सोचिए, जब भी आप हाईवे पर निकलते हैं और टोल प्लाजा पर गाड़ी रोककर टोल चुकाते हैं, तो उस 100-50 रुपये जोड़-जोड़ कर सरकार को कितनी बड़ी आमदनी होती होगी! जवाब हजारों करोड़ों में है. जी हां, बीते 5 सालों में देशभर के टोल प्लाजा से सरकार को कुल 1.93 लाख करोड़ रुपये की कमाई हुई है.
ताजा आंकड़े खुद सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने लोकसभा में पेश किए. इन आंकड़ों के मुताबिक, इस समय देश में कुल 1,063 टोल प्लाजा मौजूद हैं. इनमें से 457 टोल प्लाजा पिछले सिर्फ पांच सालों में बनाए गए हैं.
टॉप 10 टोल प्लाजा ने ही जोड़े ₹14 हजार करोड़!
अगर हम सिर्फ टॉप 10 सबसे ज्यादा कमाई करने वाले टोल प्लाजा की बात करें, तो इनसे ही पिछले पांच सालों में 13,988.51 करोड़ रुपये यानी लगभग 14 हजार करोड़ रुपये का टोल कलेक्शन हुआ है. यानी देश के हजार से ज्यादा टोल में से सिर्फ 10 प्लाजा ने ही पूरे कलेक्शन का 7% से ज्यादा हिस्सा कमा लिया है.
किस राज्य के कितने प्लाजा टॉप लिस्ट में?
गुजरात और राजस्थान से 2-2 टोल प्लाजा
उत्तर प्रदेश से भी 2 टोल प्लाजा
हरियाणा, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और बिहार से 1-1 टोल प्लाजा
अब आपके मन में सवाल होगा– कौन से हैं ये 'कमाई के धुरंधर' टोल प्लाजा? आइए, ये भी जान लेते हैं.
सबसे आगे गुजरात का भर्थाना टोल प्लाजा
पूरे देश में टोल वसूली का किंग है – भर्थाना टोल प्लाजा. ये गुजरात के वडोदरा-भरूच सेक्शन (NH-48) पर स्थित है. मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, इस टोल प्लाजा ने पिछले 5 वित्तीय वर्षों (2019-20 से 2023-24) में कुल 2,043.81 करोड़ रुपये का टोल इकट्ठा किया. अकेले 2023-24 में इसने रिकॉर्ड 472.65 करोड़ रुपये की कमाई की.
लिस्ट में राजस्थान, बंगाल, उत्तर प्रदेश भी
दूसरे नंबर पर है शाहजहांपुर टोल प्लाजा. और हां, ये यूपी यानी उत्तर प्रदेश वाला शाहजहांपुर नहीं, बल्कि राजस्थान वाला शाहजहांपुर है. ये टोल प्लाजा, NH-48 के गुड़गांव-कोटपुतली-जयपुर रूट पर आता है. कमाई के मामले में ये भी भरथना टोल प्लाजा से ज्यादा पीछे नहीं रहा और पिछले पांच सालों में 1,884.46 करोड़ रुपये का टोल इकट्ठा कर लिया.
जलधुलागोरी टोल प्लाजा, जो पश्चिम बंगाल में स्थित है, ने भी झंडे गाड़ दिए. इसने पांच सालों में 1,538.91 करोड़ रुपये का टोल जमा किया है. वहीं, यूपी का बाराजोड़ टोल प्लाजा भी पीछे नहीं रहा. यहां से बीते 5 साल में 1,480.75 करोड़ रुपये का कलेक्शन हुआ है. लिस्ट में ये चौथे नंबर पर है.
क्या कहती है ये तस्वीर?
ये आंकड़ा साफ दिखाता है कि देश में बढ़ती गाड़ियों और हाईवे नेटवर्क के साथ-साथ टोल से कमाई भी खूब बढ़ी है. और खास बात ये है कि कुछ गिने-चुने टोल प्लाजा ही देश की टोल इनकम का बड़ा हिस्सा सरकार की झोली में डाल रहे हैं.
साफ है कि देश में हाइवे नेटवर्क जितनी तेजी से बढ़ा है, उतनी ही तेजी से टोल वसूली के नए रास्ते भी खुले हैं. इन पैसों से सड़कों की लागत ऊपर की जाती है. अच्छी सड़क चाहिए तो इतना तो करना ही होगा न! आखिरकार इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के बाद जुटाए गए ये पैसे फिर से इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट में ही तो लगाए जाते हैं.