SEBI ने F&O शेयरों के लिए प्राइस बैंड नियमों में बदलाव किए, 3 जून से लागू

इन तीन बड़े बदलावों के साथ ही एक और बड़ा बदलाव किया गया है, शेयरों में अस्थिरता को रोकने के लिए 15 मिनट के कूलिंग ऑफ पीरियड को भी बढ़ाया है

Source: NDTV Profit

मार्केट रेगुलेटर SEBI ने वायदा शेयरों में प्राइस बैंड तय करने के नियमों में बदलाव किया है. SEBI ने शेयरों में अचानक तेज उठा-पटक को रोकने और गलत सूचनाओं पर नियंत्रण के लिए डायनामिक प्राइस बैंड की गाइडलाइंस में कई बदलाव किए हैं.

प्राइस बैंड के अभी क्या नियम हैं

अभी प्राइस बैंड के क्या नियम हैं, इस पर एक नजर डाल लेते हैं, उसके बाद समझेंगे कि सेबी ने इनमें क्या बदलाव किए हैं. मौजूदा नियमों के मुताबिक कैश या वायदा कॉन्ट्रैक्ट्स पिछले दिन की क्लोजिंग प्राइस के 10% पर प्राइस बैंड के साथ शुरू होते हैं.

जिसे पूर दिन में 5% तक बढ़ाया जा सकता है, बशर्ते कम से कम 25 ट्रेड हों जिनमें 5 यूनीक क्लाइंट कोड (UCC) शामिल हों.साथ ही स्टॉक में जो मूवमेंट हो वो दोनों तरफ 9.90% या इससे ज्यादा होना चाहिए. अब सर्किट लगने के हर एडजस्टमेंट के बाद इसमें 15 मिनट का कूलिंग पीरियड होता है, इस अवधि के दौरान मौजूदा बैंड के अंदर ट्रेडिंग जारी रहती है.

नियमों में क्या बदलाव हुआ है

अब यहां पर प्राइस में छेड़खानी की संभावना बन सकती है, मार्केट रेगुलेटर को इसे लेकर जो फीडबैक मिले हैं उसके बाद इस जोखिम को दूर करने के लिए SEBI ने गाइडलाइंस में बदलाव किए है. जो इस तरह हैं-

  • 25 ट्रेड की जगह अब 50 ट्रेड होंगे

  • 5 यूनीक क्लाइंट कोड की जगह 10 होंगे

  • ट्रेडिंग के दोनों तरफ 3 ट्रेडिंग मेंबर्स होना चाहिए

जब प्राइस बैंड को एडजस्ट करने की शर्तें कैश मार्केट या किसी भी एक्सचेंज पर चालू महीने के वायदा कॉन्ट्रैक्ट्स में पूरी हो जाती हैं, तो कूलिंग-ऑफ पीरियड के बाद सभी एक्सचेंजों में शेयर और उसके सभी वायदा कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए प्राइस बैंड एडजस्ट हो जाएगा.

कूलिंग ऑफ पीरियड को बढ़ाकर 1 घंटा किया

इन तीन बड़े बदलावों के साथ ही एक और बड़ा बदलाव किया गया है, शेयरों में अस्थिरता को रोकने के लिए 15 मिनट के कूलिंग ऑफ पीरियड को भी बढ़ाया है और 5% के फ्लेक्सिंग प्रतिशत को धीरे-धीरे कम किया जाएगा. मतलब -

  • पहले दो एडजस्टमेंट्स के लिए 15 मिनट के कूलिंग-ऑफ पीरियड के बाद प्राइस बैंड में 5% की बढ़ोतरी होगी. (5 मिनट अगर एडजस्टमेंट ट्रेडिंग के आखिरी आधे घंटे में होता है)

  • अगले दो एडजस्टमेंट्स के लिए, 30 मिनट के कूलिंग-ऑफ पीरियड के बाद प्राइस बैंड में 3% की बढ़ोतरी होगी

  • इसके बाद एडजस्टमेंट के लिए 60 मिनट के कूलिंग-ऑफ पीरियड के बाद प्राइस बैंड में 2% की बढ़ोतरी होगी.

3 जून से लागू होंगे बदलाव

प्राइस बैंड की गिरावट पर SEBI का कहना है कि जब एक प्राइस बैंड को एक दिशा में एडजस्ट किया जाता है तो दूसरी दिशा में भी इसको एडजस्ट किया जाएगा, और नए प्राइस बैंड के बाहर के ऑर्डर रद्द कर दिए जाएंगे, जिससे अस्थिरता कम हो जाएगी और पार्टिसिपेंट्स को करेंट मार्केट प्राइस के करीब ऑर्डर प्लेस करना होगा.

मान लीजिए कि पिछले दिन का क्लोजिंग प्राइस 100 रुपये था, तो इसके अगले दिन 10% के हिसाब से लोअर बैंड और अपर बैंड्स 90 और 110 रुपये होंगे. अगर शेयरों में तेजी आती है तो अपर प्राइस बैंड 115 रुपये तक बढ़ाया जा सकता है, लेकिन लोअर बैंड भी बढ़कर 95 हो जाएगा. ऐसे में जो भी ऑर्डर्स 90 और 95 के बीच होंगे, वो अपने आप ही रद्द हो जाएंगे. अगर प्राइस उसी दिन नीचे की ओर आता है और नए लोअर बैंड जो कि 95 रुपये है उसको हिट करता है, तब इसी को घटाकर 90 रुपये किया जाएगा.

सर्कुलर को स्टॉक एक्सचेंजों की ओर से 3 जून से चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा.