निवेशक नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के IPO का इतंजार बेसब्री से कर रहे हैं. इसी बीच मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया है कि मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) IPO के लिए शर्तों के साथ NOC जल्द ही दे सकता है.
सूत्रों ने बताया कि शर्तों में ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस में स्पष्ट डिस्क्लोजर और मामले को कंटिजेंट लायबिलिटी के रूप में लिस्ट करना शामिल हो सकता है. आपको बताते चलें कि कंटिजेंट लायबिलिटी को बैलेंस शीट में फुटनोट के तौर पर दिखाया जाता है, जिससे निवेशक कंपनी में पैसा लगाने से पहले अपने फाइनेंशियल रिस्क को कम कर सकते हैं.
सूत्रों ने ये भी बताया कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज SEBI के साथ मामले निपटाने के लिए भी बातचीत कर रहा है. इसमें डार्क फाइबर से जुड़े मामले भी शामिल हैं. इस मामले में आरोप लगाया गया था कि NSE ने 'डार्क फाइबर' के जरिए कुछ चुनिंदा ब्रोकर्स को को-लोकेशन की सुविधा दी थी. यानी ब्रोकर्स एक्सचेंज में सर्वर लगाकर फायदा उठा रहे थे.
SEBI के सामने हैं दो ऑप्शन
SEBI दो ऑप्शन पर काम कर रहा है. पहला ये कि NSE कोर्ट से डार्क फाइबर केस वापस ले ले और SEBI के पास सहमति के लिए याचिका दायर करे. दूसरा ये कि SEBI शर्तों के साथ NOC जारी कर दे. SEBI चेयरमैन तुहिन कांत पांडे ने 22 मई को नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में कहा, 'उम्मीद है कि लंबित मुद्दे सुलझ जाने के बाद NSE का IPO जल्द ही आने की संभावना है'.
बताते चलें कि 21 नवंबर 2016 को SEBI ने एक लेटर के जरिए स्टॉक एक्सचेंज पर इक्विटी शेयरों की लिस्टिंग को मंजूरी दे दी थी. वहीं इस प्रस्ताव के लिए 4 अक्टूबर और 10 नवंबर, 2016 को NSE के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स और शेयरधारकों ने रिजॉल्यूशन के जरिए मंजूरी दे दी थी. हालांकि उस समय तक SEBI ने NSE पर किसी भी तरह के आरोप और रोक नहीं लगाई थी.
अप्रैल 2019 में SEBI ने कहा था कि NSE ने फ्रॉड और अनफेयर ट्रेडिंग नियमों का उल्लंघन किया है. जिसके खिलाफ SEBI सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था, लेकिन 2023 में SAT ने SEBI के इस आरोप पर कहा था कि NSE ने कोई धोखाधड़ी नहीं की है.
इसके बाद, NSE की 2022-2023 की सालाना रिपोर्ट में कहा गया कि 6 महीने का प्रोबेशन पीरियड खत्म हो गया है और लिस्टिंग के लिए SEBI की आगे की मंजूरी का इंतजार है.
शर्तों की बात करें तो दिसंबर 2023 की मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार शर्तों में तकनीकी बुनियादी ढांचे को मजबूत करना, कॉर्पोरेट प्रशासन में सुधार करना और चल रहे कानूनी मामलों के निपटारों पर जोर दिया गया है. हालांकि अक्टूबर 2024 में NSE ने कोलोकेशन मामले को 643 करोड़ रुपये देकर सुलझा लिया है.