Darjeeling Train Accident: फिर फोकस में कवच सिस्टम, क्या ऑटोमैटिक ब्रेकिंग से रुक सकता था हादसा?

ट्रेन के हादसों को रोकने के लिए भारतीय रेलवे ने ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम यानी कवच सिस्टम तैयार किया था.

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पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में एक बड़ा ट्रेन हादसा हुआ है. जलपाईगुड़ी के पास एक मालगाड़ी और कंचनजंगा एक्सप्रेस (Kanchanjunga Express) की टक्कर हुई और इस हादसे में 8 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है. वहीं 25 लोग घायल भी हुए हैं.

केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnav) ने दार्जिलिंग ट्रेन हादसे में जान गंवाने वालों को 10 लाख रुपये की राशि के मुआवजे का ऐलान किया है. फिलहाल हादसे वाले रूट पर19 ट्रेन भी रद्द कर दी गई हैं.

फोकस में कवच सिस्टम?

ओडिशा के बालासोर ट्रेन हादसे और अब पश्चिम बंगाल में दार्जिलिंग ट्रेन हादसे के बाद बात उस कवच सिस्टम की भी हो रही है, जो भारतीय रेलवे ने ट्रेन से जुड़े हादसे को रोकने के लिए तैयार किया था.

दरअसल कवच सिस्टम के एक ही ट्रैक पर ट्रेनों की टक्कर से बचा जा सकता है. ये टेक्नोलॉजी ऑटोमैटिक ब्रेकिंग पर आधारित है. दार्जिलिंग में जहां टक्कर हुई है, उस लाइन पर ये सिस्टम अब तक नहीं लग पाया है. ऐसे में बहुत संभावना थी कि सिस्टम लगे होने की स्थिति में हादसा रोका जा सकता था. जानते हैं कवच सिस्टम में ऐसा क्या खास है, जो इतने बड़े हादसों को रोकने में सक्षम है.

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क्या है कवच सिस्टम?

ट्रेनों और रेलयात्रियों की सुरक्षा के लिए भारतीय रेलवे ने 'कवच' नामक ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (ATP) सिस्टम तैयार किया है. इसे ट्रेन कॉलिजन एवॉइडेंस सिस्टम (Train Collision Avoidance System) कहा जाता है. कवच टेक्नोलॉजी को RDSO (Research Design and Standards Organization) ने देश के तीन वेंडर्स के साथ मिलकर तैयार किया है.

वर्ष 2022 के बजट में 'आत्मनिर्भर भारत' पहल के तहत इसकी घोषणा की गई थी. इस योजना में कुल 2,000 किलोमीटर रेल नेटवर्क पर कवच सिस्टम को लगाने की बात कही गई थी.

कैसे काम करता है कवच?

कवच सिस्टम एक ही ट्रैक पर 2 ट्रेनों को टकराने से रोकता है. अगर किसी ट्रेन का लोको पायलट सिग्नल जंप करता है और अपने इंजन का ब्रेक नहीं लगा पाता है तो कवच ऑटोमेटिक रूप से ब्रेक लगाकर ट्रेन की गति को नियंत्रित करता है और इसे रोक देता है.

इस सिस्टम को रेलवे ट्रैक पर तय दूरी पर इंस्टॉल किया जाता है. इसे ट्रैक और रेलवे सिग्नल सिस्टम में भी इंस्टॉल किया जाता है, जबकि सिस्टम से जुड़ी डिवाइस ट्रेन में भी लगाई जाती है. पूरा सिस्टम एक दूसरे से अल्ट्रा हाई रेडियो फ्रिक्वेंसी के जरिए कम्युनिकेट करता है और आपात स्थिति में अलर्ट भी करता है.

कवच दो इंजनों के बीच टक्कर को रोकने में भी सक्षम बनाता है. रेलवे के मुताबिक, जिस रूट पर कवच सिस्टम लगा होता है और वहां एक ही पटरी पर दो ट्रेनें आमने-सामने आ भी जाएं तो एक्सीडेंट नहीं होता है.

Source: NDTV Profit हिंदी
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अभी कितना पहुंचा है कवच सिस्टम?

21 जुलाई 2023 को रेलवे मंत्रालय की ओर से रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया था कि कवच सिस्टम 1,465 किलोमीटर रूट में लग चुका है. इसके साथ ही ये साउथ सेंट्रल रेलवे के 121 लोकोमोटिव में भी लगाया जा चुका है.

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