नोएडा की कंपनी में काम करने वाले राकेश को मयूर विहार, दिल्ली स्थित अपने घर से ऑफिस जाने के लिए कैब बुक करना था. उसने उबर (Uber) ऐप खोला. ड्राइवर सर्च होने में देर हो रही थी, तभी सामने स्क्रीन पर 'एडवांस टिप' का ऑप्शन दिखा- फास्ट सर्विस चाहिए तो ₹50-₹100 की एडवांस टिप दें.
अब राकेश इस सोच में पड़ गया. अब टिप तो सेवा के बाद देने वाली चीज है, फिर ये पहले क्यों?
इसी 'एडवांस टिप' वसूली पर सरकार ने सख्त रुख अपनाया है. केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने उबर के इसे ग्राहकों का शोषण और अनैतिक बताते हुए CCPA यानी केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण को इसकी जांच के निर्देश दिए थे. अब CCPA ने उबर को नोटिस भेजकर स्पष्टीकरण मांगा है.
केंद्रीय मंत्री ने दिखाई सख्ती
उबर ऐप में जब कोई यूजर राइड बुक करता है, तो कैब सर्च के दौरान कुछ सेकेंड्स की वेटिंग दिखाई जाती है. इसी दौरान ऐप एक विकल्प दिखाता है- 'अगर आप तेज सर्विस चाहते हैं, तो अभी ₹50 या ₹100 की टिप दें.'
हालांकि उबर का कहना है कि यह राशि पूरी तरह से ड्राइवर को दी जाती है, लेकिन मुद्दा ये है कि पैसा ग्राहक की जेब से जा रहा है, वो भी सेवा लेने से पहले ही.
प्रह्लाद जोशी ने कहा- 'टिप एक स्वैच्छिक विकल्प है, अधिकार नहीं. इसे सेवा पूरी होने के बाद, ग्राहक अपनी संतुष्टि के आधार पर देता है. लेकिन यदि किसी को तेज सेवा के नाम पर पहले ही टिप देने को मजबूर किया जाए, तो ये सीधा अनुचित व्यापार व्यवहार (Unfair Trade Practice) है.'
मंत्रालय ने लिया एक्शन
उपभोक्ता मंत्रालय ने इसे गंभीर मामला मानते हुए कहा है कि इस तरह की प्रक्रिया में पारदर्शिता, ईमानदारी और जवाबदेही होनी चाहिए. किसी भी डिजिटल प्लेटफॉर्म को ग्राहकों पर दबाव नहीं बनाना चाहिए कि वे बेहतर सेवा पाने के लिए पहले ही पैसा दें.
CCPA ने उबर से पूछा है कि इस फीचर को किस आधार पर लागू किया गया, इसका फायदा किसे जा रहा है, और ये ग्राहकों को कैसे प्रभावित करता है.
अब उबर को इस मामले पर जवाब देना है. जानकारों का मानना है कि डिजिटल युग में, जहां ग्राहक सुविधाओं के लिए टेक्नोलॉजी पर निर्भर हैं, वहां कंपनियों की जवाबदेही और नैतिकता पहले से ज्यादा जरूरी हो गई है.