शेयर मार्केट में निवेश करने के लिए अगर आप ब्रोकरेज फर्म जीरोधा (Zerodha) का इस्तेमाल करते हैं तो आपको एक झटका लगने वाला है. दरअसल जीरोधा 'जीरो ब्रोकरेज फ्रेमवर्क' को खत्म कर सकती है, जबकि फ्यूचर्स और ऑप्शंस (F&O) में ट्रेडिंग के लिए फीस बढ़ा सकती है. जीरोधा के फाउंडर और CEO नितिन कामत ने ये संकेत दिए हैं.
इसे कीमतों में पारदर्शिता को लेकर मार्केट रेगुलेटर SEBI के नए सर्कुलर की प्रतिक्रिया में लिया गया फैसला माना जा रहा है.
SEBI के सर्कुलर में स्टॉक एक्सचेंज जैसे सभी मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशंस (MII) को ट्रेडिंग चार्ज वसूलने के मामले में 'ट्रू टू द लेबल' रहने (ट्रांसपेरेंसी के साथ सही प्रोसेस और सही चार्ज रखने) को कहा गया है. ये आगामी 2 अक्टूबर से लागू होगा.
'ब्रोकर्स, ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स पर असर'
नितिन कामत ने इस विषय पर 2 पोस्ट किए हैं. उन्होंने सर्कुलर के संभावित प्रभावों के बारे में भी बताया है. उनके मुताबिक, इस सर्कुलर का ब्रोकर्स, ट्रेडर्स और निवेशकों पर काफी असर होगा.
2015 से, जब जीरोधा ने इक्विटी डिलीवरी पर जीरो ब्रोकरेज शुरू किया था, तब से ब्रोकरेज ने F&O ट्रेडिंग एक्टिविटी से जुटाए गए रेवेन्यू से इक्विटी निवेश को सब्सिडी दी है, लेकिन ये 'फ्रेमवर्क' (जीरो ब्रोकरेज) अब संभावित रूप से बदल सकता है.
नितिन कामत ने और क्या कहा?
नितिन कामत ने कहा कि F&O ट्रेडिंग वॉल्यूम के भविष्य को लेकर बड़ी अनिश्चितता को देखते हुए ये और भी अहम हो जाता है. जीरोधा ने कुछ आंकड़े भी पेश किए हैं.
कामत ने कहा, 'स्टॉक एक्सचेंज ब्रोकर द्वारा किए गए कुल टर्नओवर के आधार पर ट्रांजेक्शन फीस लेते हैं. ब्रोकर ग्राहक से जो चार्ज लेते हैं और महीने के अंत में ब्रोकर से जो चार्ज, एक्सचेंज लेता है, दोनों के बीच का अंतर ही वो छूट है, जो ब्रोकर को जाता है. इस तरह की छूट दुनिया के प्रमुख बाजारों में आम है.'
कामत ने कहा, 'ब्रोकरेज इन छूटों से लगभग 10% रेवेन्यू कमाता है और इन छूटों से 90% रेवेन्यू केवल ऑप्शन ट्रेडिंग से आता है. नए सर्कुलर के मुताबिक, ब्रोकर्स अब ये छूट नहीं कमा पाएंगे.'
जीरो ब्रोकरेज सर्विस का 'द एंड'
कामत ने कहा, 'हम उन अंतिम ब्रोकरेज में से हैं, जो फ्री इक्विटी डिलीवरी ट्रेड की पेशकश करते हैं. हम ऐसा इसलिए कर पाए क्योंकि F&O ट्रेडिंग रेवेन्यू, इक्विटी डिलीवरी निवेशकों पर लोड कम कर रहा था. नए सर्कुलर के बाद पूरी संभावना है कि जीरो ब्रोकरेज सिस्टम खत्म होगा और F&O ट्रेडों के लिए ब्रोकरेज बढ़ाना पड़ सकता है.'
नितिन कामत ने कहा, 'हम अभी भी सर्कुलर के सेकेंड-ऑर्डर इफेक्ट्स का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं.' उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री के अन्य ब्रोकरेजेस भी अपने चार्जेस में बदलाव कर सकते हैं.