के एक आदेश में, SEBI ने NSE को इसके को-लोकेशन फैसिलिटीज से जुड़ी शिकायतों के कारण छह महीने के लिए सिक्योरिटीज मार्केट आने से रोक दिया था. हालांकि, सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल ने जनवरी 2023 में फाइनेंशियल पेनल्टी में बदलाव किया, लेकिन मार्केट में प्रवेश प्रतिबंध को बरकरार रखा.

इसके बाद, NSE की 2022-2023 वार्षिक रिपोर्ट में जोर दिया गया कि छह महीने की प्रतिबंध अवधि समाप्त हो चुकी है और ये SEBI की लिस्टिंग के लिए आगे की मंजूरी का इंतजार कर रहा है. दिसंबर 2023 में न्यूज पेपर्स में बताया गया कि SEBI ने NSE के IPO की मंजूरी के लिए अतिरिक्त शर्तें लगाई थीं, जिनमें एक साल तक तकनीकी खराबी से मुक्त रहना, तकनीकी इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार, कॉरपोरेट गवर्नेंस को बेहतर करना और पेंडिंग कानूनी को निपटाना शामिल था. हालांकि, NSE को-लोकेशन मामले का अक्टूबर 2024 में 643 करोड़ रुपये की भारी राशि के साथ निपटारा कर लिया गया था.