अप्रैल का महीना भारतीय शेयर बाजार में निवेश करने वाले विदेशी निवेशकों के लिए उत्साह भरा नहीं रहा. विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से अपना निवेश निकाला है, क्योंकि फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दर में कटौती की उम्मीद कम होने की वजह से US बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी हुई है.
अप्रैल में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने भारतीय बाजार से 8,671 करोड़ रुपये निकाल लिए. भले ही भारतीय बाजार नए नए रिकॉर्ड बना रहा है, लेकिन जियो-पॉलिटिकल तनावों ने निवेशकों को भी टेंशन में डाल दिया है इसलिए वो फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं.
अप्रैल में विदेशी निवेशकों का प्रदर्शन
नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) के डेटा के मुताबिक, अप्रैल महीने में विदेशी निवेशकों ने $1,036 मिलियन यानी 8,671 करोड़ रुपये बाहर निकाले.
ताइवान के बाद अप्रैल महीने में विदेशी निवेशकों ने इमर्जिंग मार्केट्स में भारत से सबसे ज्यादा पैसे बाहर निकाले हैं.
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट VK विजयकुमार के मुताबिक, एक बड़ी बात जो बाजार में तेजी के पीछे नजर आ रही है, वो है विदेशी निवेशकों को DIIs और रिटेल निवेशकों से मिलने वाली कड़ी टक्कर.
जब भी US बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी होती है, तो FIIs बिकवाली करते हैं. 4.5% से ज्यादा होने की सूरत में ये साफ नजर आता है. लेकिन DII और रिटेल निवेशक इस बिकवाली को पूरा भर देते हैं, जिसके चलते FIIs को यही शेयर ज्यादा भाव पर खरीदने पड़ते हैं.
विजयकुमार ने कहा, 'इसके साथ ही, FIIs की शॉर्ट कवरिंग से बाजार में और तेजी आती है. इससे ये ट्रेंड समझ में आता है कि बुल मार्केट को ऊपर लेकर जा रहा है और हर बार होने वाली गिरावट पर खरीदारी की जा रही है'.
भारत के डेट मार्केट में अप्रैल महीने में विदेशी इनफ्लो निगेटिव रहा और ये एक साल से ज्यादा समय बाद निगेटिव हुआ है. इस महीने विदेशी निवेशकों की ओर से की गई बिकवाली के चलते घरेलू निवेशकों ने जमकर खरीदारी की है, जिसकी बड़ी वजह पॉजिटिव मैक्रोइकोनॉमिक फैक्टर्स हैं.