'हैलो सर/मैम! आपकी राइड बुक है. कहां की है? पेमेंट कैश में है? सॉरी सर/मैम, नहीं जा सकता, आप राइड कैंसिल कर दो.'
दिल्ली-मुंबई समेत देश के कई शहरों में लाखों लोग स्कूल-कॉलेज, ऑफिस या कहीं और जाने के लिए कैब सर्विस का इस्तेमाल करते हैं. बेशक आप भी कैब सर्विस लेते होंगे, लेकिन क्या आपको नहीं लगता कि अभी भी लोगों को कई तरह की परेशानियों से दो-चार होना पड़ता है? मसलन,
कभी लंबा वेट करना तो कभी ऐन वक्त पर राइड कैंसिल कर देना,
कभी अचानक किराया (Fare) बढ़ जाना तो कभी कैंसिलेशन चार्जेस वसूल लेना,
कभी कैब में गंदगी तो कभी ड्राइवर का बुरा बर्ताव और कभी सेफ्टी इश्यू.
कैब सर्विस में ओला (Ola), उबर (Uber), रैपिडो (Rapido), इन-ड्राइवर (InDriver) समेत कई और भी खिलाड़ियों के बीच बढ़ते कंपटीशन के बावजूद ग्राहकों के पास ज्यादा विकल्प नहीं हैं. बेशक सरकार समर्थित ONDC ने छोटे खिलाड़ियों को भी जोड़ कर कुछ प्रयास किया है, लेकिन ग्राहकों के लिए लास्ट-माइल सर्विस अभी भी बहुत बेहतर नहीं हुई हैं.
स्थितियां सुधरीं या नहीं? हुआ सर्वे
कैब एग्रीगेटर्स के खिलाफ लगातार जारी शिकायतों को देखते हुए लोकल सर्कल्स ने ये पता लगाने के लिए देशभर में एक और सर्वे किया कि ग्राहकों के लिए स्थितियां सुधरीं या नहीं. देश के 276 जिलों में कैब सर्विस यूजर्स से 44,000 से अधिक प्रतिक्रियाएं मिलीं. 41% लोग टियर 1 शहर से थे, 36% टियर 2 से, जबकि 23% यूजर्स टियर 3, 4 और ग्रामीण इलाकों से थे. कुल उत्तरदाताओं में 64% पुरुष थे, जबकि 36% महिलाएं.
सबसे बड़ी दिक्कत- राइड कैंसिल करना
बड़ी संख्या में ऐप टैक्सी यूजर्स ड्राइवर के राइड कैंसिल करने, किराया बढ़ने और लंबे समय तक इंतजार करने जैसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं. लोकल सर्कल्स के सर्वे में कैब सर्विस यूज करने वाले लोगों से पूछा गया कि पिछले 12 महीनों में उन्हें किस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा.
हर 4 में से 3 यूजर्स यानी 75% लोग ड्राइवर के राइड कैंसिल होने से परेशान थे. इसके अलावा 62% यूजर्स ने किराया बढ़ने, 48% ने लंबी वेटिंग, 29% ने कैब की गंदगी, 23% ने कैंसिलेशन चार्ज संबंधी शिकायतें कीं.
किन परिस्थितियों में राइड कैंसिल की गई?
लोगों से ये भी पूछा गया कि ड्राइवर ने आपकी राइड क्यों कैंसिल की या आपसे ऐसा करने के लिए कहा? 37% का कहना था कि ड्राइवर ने 'कहां जाना है', ये पूछने के बाद राइड कैंसिल कर दी. 5% ने कैश पेमेंट न चूज करने को कारण बताया. वहीं 42% ने इसके पीछे दोनों वजहें बताईं.
यानी विश्लेषण किया जाए तो 84% लोगों ने या तो डेस्टिनेशन के कारण या कैश पेमेंट ऑप्शन नहीं चूज करने के चलते या फिर दोनों कारणों से राइड कैंसिल किए जाने की समस्या झेली.
2020 में बनाई गई थी गाइडलाइंस
लोकल सर्कल्स ने सबसे पहले 2019 में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) के साथ ग्राहकों की इन चिंताओं को उठाया था. सरकार नवंबर 2020 में मोटर वाहन एग्रीगेटर गाइडलाइंस लेकर आई. इसमें सर्ज प्राइसिंग को बेसिक किराये की तुलना में 1.5 गुना अधिक का कैप लगाया गया. साथ ही राइड कैंसिल करने पर 10% तक जुर्माने (अधिकतम 100 रुपये) का नियम बनाया गया. हालांकि ज्यादातर राज्यों में ये दिशानिर्देश लागू नहीं हैं, जिसके चलते ग्राहक परेशान हैं और शिकायतें जारी हैं.
क्यों नाकाफी हैं दिशानिर्देश?
अप्रैल 2022 में लोकल सर्कल्स के एक सर्वे में पता चला कि 71% ऐप टैक्सी यूजर्स राइड कैंसिल करने की समस्याओं का सामना कर रहे थे. मई 2022 में, कंज्यूमर रेगुलेटर CCPA ने कुछ प्लेटफार्मों को नोटिस जारी किया, लेकिन इसका असर भी सीमित रहा.
अब तक केवल दिल्ली सरकार ही कैब पॉलिसी लेकर आई है. हालांकि इसमें भी ड्राइवरों को राइड कैंसिल करने से रोकने का प्रोविजन नहीं है. प्लेटफॉर्म्स और ड्राइवर्स, दोनों से मिले इनपुट के आधार पर, राइड कैंसिल करने वाले ड्राइवरों के लिए कोई जुर्माना तय नहीं है.
कॉमन स्टैंडर्ड्स लागू करे सरकार!
लोकल सर्कल्स के सर्वे के मुताबिक, 70% ऐप टैक्सी यूजर्स का मानना है कि सरकार की ओर से टैक्सी एग्रीगेटर्स को शिकायतों पर नोटिस जारी किए जाने के बावजूद ज्यादा असर नहीं हुआ और ग्राहकों को अभी भी काफी दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं.
82% ऐप टैक्सी यूजर्स चाहते हैं कि सरकार को टैक्सी एग्रीगेटर्स जैसी सेवाओं के लिए बेसिक कॉमन स्टैंडर्ड्स लागू करना चाहिए.