Exclusive: SEBI रिटर्न के दावों को वेरिफाई करने के लिए बनाएगी क्रेडिट रेटिंग एजेंसी

SEBI ने 18 दिसंबर को रेगुलेटेड संस्थाओं को वेरिफाइड रिस्क-रिटर्न मेट्रिक्स का इस्तेमाल करके निवेशकों को अपनी सेवाएं बेचने में मदद करने के लिए 'पास्ट रिस्क एंड रिटर्न वेरिफिकेशन एजेंसी' को मान्यता देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी.

Source: NDTV Profit

बाजार रेगुलेटर SEBI (Securities and Exchange Board of India) चाहता है कि मार्केट पार्टिसिपेंट्स जैसे रिसर्च एनालिस्ट, इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स, एल्गो प्रोवाइडर्स की ओर से किए गए पिछले जोखिम और भविष्य के रिटर्न के दावों को वेरिफाई करने के लिए एक भारतीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसी को मंजूरी दी जाए.

ठोस फ्रेमवर्क बनाने की मांग

हालांकि इस मुद्दे पर एक ठोस फ्रेमवर्क बनाने की मांग काफी लंबे समय से चल रही है, लेकिन SEBI को पास्ट रिस्क एंड रिटर्न वेरिफिकेशन एजेंसी या PRRVA पर फाइनल सर्कुलर लाने में तीन से चार सप्ताह और लग सकते हैं. ये जानकारी मामले से जुड़े लोगों ने NDTV प्रॉफिट को दी है. ऐसी एजेंसी के लिए सुझाव 18 दिसंबर, 2024 को आयोजित रेगुलेटर की आखिरी बोर्ड बैठक में मंजूरी दिए गए थे.

इन सूत्रों ने बताया कि अबतक क्रिसिल और केयरएज रेटिंग्स ने PRRVA के रूप में काम करने में अपनी दिलचस्पी जरूर दिखाई है, लेकिन किसे नियुक्त किया जाएगा और इस तरह के फैसले लेने में मार्केट रेगुलेटर SEBI किस तरह की शर्तें और गाइडलाइंस रखेगा, इसका फैसला सर्कुलर आने के बाद साफ हो जाएगा.

एक्सचेंज बनेगा 'डेटा सेंटर'

SEBI ने 18 दिसंबर को रेगुलेटेड संस्थाओं को वेरिफाइड रिस्क-रिटर्न मेट्रिक्स का इस्तेमाल करके निवेशकों को अपनी सेवाएं बेचने में मदद करने के लिए "पास्ट रिस्क एंड रिटर्न वेरिफिकेशन एजेंसी" को मान्यता देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. इस नए फ्रेमवर्क के तहत एक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी, एक एजेंसी के रूप में काम करेगी, एक मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज इसके लिए डेटा सेंटर के रूप में काम करेगा.

ये खबर NTDV प्रॉफिट ने पहले भी दी थी कि रेगुलेटर ने एल्गोरिदम-बेस्ड ट्रेडिंग को रेगुलेट करने के लिए रूपरेखा को अंतिम रूप दे दिया है, जो पिछले प्रदर्शन के आधार पर भविष्य की रिटर्न रणनीतियों पर काम करता है.

रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया था कि रेगुलेटर इन रणनीतियों के लिए योग्य क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों को परफॉर्मेंस वेरिफिकेशन एजेंसियों के रूप में काम करने की अनुमति दे सकता है. इसके अलावा, ये बताया गया कि वेरिफिकेशन प्रोसेस से जुड़े डेटा सेंटर को बनाए रखने के लिए NSE जिम्मेदार होने की उम्मीद है.

हालांकि, ये स्पष्ट किया गया था कि रिस्क-रिटर्न मेट्रिक्स का वेरिफिकेशन केवल एजेंसी की सर्विसेज चुनने की तारीख से शुरू होकर लागू होगा. शुरुआत में एजेंसी दो महीने की अवधि के लिए पायलट प्रोजेक्ट पर काम करेगी.