RBI, ED और SEBI की रडार पर देश के 3 टॉप ब्रोकर, करोड़ों की मनी लॉन्ड्रिंग में राजनीतिक घराने से भी लिंक!

मौजूदा जांच की वजह से तीनों ब्रोकर्स और उनसे जुड़े राजनीतिक घराने की पहचान गुप्त रखी गई है.

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Money Laundering Case Brokers Link to Politically Exposed Person: मनी लॉन्ड्रिंग यानी ब्लैक मनी को वॉइट मनी बनाने और करोड़ों रुपये की हेराफेरी को लेकर देश के 3 प्रमुख ब्रोकर, प्रवर्तन और नियामकीय एजेंसियों (Enforcement and Regulatory Agencies) के रडार पर हैं.

वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया है कि इन ब्रोकर्स पर काले धन को वैध बनाने और करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी कारोबारी गतिवि​धियों से जुड़े रहने का आरोप है.

केंद्रीय बैंक RBI, प्रवर्तन निदेशालय (ED) और भारतीय प्रतिभूति व विनिमय बोर्ड (SEBI) इनके खिलाफ जांच कर रही हैं. ये ब्रोकर पूंजी बाजारों और वित्तीय सेवा क्षेत्र के कई सेगमेंट से जुड़े संगठनों को चला रहे हैं, जिनमें ब्रोकरेज, इन्वेस्टमेंट एडवायजरी सर्विस, पोटफोलियो मैनेजमेंट और नॉन बैंकिंग ​फाइनेंशियल सर्विसेज (NBFC) शामिल हैं.

राजनीतिक घराने से लिंक!

अ​धिकारियों ने बताया कि मौजूदा जांच की वजह से तीनों ब्रोकर्स की पहचान गुप्त रखी गई है. तीनों ब्रोकर्स के खिलाफ कई मामलों में 4-5 साल से जांच चल रही है. अ​धिकारियों के अनुसार, इन ब्रोकर्स का संबंध एक राजनीतिक घराने से भी है. उन्होंने कहा, 'जांच में पाया गया है कि इनका संबंध PEPs (Politically Exposed Persons) यानी राजनीतिक घराने के लोगों से है.

नियामक एजेंसियों के अधिकारियों ने नाम का खुलासा किए बिना बताया कि एक प्रमुख आद्योगिक राज्य में एक प्रमुख राजनीतिक घराने के वरिष्ठ नेता की भूमिका की भी जांच की जा रही है.

RBI, SEBI, ED के साथ CBI भी करेगी जांच!

अ​धिकारियों ने कहा कि अब तक जांच में शामिल एजेंसियों और नियामकों में सेबी (SEBI), रिजर्व बैंक (RBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) शामिल हैं. इन तीनों ने अब PEPs कनेक्शन के संदेह में जांच के लिए CBI की मदद लेने की बात कही है.

अ​धिकारियों ने बताया कि तीनों ब्रोकर सबसे पहले स्पॉट कमोडिटी एक्सचेंज से जुड़े एक मामले में अपनी जिम्मेदारियों की जांच के दायरे में आए, लेकिन जल्द ही उन्हें अन्य बड़ी मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों में संलिप्त पाया गया. राजनीतिक घराने से कनेक्शन के चलते ही जांच का दायरा बढ़ाया गया था.

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क्या स्विस बैंक में जमा है काला धन?

जांच में पाया गया है कि हजारों करोड़ रुपये दूसरे देशों में भेजे गए हैं, खासकर टैक्स और गोपनीयता में छूट देने वाले देशों में. हजारों करोड़ रुपये के फंड ट्रांसफर की निशानदेही पर प्रशासनिक सहायता के लिए स्विट्जरलैंड समेत कई विदेशी ज्यूरिडिक्शंस को रिक्वेस्ट भेजे गए थे.

स्विट्जरलैंड समेत कुछ देशों ने पहले ही प्रतिक्रिया दे दी है, जहां प्रभावित पक्षों ने गोपनीयता की शर्तों का हवाला देते हुए कोई भी जानकारी साझा करने को चुनौती दी है. बता दें कि कई देशों में वहां के कानून के अनुसार संबंधित बैंकिंग या वित्तीय संस्थान किसी भी विदेशी अथॉरिटीज के साथ जानकारी साझा करने से पहले अपने संबंधित ग्राहकों को एक अवसर देते हैं.

पहला बहुत बड़ा मामला!

अधिकारियों के अनुसार, ये जांच कई वित्तीय और बैंकिंग लेनदेन, टैक्स छूट वाले देशों में फंड ट्रांसफर, कॉल डेटा रिकॉर्ड और सोशल मीडिया पर चल रही चर्चाओं से जुड़ी हुई है.

पूंजी बाजार ब्रोकरों की मदद से की जाने वाली संदिग्ध मनी लॉन्ड्रिंग एक्टिविटीज हमेशा से जांच के घेरे में आती रही हैं, लेकिन टॉप रैंकिंग ब्रोकरेज और फाइनेंशियल सर्विस सेक्टर की कंपनियों के संदर्भ में ये पहला बड़ा मामला हो सकता है.

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