अश्नीर ग्रोवर-दीपक शेनॉय के बीच 'X' पर तूतू-मैंमैं, BharatPe फंड में हेराफेरी के मुद्दे पर तकरार

दिल्ली पुलिस की इकोनॉमिक विंग द्वारा दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल की गई स्टेट्स रिपोर्ट में ग्रोवर के परिवार से जुड़ी कंपनियों पर पैसे चुराने (Siphoning) के आरोप लगाए हैं.

भारतपे फाउंडर अश्नीर ग्रोवर और कैपिटलमाइंड फाउंडर दीपक शेनॉय के बीच ट्विटर पर बुधवार को छींटाकशी हुई. ये छींटाकशी उस रिपोर्ट के बाद हुई है, जिनमें ग्रोवर और उनके परिवार से जुड़ी कंपनियों पर भारतपे से फंड साइफनिंग यानी पैसे चुराने के आरोप लगे हैं.

दिल्ली पुलिस की इकोनॉमिक विंग द्वारा दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल की गई स्टेट्स रिपोर्ट में ये फंड साइफनिंग के आरोप लगाए गए हैं.

दीपक शेनॉय ने क्या कहा?

इस डेवलपमेंट पर प्रतिक्रिया देते हुए दीपक शेनॉय ने ट्विटर पर लिखा, 'अश्नीर ग्रोवर ने रिक्रूटमेंट सर्विसेज के नाम पर अपने परिवार के पास फंड की साइफनिंग की, ये पैसे निकालने का बहुत जाना-पहचाना तरीका है. इसे बहुत बेवकूफी के साथ अंजाम दिया गया- उन्होंने बैकडेट पर उन बैंक अकाउंट्स के साथ इन्वॉइस बनाए, जो उस तारीख को खुले भी नहीं थे.'

उन्होंने आगे लिखा, 'ये कंपनियां GST तक जमा नहीं कर रही थीं (हालांकि GST चार्ज पूरा ले रही थीं), जिसके चलते ये पूरा भंडाफोड़ हुआ. मैं सोचता हूं कि स्टार्टअप्स के इन्वेस्टर्स को कम से कम एक पॉलिसी बनानी चाहिए, जिसके तहत कहा जाए कि रिक्रूटमेंट रिलेटेड पेमेंट्स और फाउंडर्स से संबंधों का साल में एक बार इंडिपेंडेंट रिव्यू जरूर किया जाएगा. इस तरह पैसा बाहर निकालना बहुत आम है.'

अश्नीर ग्रोवर ने दिया रिएक्शन, शुरू हुई तूतू-मैंमैं

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अश्नीर ग्रोवर ने अपना पुराना ट्वीट फिर से शेयर किया, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि अंत में वे निर्दोष साबित होंगे.

जवाब में दीपक शेनॉय ने ग्रोवर को अमेरिका स्थित एनर्जी कंपनी एनरॉन का मामला याद दिलाया, जिसमें फाउंडर को 24 साल की जेल हुई थी.

उन्होंने लिखा, 'एनरॉन का स्किलिंग भी जेल जाने से पहले किसी को 'Ass**le' बोल रहा था. जब तक पूरा मामला नहीं खुला जाता, अपने वक्त का मजा लो.'

जवाब में अश्नीर ने लिखा, 'मैंने तो तुझे जज बोला. तूने जज को 'Ass**le' बोला. सेल्फ रियलाइजेशन अच्छी है वैसे तेरी.'

इस पर दीपक ने पलटवार करते हुए लिखा, 'वैसे यहां भी अच्छी इमेजिनेशन यूज कर रहे हो. अब समझ आया कि कैसे तुम्हें उन कंपनियों के बैंक अकाउंट पता थे, जो इन्वॉइस जारी करते वक्त मौजूद भी नहीं थे.'

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