सेनको गोल्ड (Senco Gold Ltd) का IPO आज से खुला है. ज्वेलरी रिटेलर की कोशिश इस इश्यू के जरिए 405 करोड़ रुपये जुटाने की है. अगर आप भी इस इश्यू में पैसा लगाने की सोच रहे हैं तो पहले आपको कंपनी और IPO के बारे में पूरी जानकारी ले लेनी चाहिए.
सेनको गोल्ड IPO की डिटेल्स
इश्यू खुला- 4 जुलाई
इश्यू बंद- 6 जुलाई
कुल इश्यू साइज- 405 करोड़ रुपये
फेस वैल्यू- 10 रुपये
ऑफर फॉर सेल- 135 करोड़ रुपये
OFS के लिए शेयर- 42,58,675
प्राइस बैंड- 301-317 प्रति शेयर
लॉट साइज- 47 शेयर
लिस्टिंग- BSE और NSE
कंपनी ने कोई भी प्री-ऑफर प्लेसमेंट नहीं दिए हैं.
सेनको गोल्ड का शेयरहोल्डिंग पैटर्न
सेनको गोल्ड क्या करती है?
सेनको गोल्ड एक ऑल इंडिया ज्वेलरी रिटेलर है, जिसका पांच दशक का लंबा इतिहास है. पूर्वी भारत में कंपनी का सबसे संगठित ज्वेलरी रिटेलिंग का कारोबार है. इसके चलते बाकी प्रदेशों में इनके बिजनेस सेंटर्स दूर-दूर स्थित हैं.
सेनको गोल्ड कंपनी- सोने, हीरे, चांदी, प्लेटिनम के साथ-साथ बेशकीमती स्टोन ज्वेलरी का बिजनेस करती है. साथ में कॉस्ट्यूम ज्वेलरी, गोल्ड-सिल्वर कॉइन्स और चांदी के बर्तनों का भी बिजनेस किया जाता है.
फिलहाल देशभर में कंपनी 75 शो-रूम खुद चलाती है, जबकि 61 फ्रेंचाइजी शो-रूम और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म हैं. ये सारे स्टोर्स 13 राज्यों में हैं, जिनमें कई टियर-2 शहरों में हैं.
कहां इस्तेमाल होगी जुटाई गई पूंजी
जुटाई गई पूंजी में से 196 करोड़ रुपये का इस्तेमाल कंपनी की वर्किंग कैपिटल की जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जाएगा.
कंपनी के कंपटीटर से मुकाबला
जोखिम-
स्थानीय बाजार में मजबूती से जमे ब्रैंड्स से कड़ा मुकाबला है. ई-कॉमर्स सेक्टर में अन-ऑर्गेनाइज्ड प्लेयर्स से भी तगड़ा कंपटीशन है.
कंपनी के ट्रेडमार्क- Senco Gold & Diamonds पर विवाद हो चुका है. कंपनी के नाम के थर्ड पार्टी यूज के चलते ग्राहकों में उलझन हो सकती है. इससे नेगेटिव पब्लिसिटी भी हो सकती है, जिससे कंपनी का नाम खराब होने का डर है.
कंपनी के ऊपर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और दूसरी सरकारी एजेंसियां छापेमारी कर चुकी हैं.
यह बिजनेस कुशल कारीगरों, डिजाइनर्स और सेल्स टीम पर निर्भर करता है. अगर सही कर्मचारी नहीं मिलते या कंपनी के क्षेत्राधिकार से बाहर, फ्रेंचाइजी कर्मियों द्वारा अगर कोई नकारात्मक काम किया जाता है, तो उससे बिजनेस की इमेज खराब हो सकती है.
ज्वेलरी इंडस्ट्री, तेजी से बदलते हुए फैशन ट्रेंड्स और ग्राहकों की पसंद पर काफी निर्भर करती है, जिनका अनुमान लगाना मुश्किल होता है.
सेनको लोन पर सोना हासिल करती है, प्राथमिक तौर पर यह बुलियन बैंक से लेती है, जो RBI के नियमों से बंधे होते हैं. अगर सोने पर कर्ज से संबंधित किसी नियम में बदलाव होता है, तो उससे सेनको के ऑपरेशंस के नतीजे और वित्तीय स्थितियां भी प्रभावित हो सकती है.
राजस्व का एक बड़ा हिस्सा सोने की ज्वेलरी को बेचने से हासिल होता है.
DeBeers इंडिया के साथ एक बाइंडिंग एग्रीमेंट है, जिसके तहत 'Forevermark' ज्वेलरी के एक न्यूनतम स्तर को बनाए रखना होता है. साथ ही DeBeers को एक न्यूनतम निश्चित राशि देनी ही होती है, चाहे हीरे की ज्वेलरी की बिक्री कितनी भी हो.