भारतीय रुपया बना 2024 की बेस्ट करेंसी, जानिए कैसे?

RBI के हस्तक्षेपों के चलते भारतीय रुपये को सपोर्ट मिला है और बाजार में तेज उतार-चढ़ाव के बीच भी रुपया अपनी जगह पर टिका हुआ है.

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भारतीय रुपये की मजबूती को बरकरार रखने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने स्ट्रैटेजिक आधार पर हस्तक्षेप किया. इसका नतीजा ये निकला है कि भारत के पास रिकॉर्ड स्तर पर फॉरेक्स रिजर्व मौजूद है.

एनालिस्ट्स का मानना है कि इन हस्तक्षेपों के चलते भारतीय रुपये को सपोर्ट मिला है और बाजार में तेज उतार-चढ़ाव के बीच भी रुपया अपनी जगह पर टिका हुआ है. 2024 में रुपया 83.58 रुपये के रिकॉर्ड लो पर पहुंचा, लेकिन एशिया की दूसरी करेंसी के मुकाबले अभी भी बेस्ट परफॉर्मिंग करेंसी की पोजीशन पर बरकरार है.

ब्लूमबर्ग डेटा के मुताबिक, सालाना आधार पर रुपये में 0.12% की गिरावट आई है, जबकि अमेरिकी डॉलर 3.32% मजबूत हुआ है.

रुपये की चाल में एक बड़ा असर लोकसभा चुनाव का भी पड़ रहा है. फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स LLP के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अनिल भंसाली के मुताबिक, केंद्र सरकार ने महंगाई के दबाव को रोकने के लिए करेंसी को स्थिर करने को प्राथमिकता दी है.

उन्होंने आगे कहा, रुपये को गिरावट से बचाने के लिए सरकार उन पॉलिसी और एक्शन पर रोक लगा सकती है, जिससे इन्वेस्टर का भरोसा टूटे या बाजार में कैपिटल आउटफ्लो हो. भंसाली ने चुनाव के बाद रुपये के 83-84 रुपये की रेंज में रहने का अनुमान जताया है.

BNP पारिबास ने बीते हफ्ते अपने एक नोट में लिखा, रुपये की रिलेटिव आधार पर स्थिरता भारतीय इकोनॉमी की मजबूती और पेमेंट सरप्लस में बैलेंस को दिखाती है.

लोकसभा चुनाव के बीच विदेशी निवेशक भारतीय बाजार को छोड़कर नहीं गए. भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत में आने का अनुमान लगाया जा रहा है.

आने वाले नतीजों से मौजूदा रिफॉर्म्स के जारी रहने, ग्रोथ बढ़ने और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में तेजी आने का अनुमान है. उन्होंने कहा, 'आने वाली नई सरकार से रिफॉर्म्स का काम बढ़ेगा और उन्हें पूरा करने पर काम किया जाएगा'.

केयरएज (CareEdge) के मुताबिक, ईरान-इजरायल चिंताओं में कुछ कमी आई है, जिसके चलते डॉलर की इमर्जिंग मार्केट करेंसी में मजबूती बढ़ी है. नोट में कहा गया, 'FPIs ने अप्रैल महीने में बाजार से पैसा बाहर निकाला है. लेकिन, इमर्जिंग मार्केट्स और एशियाई कंपटीटर्स के मुकाबले रुपया टॉप परफॉर्मर बनकर उभरा है, जिसकी बड़ी वजह RBI की ओर से बड़े स्तर पर हस्तक्षेप किया जाना है'.

केयरएज (CareEdge) ने शॉर्ट टर्म में 83.00 से 83.50 की रेंज में रहने का अनुमान जताया है. इसके साथ ही केयरएज ने भूराजनीतिक चिंताओं को एक बड़े रिस्क के तौर पर फोकस में रखा है.

केयरएज ने कहा, इस वित्त वर्ष में रुपया 82.00 से 82.50 की रेंज में रह सकता है. इसमें भारत के शानदार फंडामेंटल्स, 7% की अच्छी इकोनॉमिक ग्रोथ, अच्छी स्थिति में चालू खाता घाटा (CAD), जो कि GDP का 1% है और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों का बढ़ता निवेश बड़ी वजहें हैं.

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लेखक Anjali Rai
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