NSE यानी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज एक डेटा सेंटर की स्थापना कर सकता है, जिसमें मार्केट इंस्टीट्यूशंस से जानकारी इकट्ठी की जाएगी. इसके एक्सचेंज के एल्गोरिदम में सटीकता लाई जा सके. मामले से जुड़े जानकारों ने ये जानकारी दी है.
इस जिम्मेदारी को NSE की सब्सिडियरी NSE-एडमिनिस्ट्रेशन एंड सुपरविजन के जरिए पूरा किया जाएगा. सूत्रों के मुताबिक प्रोजेक्ट्स के लिए तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं. जल्द ही इंफ्रा डेवलपमेंट को सपोर्ट करने के लिए फंड का आवंटन भी कर दिया जाएगा.
NSE ट्रेडिंग एल्गोरिदम पर रखेगा नजर
एक बार ऑपरेशनल होने के बाद ये डेटा सेंटर मार्केट इंफ्रा इंस्टीट्यूशंस से मिले डेटा को स्टोर के लिए सेंट्रल रिपॉजिटरी के तौर पर काम करेगा. ओवरसाइट मैकेनिज्म के तहत NSE और क्वालिफाइड क्रेडिट रेटिंग एजेंसीज के बीच सहयोग होगा. ये वे एजेंसी होंगी, जो मार्केट रेगुलेटर की शर्तों पर खरी उतरेंगी. ये एजेंसी इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स और रिसर्च एनालिस्ट्स से मिले डेटा को वेरिफाई करेंगी. ताकि ये सुनिश्चित हो पाए कि ये SEBI रेगुलेशंस के हिसाब से सही हैं.
एडवाइजर्स को ये डेटा अपने ग्राहकों को सुझाव देते वक्त, या फिर ट्रेडिंग डे के आखिर में जमा करना होगा. ये सुझावों की प्रवृत्ति पर निर्भर करेगा. ये डेटा APIs या अपलोड के जरिए डेटा सेंटर्स को ट्रांसफर कर दिया जाएगा. इस प्रोजेक्ट का अहम हिस्सा वैलिडेशन एजेंसी का डेटा सेंटर्स के साथ सहयोग करते हुए काम करना होगा, ताकि एक तेज-तर्रार वैलिडेशन मेथोडोलॉजी को तैयार किया जा सके.
डेटा प्रोसेसिंग के बाद सेंटर वैलिडेटेड आउटपुट्स को परफॉर्मेंस वैलिडेशन एजेंसी को API के जरिए भेज देगा. इस फ्रेमवर्क की स्थापना के लिए मौजूदा CRA रेगुलेशंस में संशोधन की जरूरत होगी. अनुमान लगाया जा रहा है कि SEBI इससे जुड़ा एक विस्तृत सर्कुलर भी जारी कर सकती है.