विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FIIs) ने भारतीय बाजारों में रिकॉर्ड बिकवाली की है. NSE के आंकड़ों के अनुसार ग्लोबल फंड्स ने लगातार पिछले 18 सेशन में करीब 1 लाख करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं. ग्रोथ में नरमी, चीन में सुधार के उपाय और ऊंचे वैल्यूएशन ने निवेशकों को प्रभावित किया है. हालांकि DIIs गिरावट में लगातार खरीदारी कर रहे हैं और इन्होंने एक लाख करोड़ रुपये के शेयर खरीदे हैं. DIIs की खरीद से बाजार बड़ी गिरावट से बच गया.
धीमी आर्थिक ग्रोथ और कॉरपोरेट मुनाफे में धीमेपन के कारण गोल्डमैन सैक्स ने अपने एशिया/उभरते बाजारों के आवंटन के भीतर घरेलू शेयरों को डाउनग्रेड करके न्यूट्रल किया है. बर्नस्टीन रिसर्च के घरेलू शेयरों को 'अंडरवेट' से डाउनग्रेड किए जाने के बाद ये गिरावट आई है, क्योंकि बर्नस्टीन के मुताबिक छोटी अवधि में बाजार 'काफी कमजोर' रह सकता है.
बर्नस्टीन ने एक नोट में कहा कि चीन और दूसरे उभरते बाजारों के मुकाबले भारतीय शेयरों के रिकॉर्ड हाई वैल्यूएशन को लेकर है. उसके मुताबिक अब बड़ी कंपनियों के शेयरों के वैल्यूएशन भी बहुत ज्यादा हो गए हैं.
विदेशी निवेशकों ने अक्टूबर में भारतीय शेयर बाजार से रिकॉर्ड बिकवाली की, जो एशिया में आउटफ्लो में सबसे ऊपर था. देश से आउटफ्लो ऐसे समय में हो रहा है जब चीन अर्थव्यवस्था में सुधार करने के लिए ब्याज दर में कटौती से लेकर स्थानीय सरकार के जरिए खर्च को कम करने के लिए के प्रयास शुरू कर रहा है.
भारत का निफ्टी और सेंसेक्स प्राइस-टू-अर्निंग रेश्यो के मामले में एशियाई बाजार में छठा और दसवां सबसे महंगा है. HDFC बैंक लिमिटेड और सन फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज में तेजी के तुरंत बाद गुरुवार सुबह भारतीय शेयरों में तीन दिन की गिरावट से वापसी हुई.
बेंचमार्क इंडेक्स, एनएसई निफ्टी 50 और बीएसई सेंसेक्स, पिछले 18 दिनों में 6.94% और 6.63% गिर गए हैं.
नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड के डेटा के अनुसार, अक्टूबर में भारी बिकवाली के बावजूद FIIs 2024 में अब तक ₹28,647 करोड़ वैल्यू के खरीदे हैं. हालांकि ये सारी खरीदारी प्राइमरी मार्केट यानी IPOs के जरिए की गई है.
ग्लोबल फंड्स के शेयर बेचने से रुपये पर असर
FIIs की लगातार बिकवाली ने रुपये को रिकॉर्ड निचले स्तर के करीब बनाए रखा है. रुपया 11 अक्टूबर को 84.09 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचने के बाद सीमित दायरे में रहा. गुरुवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 84.08 पर सपाट खुला.
CR फॉरेक्स एडवाइजर्स के MD अमित पाबरी के अनुसार, लंबे समय से ओवरवैल्यूड माने जाने वाले भारतीय शेयर बाजार में तेज गिरावट आ रही है और ये वास्तविक यानी सही स्तर पर लौट रहा है. ' उन्होंने कहा, 'पूरे महीने लगातार FIIs की बिकवाली भी रुपये में कमजोरी की एक बड़ी वजह है.
उन्होंने कहा कि मीडियम टर्म में, डॉलर इंडेक्स 100-102 की सीमा तक गिरने का अनुमान है क्योंकि फेड 2025 में दरों में 100 आधार अंकों की कटौती करने की संभावना है. पाबरी ने कहा कि निकट भविष्य में रुपये के सीमित दायरे में रहने की उम्मीद है.